दरभंगा : शव के साथ सहकर्मी पुलिस लाइन में घंटों आक्रोश प्रदर्शित करते रहे. डीआइजी सुकन पासवान तथा एसएसपी सत्यवीर सिंह के पहुंचने के बाद ही वे शांत हुए. एसएसपी ने विधिसम्मत कार्रवाई का आश्वासन दिया. पुलिस कर्मी सार्जेंट मेजर पर मनमानी करने का आरोप लगा रहे थे. साथ ही पुलिस लाइन में सुविधाओं का […]
दरभंगा : शव के साथ सहकर्मी पुलिस लाइन में घंटों आक्रोश प्रदर्शित करते रहे. डीआइजी सुकन पासवान तथा एसएसपी सत्यवीर सिंह के पहुंचने के बाद ही वे शांत हुए. एसएसपी ने विधिसम्मत कार्रवाई का आश्वासन दिया. पुलिस कर्मी सार्जेंट मेजर पर मनमानी करने का आरोप लगा रहे थे.
साथ ही पुलिस लाइन में सुविधाओं का अभाव के विषय में उन्हें जानकारी देते हुए व्यवस्था बहाल करने की मांग की. एसएसपी ने सभी को आश्वस्त किया. उन्होंने कहा कि वे अभी आये ही हैं. पंचायत चुनाव चल रहा है. इसके संपन्न होते ही वे व्यवस्था को दुरूस्त करेंगे.
घंटों समझाते रहे डीएसपी: शव के साथ प्रदर्शन कर रहे आक्रोशित आरक्षियों को डीएसपी दिलनवाज अहमद कई बार समझाते नजर आये. कई बार के प्रयास के बाद भी उन्हें सफलता नहीं मिली. आक्रोशित सहकर्मी एसएसपी के आने की मांग पर अड़े हुए थे. श्री अहमद के साथ प्रशिक्षु डीएसपी रश्मि व लहेरियासराय थानाध्यक्ष जयप्रकाश सिंह भी शांत कराने में लगे हुए थे.
बीमार हालत में करनी पड़ रही ड्यूटी: पुलिस लाइन में कई ऐसे कर्मी हैं जिन्हें स्वास्थ्य बिगड़ने के बावजूद अपनी ड्यूटी करनी पड़ रही है. बताया जाता है कि एक अन्य महिला आरक्षी की तबियत बहुत खराब है. उसे लगभग 6-7 स्लाइन की बोतल चढ़ायी गयी है. इसके बाद भी उससे ड्यूटी ली जा रही है. वहीं एक अन्य पुलिस कर्मी जनार्दन ठाकुर बीमार है. उन्हें छुट्टी नहीं मिल रही है. आक्रोशित आरक्षियों का कहना है कि ऐसे कई पुलिसकर्मी है जिनकी स्थिति नाजुक बनी हुई है.
बुनियादी सुविधाओं का अभाव: पुलिस लाइन में रह रहे कई पुलिस कर्मियों का कहना है कि यहां बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है. रहने की व्यवस्था का यह है कि एक ही कमरे में कई-कई कर्मियों को रखा जाता है. वहीं शौचालय की स्थिति तो इतनी बदतर है कि उसके बारे में कुछ कहना ही बेकार है. इन सुविधाओं की ओर ध्यान देने वाला कोई नहीं है.
सार्जेंट मेजर पर गंभीर आरोप: पुलिस कर्मी सार्जेंट मेजर पर मनमानी करने का आरोप लगा रहे थे. उनलोगों का कहना था कि गंभीर रूप से बीमार होने पर भी वे छुट्टी का आवेदन नहीं लेते हैं. वहीं उसके लिए जाने पर वे अपशब्द का इस्तेमाल करते हुए भगा देते हैं. कई कर्मी तो उनपर अवैध राशि मांगने का गंभीर आरोप लगा रहे थे. सभी उन्हें हटाने की मांग कर रहे थे. वैसे यह जांच का विषय है. सत्यता तो इसके बाद ही सामने आयेगी.