दरभंगा : जल संरक्षण सिर्फ नारों या विचारों से नहीं होने वाला है. इसके लिए प्रबुद्घ लोगों को जमीनी स्तर पर कार्य करना होगा. आमलोगों को जल के एक-एक बूंद की कीमत समझनी होगी, तभी आने-वाले जल संकट से बचा जा सकता है. हमलोग जिस तरह से प्रकृति का दोहन कर रहे है अगर उस पर रोक नहीं लगाते है
तो प्रकृति भी हमसे बदला लेगी और प्रकृति का बदला कितना खतरनाक होता है इसका जीता-जागता उदाहरण केदारनाथ में मची तबाही है. उक्त बातें स्वयंसेवी संस्था डा. प्रभात दास फाउंडेशन एवं नागेंद्र झा महिला महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘जल संरक्षण : जरूरत भी, कर्त्तव्य भी” विषयक संगोष्ठी में भाषण देते हुए एमआरएम महिला महाविद्यालय के प्राचार्य सह पर्यावरणविद डाॅ विद्यानाथ झा ने कही.
उन्होंने कहा कि आज सजग न हुए तो आनेवाली पीढ़ी हमें माफ नहीं करेंगी.इसके लिये अधिक से अधिक पेड़ लगाने, वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम आदि के जरिए जल संरक्षित करने के उपायों के बारे में जानकारी दी. डॉ सुधा ठाकुर ने कहा कि जल संरक्षण सभी का दायिक्त है. अगर अविलंब पहल नहीं की जाती है तो आनेवाले दिनों में बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा.
युद्घ स्तर पर प्रयास कर कुआं-तालाबों आदि को बचाना होगा, ताकि वर्षा का का जल भूमि में संचित हो सके. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ ऋषि कुमार राय ने कहा कि जल संरक्षण करने के लिए हरेक व्यक्ति को स्वत: आगे आना होगा और इसकी शुरूआत अपने परिवार से करें, तभी यह अभियान सफल हो सकता हैं.
श्री राय ने छात्राओं को शपथ दिलाया कि वे आजीवन पानी के बूंद-बूंद की रक्षा करेगी. संगोष्ठी में प्रो़ शहनाज बेगम, प्रो़ अर्चना चौधरी, प्रो़ अरिवंद कुमार झा, डॉ अर्पना झा, कमोद कुमार झा ने भी विचार व्यक्त किया. कार्यक्रम का संचालन डॉ महादेव झा ने किया. जबकि अतिथियों का स्वागत फाउंडेशन के राज्य समन्वयक मुकेश कुमार झा ने किया और धन्यवाद ज्ञापन प्रो़ सरोज राय ने दिया. संगोष्ठी में शेफाली भारद्वाज, मेहनाज फातमा, ऋचा राज सहित कई अन्य छात्राओं को पुरस्कृत भी किया गया. मौके पर फाउण्डेशन के राजकुमार गणेशन, अनिल कुमार सिंह, मनीष आनंद, रवींद्र चौधरी आदि मौजूद थे.