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शांति की राह पर मुक्ति आंदोलन

बोधगया: महाबोधि मंदिर के प्रबंधन को पूर्ण रूप से बौद्धों के हाथ में सौंपे जाने को लेकर वर्षो से चल रहे आंदोलन ने अब शांति की राह पकड़ ली है. महाबोधि विहार मुक्ति आंदोलन को नेतृत्व दे रहे नेताओं का कहना है कि शांति व अहिंसा के प्रणोता महात्मा बुद्ध के अनुसेवकों को खासकर, बुद्ध […]

बोधगया: महाबोधि मंदिर के प्रबंधन को पूर्ण रूप से बौद्धों के हाथ में सौंपे जाने को लेकर वर्षो से चल रहे आंदोलन ने अब शांति की राह पकड़ ली है. महाबोधि विहार मुक्ति आंदोलन को नेतृत्व दे रहे नेताओं का कहना है कि शांति व अहिंसा के प्रणोता महात्मा बुद्ध के अनुसेवकों को खासकर, बुद्ध जयंती के अवसर पर शांतिप्रिय ढंग से जयंती समारोह मनाना चाहिए. सोमवार को अखिल भारतीय बुद्धगया महाबोधि विहार मुक्ति आंदोलन समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष भदंत आनंद महास्थविर व राष्ट्रीय महासचिव भदंत प्रज्ञाशील स्थविर ने ‘प्रभात खबर’ से खास मुलाकात में उक्त बातें कहीं. उन्होंने कहा कि विगत 26 वर्षो से महाबोधि मंदिर के प्रबंधन को सिर्फ बौद्धों के हाथ में सौंपे जाने की मांग की जा रही है. इसके लिए धरना-प्रदर्शन भी किया जाता रहा है.

पर, अब इसे शांतिपूर्ण तरीके से हल किया जायेगा. भदंत आनंद ने कहा कि समिति का उद्देश्य है कि पूरे भारत में पहले बोधगया व महाबोधि मंदिर के बारे में प्रचार-प्रसार किया जाये. बौद्ध श्रद्धालुओं को एकमत किया जाये व संगठन को और मजबूत किया जाये. उन्होंने यह भी कहा कि प्रबंधन को लेकर मामला अदालत में भी पहुंच चुका है. अतएव अब धरना-प्रदर्शन उचित नहीं है. उन्होंने कालचक्र मैदान में आयोजित होने जा रहे तीन दिवसीय बुद्ध पूर्णिमा समारोह में शामिल होने आये श्रद्धालुओं से भी शांति बनाये रखने व सिर्फ पूजा-अर्चना तक सीमित रहने की अपील की है. इसके लिए उन्होंने परचा भी जारी किया है.

गुंबद में सोना लगाने पर सवाल
भदंत आनंद ने महाबोधि मंदिर के गुंबद में 290 किलोग्राम सोने का पत्तर लगाये जाने पर भी सवाल उठाया है. उन्होंने बोधगया मंदिर प्रबंधन समिति (बीटीएमसी) द्वारा मंदिर के मूल आकृति व ऐतिहासिक स्वरूप के साथ छेड़छाड़ करने का भी आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि आज थाइलैंड के श्रद्धालुओं ने गुंबद में सोना चढ़ाया है, कल कोई दूसरे देश के लोग संपूर्ण मंदिर को ही सोने से मढ़ देंगे. तो क्या बीटीएमसी इसके लिए सहमति देगा? भदंत आनंद ने मंदिर परिसर में तिब्बती श्रद्धालुओं द्वारा सूत्र चक्र लगाये जाने का भी विरोध किया है. उन्होंने कहा कि ऐसे तो हर देश के श्रद्धालु मंदिर परिसर में अपनी पहचान छोड़ने की कोशिश करेंगे. यह ठीक परंपरा नहीं है. उन्होंने इसकी पुनरावृत्ति पर रोक लगाने की भी मांग की है.

खोले जायें स्कूल व अस्पताल
भदंत आनंद ने कहा कि महाबोधि मंदिर में दान से प्राप्त आय से बोधगया में बेहतर स्कूल व सभी सुविधाओं से लैस अस्पताल खोले जाने चाहिए. ताकि, यहां के गरीब लोगों के बच्चे बेहतर शिक्षा पा सके. उन्होंने कहा कि बोधगया में सुविधायुक्त अस्पताल से आसपास के लोगों के साथ ही यहां आने वाले बौद्ध श्रद्धालुओं व पर्यटकों को भी फायदा होगा. उन्होंने महाबोधि मंदिर के बाहर से महाबोधि शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के हटाये जाने के बाद बेरोजगार हुए लोगों के बारे में कहा कि बीटीएमसी को चाहिए कि जय प्रकाश उद्यान के किनारे दुकानें बना कर विस्थापित दुकानदारों में आवंटित करे. उन्होंने कहा कि बोधगया के लोगों को महाबोधि मंदिर से जोड़ने की जरूरत है, उन्हें रोकने की नहीं.

बढ़ायी जाये बौद्ध सदस्यों की संख्या
बोधगया मंदिर प्रबंधन समिति में बौद्ध धर्म को माननेवाले सदस्यों की संख्या बढ़ाने की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि समिति में फिलहाल चार बौद्ध व चार हिंदू सदस्य हैं. जबकि बौद्ध सदस्यों की संख्या पांच व हिंदू सदस्यों की संख्या तीन कर देनी चाहिए. साथ ही समिति के सचिव के पद पर सिर्फ बौद्ध सदस्य को ही रखा जाये. उन्होंने समिति के पदेन अध्यक्ष के पद पर गैर हिंदू डीएम के बारे में कहा कि अगर समिति में बौद्ध सदस्यों की संख्या बढ़ा दी जाये व बौद्ध सदस्य को ही सचिव बनाया जाये तब अध्यक्ष के पद पर कोई रार नहीं होगा. भदंत आनंद ने केंद्र में नयी सरकार के गठन के बाद प्रधानमंत्री से भी इसकी मांग करने की बात कही. उन्होंने बताया कि सोमवार को वह अपने प्रतिनिधि मंडल के साथ गया के डीएम से मुलाकात की व महाबोधि मंदिर के संदर्भ में चर्चा के साथ-साथ सुझाव भी दिये.

कालचक्र मैदान में होगा समारोह
तीन दिनों तक कालचक्र मैदान में आयोजित होनेवाले बुद्ध जयंती समारोह मंगलवार की शाम से शुरू होगा. उद्घाटन के बाद विभिन्न प्रांतों से आये बौद्ध भिक्षुओं का परिचय व उनका भाषण होगा. बुधवार की सुबह बौद्ध श्रद्धालुओं द्वारा कालचक्र मैदान से एक धम्म यात्र निकाला जायेगा. यह बर्मीज विहार होते हुए महाबोधि मंदिर तक जायेगा व मंदिर में परिक्रमा के बाद जयप्रकाश उद्यान स्थित डॉ भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया जायेगा. इसके बाद शाम में कालचक्र मैदान में भाषण व बौद्ध भिक्षुओं के विचार लिये जायेंगे. भदंत आनंद ने बताया कि बुद्ध जयंती समारोह में महाराष्ट्र, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश, गुजरात, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश, असम,पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु व आंध्रप्रदेश से हजारों की संख्या में बौद्ध श्रद्धालु बोधगया पहुंच रहे हैं.

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