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कैंपस- शोध में इतिहास के छात्रों की सर्वाधिक रुचि

कैंपस- शोध में इतिहास के छात्रों की सर्वाधिक रुचि 18 माह में हुए शोध का लेखा-जोखाविज्ञान के प्राणीशास्त्र में सर्वाधिक 27 हुए शोधभाषा व सहित्य में अंग्रेजी सबसे आगेइतिहास में 51 छात्र-छात्रा हुए पीएचडी से पुरस्कृतसंस्कृत विषय में एक भी शोध नहीं हुए उक्त अवधि के दौरानप्रतिनिधि, दरभंगा़ लनामिवि में विभिन्न विषयों में चल रहे […]

कैंपस- शोध में इतिहास के छात्रों की सर्वाधिक रुचि 18 माह में हुए शोध का लेखा-जोखाविज्ञान के प्राणीशास्त्र में सर्वाधिक 27 हुए शोधभाषा व सहित्य में अंग्रेजी सबसे आगेइतिहास में 51 छात्र-छात्रा हुए पीएचडी से पुरस्कृतसंस्कृत विषय में एक भी शोध नहीं हुए उक्त अवधि के दौरानप्रतिनिधि, दरभंगा़ लनामिवि में विभिन्न विषयों में चल रहे शोध कार्यों एवं एक निश्चित अवधि में शोध से संबंधित पीएचडी डिग्री से पुरस्कृत छात्र-छात्राओं के प्राप्त सांख्यिकी से स्पष्ट होता है कि यहां सबसे अधिक शोध इतिहास विषय में हुआ है. इस विषय के अध्ययनरत छात्र-छात्राओं में शोध के प्रति सबसे अधिक अभिरुचि है. वहीं विज्ञान के विषयों में सर्वाधिक शोध जू लॉजी विषय में हुआ है, जबकि गणित में यह आंकड़ा शून्य है. भाषा एवं साहित्य के क्षेत्र में सर्वाधिक शोध कार्य अंग्र्रेजी विषय में पूरा हुए है. वहीं वाणिज्य एवं व्यवसाय प्रशासन का क्षेत्र यद्यपि लोकप्रिय होने के बावजूद शोध कार्य की संख्या आनुपातिक कम दिखती है. संस्कृत भाषा में भी शोध से पुरस्कृत होनेवाले छात्रों की संख्या शून्य है. प्राप्त आंकड़े बताते हैं कि इतिहास विषय में पीएचडी से पुरस्कृत छात्रों की संख्या सर्वाधिक 51 है. उक्त आंकड़े माह फरवरी 204 से अगस्त 2015 तक की है. भाषा एवं साहित्य के अंग्रेजी विषय में सर्वाधिक शोध कार्य 24 हुए हैं. जबकि इस क्षेत्र में उक्त अवधि के अंतर्गत एक भी शोध कार्य नहीं पूरा हो सका है. इसके बाद उर्दू 18, हिंदी 14 व मैथिली में 13 शोध पूरा किये गये हैं. विज्ञान विषयों में सबसे कम संख्या बॉयोटेक विषय मेें है, इसमें 2 छात्र पीएचडी डिग्री से पुरस्कृत हो सके.लनामिवि के दर्शनशास्त्र विभागों में नामांकित छात्र छात्रों की संख्या की जो प्रवृत्ति रही है. उसमें शोध से पुरस्कृत 4 छात्रों की संख्या संतोषप्रद परिणाम को साबित करता है. जबकि मनोविज्ञान में छात्र-छात्राओं की संख्या को देखते हुए शोध के प्रति आकर्षण कम दिखता है. आंकड़ों से स्पष्ट है कि उक्त 18 माह की अवधि में मात्र 8 छात्र ही शोध की डिग्री से सम्मानित हुए हैं. कमोवेश स्थिति अर्थशास्त्र विषय में हुए शोध की भी है. जहां अर्थशास्त्र में पीएचडी डिग्री पानेवालों की संख्या भी 8 दिख रही है. समाजशास्त्र विभाग में शोध करनेवाले छात्र-छात्राओं की संख्या इतिहास के बाद है. इस विषय में इस डिग्री से 33 छात्र-छात्राएं पुरस्कृत हो सके हैं. वहीं भूगोल विषय में भी शोध करनेवालों की अभिरुचि उत्साहवर्द्धक नहीं दिख रही है. इस विषय में उक्त अवधि के अंतर्गत इस विषय में मा. 11 छात्र-छात्राओं को ही डिग्री मिल पायी है. वाणिज्य के क्षेत्र में विभिन्न सत्रों में नामांकित छात्र-छात्राओं की संख्या 300 से अधिक रहती है. जबकि 18 माह में सिर्फ 17 छात्र-छात्राओं ने डिग्री हासिल करने में सफलता पायी है. कृपया इसे बॉक्स में डालें……फरवरी 2014 से अगस्त 2015 के बीच पीएचडी डिग्री प्राप्त करनेवालों की संख्यामेडिसिन- 8बॉयोटेके- 2जूलोजी- 27रसायन- 14भौतिकी- 6गणित- 0बॉटनी- 4उर्दू- 18मैथिली – 13हिंदी- 14अंग्रेजी- 24संस्कृत- 0फिलॉस्फी- 4संगीत- 9गृह विज्ञान- 22मनोविज्ञान- 8सामाजिक विज्ञान- 33अर्थशास्त्र 8राजनीतिशास्त्र – 22भूगोल- 11इतिहास- 51वाणिज्य – 17एमबीए- 6एआइपी- 10

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