गया: कुछ दिनों से शहर की बिजली आपूर्ति व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गयी है. बिजली के आने-जाने का कोई समय निर्धारित नहीं है. अनियमित बिजली आपूर्ति के कारण उपभोक्ताओं की दिनचर्या पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है. बिजली विभाग के अधिकारी इसका समुचित जवाब देने में सक्षम नहीं हैं या फिर जवाब देना नहीं चाहते.
स्थानीय अधिकारी कम बिजली मिलने का रोना रो रहे हैं और सेंट्रल लोड डिस्पैच (सीएलडी) के अधिकारियों का दावा है कि गया को पर्याप्त बिजली दी जा रही है. ऐसे में सवाल उठता है कि बिजली आखिर कहां जा रही है? कम बिजली मिलने का बहाना बना कर कहीं स्थानीय अधिकारी उपभोक्ताओं को ठगने का काम तो नहीं कर रहे हैं?
पहली मार्च से गया व बोधगया में बिजली की जिम्मेवारी संभालने निजी कंपनी इंडिया पावर आयी. कंपनी के अधिकारियों ने उपभोक्ताओं को नियमित रूप से निर्बाध बिजली आपूर्ति करने के लिए भरोसा भी दिया.
इस उम्मीद में कि 24 घंटे बिजली मिलेगी, उपभोक्ताओं ने महंगे बिजली उपकरण अपने-अपने घरों में लगा लिये. लेकिन, निजी कंपनी को अब तक बिजली व्यवस्था की पूरी जिम्मेदारी नहीं सौंपी गयी है. एक मई को निजी कंपनी को पूरी जिम्मेदारी संभालने की बात सामने आयी थी. लेकिन, लोकसभा चुनाव की आदर्श आचार संहिता के कारण यह नहीं हो सका. अब पहली जून को निजी कंपनी को बिजली व्यवस्था की पूरी जिम्मेवारी संभालने की तिथि तय की गयी है. इस बीच, बिजली की स्थिति सुधरने के बजाय बिगड़ती जा रही है, जो उपभोक्ताओं को नागवार गुजरने लगी है.