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गया : दुर्गाबाड़ी में विदेशी पक्षी एमू के अंडों से खुले में ही निकले चार चूजे
गया : ऑस्ट्रेलिया व अफ्रीका के जंगलों में पाये जानेवाले एमू पक्षी भारत में गिने-चुने जगहों पर ही देखे जाते हैं. यह पक्षी चिड़िया घर या फिर लोगों द्वारा पाले जाते हैं. गया शहर के एक शौकीन दुर्गाबाड़ी के रहनेवाले मोहम्मद शाहिद हुसैन उर्फ मिस्टर ने भी पश्चिम बंगाल से एक जोड़ा एमू (नर-मादा) खरीद […]
गया : ऑस्ट्रेलिया व अफ्रीका के जंगलों में पाये जानेवाले एमू पक्षी भारत में गिने-चुने जगहों पर ही देखे जाते हैं. यह पक्षी चिड़िया घर या फिर लोगों द्वारा पाले जाते हैं. गया शहर के एक शौकीन दुर्गाबाड़ी के रहनेवाले मोहम्मद शाहिद हुसैन उर्फ मिस्टर ने भी पश्चिम बंगाल से एक जोड़ा एमू (नर-मादा) खरीद कर लाया था.
उन्हें इन पक्षियों को खरीदते समय बताया गया था कि मादा पक्षी के अंडा देने पर इसके जानकार को सूचित करेंगे, ताकि अंडों को हैचरी में रख कर बच्चा तैयार किया जा सके.
विगत फरवरी में जब मोहम्मद शाहिद के घर पर एमू पक्षी ने पांच अंडे दिये, तो उन्होंने इसकी सूचना पश्चिम बंगाल के एक जानकार को दी. जानकार ने कहा कि अंडे को यहां भेज दें, क्योंकि खुले वातावरण में अंडाें से बच्चा नहीं हो सकेगा. इस पर मोहम्मद शाहिद को सोच-विचार करते-करते दो माह से अधिक समय बीत गया.
इस बीच, दो दिन पहले शाहिद ने अपने छोटे भाई को कहा कि अंडा अब खराब हो गया होगा, उसे वहां से हटा दो. छोटा भाई जब देखने पहुंचा, तो देखा कि वहां चार बच्चे आसपास टहल रहे हैं. मोहम्मद शाहिद ने इसकी सूचना जानकार को दी, तो उन्होंने बताया कि उनकी जानकारी में भारत में पहली बार इस पक्षी के अंडे से खुले वातावरण में बच्चे हुए हैं.
इधर, वन विभाग के रेंज ऑफिसर संजय कुमार कहते हैं कि खुले वातावरण में एमू के अंडे से बच्चा तैयार होना यहां के लिए अपवाद है. यह प्रवासी पक्षी है. यहां का वातावरण इनके लिए सूट नहीं करता है.
विश्व का दूसरा सबसे बड़ा पक्षी है एमू
ऑस्ट्रेलिया का विशालकाय पक्षी एमू शुतुरमुर्ग के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा पक्षी है. इसकी ऊंचाई लगभग दो मीटर होती है. एमू के भी शुतुरमुर्ग के समान पंख होते हैं, पर यह उड़ नहीं सकता है. एमू भारी, किंतु फुर्तीला पक्षी है.
इसके शरीर का रंग मटमैला भूरापन लिये हुए बहुत ही चमकीला होता है. नर व मादा दोनों के गले के पास एक विचित्र सी थैली लटकी होती है, जिसमें हवा भर कर यह अनोखी आवाज भी निकालता है. एमू की टांगें मजबूत व ताकतवर होती हैं. इनकी सहायता से यह 50 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से सरलता से भाग सकता है.
एमू के पैरो में कैसोवरी के समान कोई तेज धारदार कांटा तो नहीं होता, फिर भी इसकी ठोकर शुतुरमुर्ग व कैसोवरी के समान ही खतरनाक होती है. सामान्यतया यह अपने शत्रुओं से डर कर भागता नहीं है, बल्कि मुकाबला करता है. जानकारों का कहना है कि एमू को सामूहिक जीवन अधिक प्रिय है. यह अकेले रहने के बजाय झुंड में रहना पसंद करते हैं. इस पक्षी का भोजन घास, फल-फूल व जंगली वनस्पति है.
यह पक्षी कीड़े-मकोड़े, छिपकली व चूहे खाने से परहेज नहीं करते हैं. जानकारों का कहना है कि मादा पक्षी एक बार में एक से 12 अंडे देती है. अंडे से बच्चे बाहर आने पर नर-मादा मिल कर उसका लालन-पालन तब तक करते हैं, जब तक बच्चे आत्मनिर्भर न हो जाये.
यह कहना है पक्षी पालक का
वर्ष 2012 से एमू पक्षी रखनेवाले आसनसोल के सागर गोराई ने बताया कि उनकी जानकारी के मुताबिक पश्चिम बंगाल, केरल, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु जैसे प्रदेशों में भी लोग एमू पक्षी रखते हैं.
इन पक्षियों के अंडे को स्पेशल ट्रीटमेंट के लिए हैचरी में रखा जाता है. उन्होंने कहा कि दूसरा कारण यह भी है कि अक्सर एमू पक्षी अपने अंडों को खुद खा जाते हैं. उनकी जानकारी में यह पहली बार है कि जब किसी एमू पक्षी के अंडे को बिना हैचरी के खुले वातावरण में तैयार किये गया है.
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