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आरटीआई की जानकारी में गलत निकला बीएसएनएल का दावा

प्रधान डाकघर की जमीन पोस्टल विभाग की संपत्ति पोस्टल डिपार्टमेंट नगर निगम को देता है होल्डिंग टैक्स बीएसएनएल को कहा गया था, खाली करें जमीन व बिल्डिंग शुरू होना है पासपोर्ट सेवा केंद्र गया : जीबी रोड स्थित प्रधान डाकघर की संपत्ति को लेकर बीएसएनएल का दावा पूरी तरह गलत साबित हुआ है. आरटीआई के […]

प्रधान डाकघर की जमीन पोस्टल विभाग की संपत्ति

पोस्टल डिपार्टमेंट नगर निगम को देता है होल्डिंग टैक्स
बीएसएनएल को कहा गया था, खाली करें जमीन व बिल्डिंग
शुरू होना है पासपोर्ट सेवा केंद्र
गया : जीबी रोड स्थित प्रधान डाकघर की संपत्ति को लेकर बीएसएनएल का दावा पूरी तरह गलत साबित हुआ है. आरटीआई के तहत प्रधान डाकघर की जमीन एवं बिल्डिंग को लेकर मांगी गयी सूचना में इस बात का खुलासा हुआ है कि बीएसएनएल ने प्रधान डाकघर की संपत्ति पर दो दशकों से अतिक्रमण कर रखा है. बीएसएनएल के इस रवैये के कारण गया के लोगों को पिछले कई माह से पासपोर्ट सेवा केंद्र से वंचित होना पड़ रहा है. गौरतलब है कि प्रभात खबर ने 30 दिसंबर के अंक में ‘नहीं खुल रहा पासपोर्ट ऑफिस’ शीर्षक से खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था. इस खबर के प्रकाशन के कुछ दिनों बाद ही बीएसएनएल ने अखबार में छपी खबर को लेकर आपत्ति जताते हुए खबर को तथ्यहीन बताया था.
1974 में संचार विभाग से अलग हुआ था पोस्टल व बीएसएनएल : गौरतलब है कि संचार विभाग के तहत ही पोस्टल व टेलीफोन महकमा आता था. जीबी रोड स्थित संचार केंद्र में ही इसका कार्यालय था. वर्ष 1974-75 में सर्किल लेवल पर डिपार्टमेंट ऑफ पोस्ट व डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्यूनिकेशन को संचार विभाग से अलग करते हुए दो डिपार्टमेंट बनाये गये. वर्ष 1985-86 में डायरेक्टर लेवल पर दोनों विभागों के बीच 60-40 के अनुपात में संचार केंद्र की इस संपत्ति का बंटवारा किया गया. इस बंटवारे में पोस्टल को भूमि व भवन समेत 60 फीसदी हिस्सा दिया गया वहीं बीएसएनएल को 40 फीसदी. दोनों विभागों के बीच अधिकारी स्तर पर इस बात पर लिखित सहमति बनी थी कि जब तक बीएसएनएल के खुद का ऑफिस तैयार नहीं हो जाता तब तक वह संचार केंद्र के उत्तरी हिस्से वाली जमीन पर अपना कार्यालय संचालित कर सकता है. बीएसएनएल का ऑफिस तैयार होते ही उसे पोस्टल डिपार्टमेंट की संपत्ति को लौटाना होगा. संचार केंद्र के समीप ही कुछ सालों के अंदर ही बीएसएनएल का मल्डी स्टोरेज बिल्डिंग तैयार हो गया, जहां सारे अधिकारी व कर्मचारी शिफ्ट हो गये.
खाली कराने को लेकर शुरू हुआ पत्राचार : वर्ष 2001 से पोस्टल डिपार्टमेंट अपनी संपत्ति वापसी को लेकर बीएसएनएल के अधिकारियों से पत्राचार करता रहा है. लेकिन इस पत्राचार का फायदा कुछ भी नहीं हुआ है. 16 दिसंबर 2005 को बीएसएनएल ने छत पर आने जाने वाले रास्ते को पूरी तरह से ब्लॉक करते हुए अवैध निर्माण करवा दिया. जिसे लेकर तत्कालीन प्रवर डाक अधीक्षक ने चीफ पोस्टमास्टर जनरल पटना को पत्र लिखा था. इसमें उन्होंने उल्लेख किया था कि जब कार्यालय को बीएसएनएल के द्वारा कराये जा रहे अवैध निर्माण के बारे में जानकारी मिली तो कई लोग मौके पर पहुंचे और काम तुरंत बंद कराने को कहा. उस समय वहां मौजूद बीएसएनएल के अभियंता इस मामले को लेकर कुछ भी बातचीत करने से इन्कार कर दिया था. प्रधान डाकघर के तत्कालीन हेड पोस्टमास्टर महेश्वर राम व एसडीइ (बीएसएनएल सिविल) अशोक कुमार मौके पर पहुंच कर स्थिति से अवगत हुए. दोनों ने संचार विभाग से अलग होने के क्रम में तैयार किये गये मैप की स्टडी की तो यह पता चला कि बीएसएनएल के पास संपत्ति का 40 फीसदी व पोस्टल के पास 60 फीसदी हिस्सा है. इसके बाद निर्माणाधीन हिस्से को हटाया गया. दोनों विभागों के बीच 16 अगस्त व 10 सितंबर 2001, नौ जनवरी 2006, 14 जनवरी 2010, 13 अगस्त 2010, एक दिसंबर 2010, 23 सितंबर 2014, तीन अगस्त 2016, 24 नवंबर 2016, पांच जुलाई 2017 व 30 अक्तूबर 2017 को पत्राचार हुआ.
होल्डिंग टैक्स भरता है पोस्टल डिपार्टमेंट : प्रधान डाकघर का होल्डिंग नंबर 21 व 23 है. नगर निगम को हर वर्ष पोस्टल डिपार्टमेंट होल्डिंग टैक्स भरता है. हाल के कुछ वर्षो के अंदर प्रधान डाकघर कार्यालय में इंडियन पोस्टल पैंमेट बैंक, आधार केंद्र कार्यालय चालू होना है. इसके अलावा पासपोर्ट सेवा केंद्र भी बनना है. लेकिन जमीन की कमी के कारण पोस्टल महकमा परेशानी का सामना कर रहा है. वहीं बीएसएनएल इस मामले को लेकर अड़ियल रवैया अपनाये हुए हैं, जिसका खामियाजा गया के उन हजारों लोगों को भुगतना पड़ रहा है जो पासपोर्ट सेवा नहीं होने के कारण पटना व दलालों के जरिये हजारों रुपये फूंक कर पासपोर्ट बनवाते हैं.
क्या कहते हैं अधिकारी
प्रधान डाकघर की संपत्ति बीएसएनएल की है. दोनों विभागों के बीच इस संपत्ति को लेकर कोई बंटवारा नहीं हुआ है. पोस्टल डिपार्टमेंट जान बूझ कर इस मामले को तूल दे रहा है. पासपोर्ट सेवा केंद्र खोलने के लिए उसके पास शहर में जमीन की कमी नहीं है. हम अपनी संपत्ति को नहीं छोड़ने वाले.
बीएन सिंह, प्रधान महाप्रबंधक, बीएसएनएल

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