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सरकारें बदली, जनप्रतिनिधि बदले पर नहीं बदली रही टोल की कस्मित

सरकारें बदली, जनप्रतिनिधि बदले पर नहीं बदली रही टोल की किस्मत फोटो :::परिचय : अहियारी पंचायत के रहिटोल की सड़क का हाल ए दास्तान. कमतौल. सरकारें बदली, जनप्रतिनिधि बदले, नहीं बदली तो जाले प्रखंड अंतर्गत अहियारी दक्षिणी पंचायत के रही टोला की तसवीर. गांव के लोग बारिश के अलावा अन्य दिनों में भी जनप्रतिनिधियों को […]

सरकारें बदली, जनप्रतिनिधि बदले पर नहीं बदली रही टोल की किस्मत फोटो :::परिचय : अहियारी पंचायत के रहिटोल की सड़क का हाल ए दास्तान. कमतौल. सरकारें बदली, जनप्रतिनिधि बदले, नहीं बदली तो जाले प्रखंड अंतर्गत अहियारी दक्षिणी पंचायत के रही टोला की तसवीर. गांव के लोग बारिश के अलावा अन्य दिनों में भी जनप्रतिनिधियों को कोसते नजर आते हैं. जाले विधानसभा के पूरब-दक्षिण और केवटी विधान सभा के उत्तर-पश्चिम सीमा का यह गांव वर्षों से उपेक्षित है़ ग्रामीणों की गुहार के बाद भी किसी जनप्रतिनिधि ने इसकी तस्वीर बदलने की कोशिश नहीं की़ पंचायती राज के जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का दंश झेल रहे ग्रामवासी में से कई बुजुर्ग तो एक अदद पीसीसी सड़क बनने के इन्तजार में काल कलवित हो गये, युवाओं में बुढ़ापे का असर दिखने लगा है, परन्तु बच्चे गांव में सड़क बनने और उस पर उड़ान भरने की सोच रहे हैं, परन्तु उनका सपना कब साकार होगा, कहा नहीं जा सकता़ करीब दो-ढ़ाई हजार की आबादी और 700 वोटर वाले गांव की कहानी आज भी गुजरे जमाने की के गांव की कहानी बयां करती है़ गांव में आने-जाने के लिए पैदल या दो पहिया वाहन ही सहारा है़ चार पहिया वाहन बड़ी मुश्किल से आ-जा पाते हैं. रिक्शा चालक तो गांव का नाम सुनते ही कन्नी काट लेते हैं. रहिटोल निवासी वकील यादव, दुखन यादव, अनवारूल, सुकुमारी देवी आदि कई ग्रामीणों की मानें तो बारिश के समय वृद्ध, बीमार, गर्भवती और लाचार लोगों को चारपाई पर रखकर कन्धों पर ले जाना पड़ता है़ जो नहीं जा पाते वे झोला छाप चिकित्सकों की शरण में जाने को विवश होते या उपचार के भाव में दम तोड़ देते हैं. गांव से पूरब करीब चार किमी टेकटार तथा करीब सात किमी कमतौल की दूरी है़ कमतौल की ओर कुछ दूरी तक पगडण्डी के सहारे गुजरने के बाद डीकेबीएम एसएच 75 पथ तक पहुंचा जा सकता है़ परन्तु टेकटार की ओर से गुजरना बड़ा ही मुश्किल काम होता है़ सड़क का नामोनिशान मिट रहा है़ पगडण्डी नुमा सड़क पर चलना बरसात के महीनों में मुश्किल भरा कदम होता है़ ग्रामीणों ने बताया कि केवटी विस के दमोदरी पोखर से जाले विस के अहल्यास्थान तक करीब चार किमी सड़क का निर्माण करा दिया जाय तो सिर्फ गांव की सूरत ही नहीं बदलेगी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर और सीतामढ़ी तीन जिला के सीमावर्ती गांव आने-जाने वाले राहगीरों को गंतव्य तक पहुंचने में भी कम समय लगेगा़ ग्रामीण जीनिस लाल यादव ने बताया की 16 जनवरी 2001 को तत्कालीन पथ निर्माण मंत्री को आवेदन दिया गया़ एक सप्ताह बाद कारवाई भी शुरू हुई़ 23, 24, 25 जनवरी को सड़क की मापी करवाई गयी़ पीएमजीएसवाई योजना में चयनित होने के बाद राशि आवंटित होने की बात बतायी गयी, परन्तु सड़क का निर्माण नहीं हो सका़ वर्ष 2009 में गुजरनेवाली सड़क पर मोईन में करोड़ों रूपये की लगत से एक पुल का निर्माण करवा दिया गया़ बावजूद सड़क नहीं बनी़ हालांकि एक ग्रामीण बुजुर्ग राम विलास यादव ने अब भी हिम्मत नहीं हारी है़ उन्होंने जनप्रतिनिधियों पर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए गांव की सड़क को मुख्य सड़क से जोड़ने के लिए पीएम से गुहार लगायी है़ उनके पत्र को स्वीकार कर पीएमओ ने बिहार सरकार के ग्रामीण विकास विभाग को अग्रसारित करते हुए कार्रवाई करने की बात कही है़

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