गेंहू में खर-पतवार का नियंत्रण जरुरीतृणनाशी रसायनों का करें प्रयोग जाले. गेंहू की फसल में खर-पतवार के कारण उपज में 10 से 40 प्रतिशत तक की कमी हो जाती है़ इसलिए खर-पतवारों का नियंत्रण अत्यन्त ही जरुरी है़ यह जानकारी देते हुए स्थानीय कृषि विज्ञान केन्द्र के समन्व्यक सह शस्य वैज्ञानिक डा अनुपमा ने बताया कि गेंहू की पंक्तिबद्ध बुआई के 25 से 30 दिनों के बाद हैण्डहो द्वारा निरोई का उपज पर अच्छा प्रभाव पाया गया है़ इसके अतिरिक्त रसायनों द्वारा खर-पतवार नियंत्रण काफी लाभदायक होता है़ रसायनों द्वारा खर-पतवार का नियंत्रण की अवस्था में खेत में पर्याप्त नमी का होना काफी महवपूर्ण होता हैै़ सामान्यत: प्रथम सिंचाई के पश्चात् की अवधि इसके लिए काफी उपयुक्त है़ तृणनाशी रसायनों द्वारा खर-पतवार नियंत्रण कम खर्च में हो जाता है़ चौड़ी पत्ती वाले खर-पतवार जैसे बथुआ, कृष्णनील, हिरणखुटी आदि के नियंत्रण हेतु 2-4-डी नामक तृणनाशी रसायन का 800 ग्राम सक्रिय तव(1 किलो ग्राम दवा) 500-600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से बुआई के 25 से 30 दिनों के बाद छिड़काव करना चाहिए़ कटैया, भुटकइयां आदि के नियंत्रण हेतु काटफेन्ट्राजोन(नाबूद अथवा ऐफीनीटी) 20 ग्राम सक्रिय तव(50 ग्राम दवा) 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से बुआई के 30 से 35 दिनों के बाद छिड़काव करना चाहिए़ सकरी पत्ती वाले खर-पतवारों जैसे गेहॅूआ और जंगली जई आदि का नियंत्रण के लिए सल्फोसल्फ्युरॉन 25 ग्राम सक्रिय तव(33 ग्राम प्रति हेक्टेयर) अथवा क्लोडिनोकॉप 60 ग्राम सक्रिय तव(400 ग्राम प्रति हेक्टेयर) को 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से बुआई के 30 से 35 दिनों के बाद छिड़काव करना चाहिए़ चौड़ी पत्ती एवं सकरी पत्ती वाले दोनो खर-पतवार अगर एक साथ खेतों मे हो तब सल्फोसल्फूरान 25 ग्राम एवं मेटसल्फूरॉन 4 ग्राम का सक्रिय तव(33ग्राम एवं 20 ग्राम) दवा को 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से बुआई के 30 से 35 दिनों के बाद छिड़काव रने से सभी प्रकार के खर-पतवार पर अच्छी तरह से नियंत्रण किया जा सकता है़
गेंहू में खर-पतवार का नियंत्रण जरुरी
गेंहू में खर-पतवार का नियंत्रण जरुरीतृणनाशी रसायनों का करें प्रयोग जाले. गेंहू की फसल में खर-पतवार के कारण उपज में 10 से 40 प्रतिशत तक की कमी हो जाती है़ इसलिए खर-पतवारों का नियंत्रण अत्यन्त ही जरुरी है़ यह जानकारी देते हुए स्थानीय कृषि विज्ञान केन्द्र के समन्व्यक सह शस्य वैज्ञानिक डा अनुपमा ने बताया […]
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