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सीता कह रहीं सांस्कृतिक क्षरण रोकें : कुलपति

दरभंगा : धरती पुत्री माता सीता मिथिला की संस्कृति की याद दिला रही हैं. हमें सांस्कृतिक क्षरण रोकने के लिए कह रही हैं. यह बात लनामिवि के वीसी प्रो. सुरेन्द्र कुमार सिंह ने कही. वे गुरुवार को एमएमटीएम कालेज सभागार में विद्यापति सेवा संस्थान की ओर से आयोजित श्रीसीता पूजनोत्सव सह मैथिली दिवस समारोह में […]

दरभंगा : धरती पुत्री माता सीता मिथिला की संस्कृति की याद दिला रही हैं. हमें सांस्कृतिक क्षरण रोकने के लिए कह रही हैं. यह बात लनामिवि के वीसी प्रो. सुरेन्द्र कुमार सिंह ने कही. वे गुरुवार को एमएमटीएम कालेज सभागार में विद्यापति सेवा संस्थान की ओर से आयोजित श्रीसीता पूजनोत्सव सह मैथिली दिवस समारोह में बोल रहे थे. समारोह का उद्घाटन करने के बाद उन्होंने आयोजन स्थल पर बांये हाथ में शिवधनुष उठाये माता की पूजी गई मूर्ति की प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसी आकर्षक मूर्ति कम ही देखने को मिलती है जो अभिभूत कर दे. माता की मूर्ति हमसे सांस्कृतिक संरक्षण की अपेक्षा कर रही. एमएमटीएम को इसका केंद्र बनाया जाना चाहिए.

कुलपति ने मिथिला की समृद्ध संस्कृति व अतिथि सत्कार की परंपरा की चर्चा करते हुए कहा कि इसके प्रसार के लिए भाषा का प्रसार अत्यंत आवश्यक है. भाषा को आगे बढ़ाये बिना यह कदापि संभव नहीं है. उन्होंने बिहार समेत देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में इस क्लासिकल भाषा की पढ़ाई के लिए प्रयास किए जाने के साथ ही मारीशस समेत विदेशों में उच्च पदस्थ मिथिलावासियों से संपर्क साधकर इस मुहिम को आगे बढ़ाने का सुझाव भी दिया. सांसद द्वारा विवि में प्रस्तावित ज्ञान केंद्र काफी हाउस की जगह इसका नामकरण मण्डन मिश्र सरीखे विद्वान के रखे जाने का आग्रह भी किया.
मुख्य अतिथि पद से कासिंद संस्कृत विवि के वीसी प्रो. सर्वनारायण झा ने समय, संस्कृति, प्रकृति, जन्म व प्राकट्य की मिथिला और अयोध्या के संदर्भ में व्याख्या करते हुए अपने विचार रखे. विशिष्ट अतिथि पूर्व विधान पार्षद प्रो. विनोद कुमार चौधरी ने मिथिला-मैथिली के सर्वांगीण विकास के लिए सभी से सन्नद्ध होने आह्वान करते हुए हर कदम पर साथ देने का भरोसा दिया. मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष कमलाकांत झा ने मैथिली की व्यापकता को रखा. अतिथियों का स्वागत करते हुए संस्थान के महासचिव डाॅ बैद्यनाथ चौधरी ‘बैजू’ ने मिथिला की उपेक्षा की चर्चा करते हुए सीता-प्राकट्य स्थली को लेकर केंद्रीय मंत्री द्वारा संसद में दिये गये बयान पर रोष का इजहार किया. संचालन कर रहे प्रो. अमलेन्दु शेखर पाठक ने मिथिलावासियों से आग्रह किया कि सभी जानकी प्राकट्य स्थली सीतामढ़ी के पुनौरा को विश्व पटल पर स्थापित करने के लिए समवेत प्रयास करें.
अध्यक्षता करते हुए लनामिवि के प्रतिकुलपति प्रो.जय गोपाल ने कहा कि सीता भारतीय इतिहास में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं. उनकी सहनशीलता पातिव्रत आदर्श है. कहा कि माता और मातृभाषा के प्रति सभी संवेदनशील हों. मिथिला की सांस्कृतिक समृद्धि के बाद भी आर्थिक समृद्धि नहीं होने को उन्होंने चिंताजनक बताया. प्रधानाचार्य डाॅ उदयकांत मिश्र के आभार से संपन्न कार्यक्रम में कार्यकारी अध्यक्ष डाॅ बुचरू पासवान ने विचार रखे.

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