दुर्गा पूजा पंडालों में बजते भक्तिगीतों के बीच चुनावी शोर भी परवान चढ़ रहा है. दरभंगा जिले में ऐसा कोई बाजार नहीं दिखता है, जहां पूजा की चहल-पहल नहीं हो. दस विधानसभा वाले इस जिले में नेताओं की जुबानी जंग दुर्गा पूजा के बाद शुरू होगी. अभी वोटरों के बीच पैठ बनाने का काम चल रहा है.
प्रत्याशी गांव-गांव घूम रहे हैं. इस बीच वोटर भी मन बनाने में जुटे हैं कि पांच नवंबर को किसके पक्ष में मतदान किया जाये, लेकिन रटे-रटाये जुमलों को छोड़ कर वो कुछ भी बोलने को तैयार नहीं दिखते हैं. दरभंगा की नब्ज टटोलती मुजफ्फरपुर संस्करण के संपादक शैलेंद्र की रिपोर्ट.
इस भे नेता विकासक बात करइत अइछ, मुदा चुनाव भैला के बाद सब बिसर जाइ छय. एना में इनका सभक पर विश्वास करनाय बड़ा मुश्किल अइछ. हम त विकासक मुदा पर वोट दिया चहयै छि, मुदा विकास के करता? इ बात समझ में नई आइब रहल अइछ. हमरा सभक जल-जमाव से मुक्ति चाहि, जे मुक्ति करैता, हमर वोट होनके पड़त. ये कहते हुये मुक्तेश्वर झा दरभंगा टावर चौक की ओर आगे बढ़ रहे हैं.
उनके साथ गिरींद्र भी हैं, जो कुछ प्रतिवाद की कोशिश करते हैं, लेकिन मुक्तेश्वर कुछ सुनने को तैयार नहीं. वो उन्हें झिड़क देते हैं. कहते हैं, नेताओं की क्या बात करते हो? चुनाव से पहले सब बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, लेकिन चुनाव की घोषणा के साथ तुष्टिकरण का खेल शुरू हो जाता है. ये स्थिति जब तक नहीं बदलेगी. हम लोग ऐसे ही परेशानी में फंसे रहेंगे?
दरभंगा तालाबों का जिला माना जाता है. मखाना का उत्पादन भी यहां बड़े पैमाने पर होता है, जिसकी झलक टावर चौक के आसपास दिख जाती है, जो धीरे-धीरे शहर की धड़कन का प्रतीक बन गया है. टावर चौक के आसपास के इलाके में बड़ा बाजार है.
इसके बाद लहेरियासराय का नंबर आता है, जहां प्रशासनिक कार्यालय हैं. बड़ा बाजार भी बन गया है. टॉवर चौक के एक कोने में जूस का ठेला लगानेवाले सूरज सहनी से बात होती है. वो कहते हैं, हमारी पार्टी तो पहले से तय है. हमारे गाजिर्यन (अभिभावक) उसी को वोट देते आ रहे हैं और हम भी उसी को देंगे. प्रत्याशी मायने नहीं रखता. कोई भी और कैसा भी हो.
हम वोट उसी पार्टी को देंगे. ये कहते हुये सूरज जूस निकालने में लग जाते हैं. पास में टेलर मास्टर की दुकान है, जहां इम्तियाज व असफाक अहमद बैठे हैं. दोनों कपड़ा लेने के लिए आये हैं, लेकिन टेलर मास्टर दुकान की रखवाली का जिम्मा इन्हें देकर कहीं चले गये हैं. दोनों खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं. बिना पूछे ही बोलने लगते हैं कि ये हमारी दुकान नहीं है. हम तो यहां कपड़ा लेने आये थे, लेकिन दुकान देखना पड़ रहा है. चुनाव में बदलाव की बात दोनों करते हैं. कहते हैं, विकास तो मुद्दा है ही.
25 साल से रेडिमेड की दुकान चलानेवाले अशोक गुप्ता की सोच अलग है. कहते हैं, बहुत बदलाव हुआ है. अपराध में कमी आयी है. हम उन लोगों में नहीं हैं, जो किसी बहकावे में आयेंगे. हमने सब कर रखा है. नवीन वालय के मालिक दिनेश कुमार शहर के बड़े व्यवसायियों में हैं.
चुनावी चर्चा शुरू होते ही केंद्र व राज्य सरकार के कामों की तुलना करने लगते हैं. कहते हैं, हमारी कुछ शंकायें हैं. इन्हीं को लेकर हम आपस में बात करते हैं. किस पार्टी को वोट देना है. इस पर भी अशोक खुल कर बोलते हैं. इन्हीं की दुकान में काम करनेवाले नागेश्वर पंडित 71 साल के हो चुके हैं. पचास साल से काम कर रहे हैं. कपड़े की गांठ सुलझाते हुये कहते हैं, वोट के बारे में हम अभी कुछ नहीं कह सकते. हमारे यहां जात-पांति के नाम पर वोट नहीं पड़ता.
दरभंगा टावर चौक के पास शंभू की चाय की दुकान प्रसिद्ध है. 52 साल पुरानी दुकान शंभू की दादी ने शुरू की थी. अब शंभू व उसके पिता मिल कर दुकान चलाते हैं. दिनभर में पचास लीटर दूध की चाय शंभू बनाते हैं. कहते हैं, अब तो दिन भर दुकान पर आनेवाले वोट की ही बात करते हैं. वोट डालने की बात पर शंभू कहते हैं कि ये भी कोई पूछने की बात है. हम तो वोट देंगे ही. हम चाहते हैं कि बिहार में एक अच्छी सरकार बने.
दरभंगा में पान की बिक्री भी खूब होती है, लेकिन पान की दुकान चलानेवाले राजू मंडल मायूस हैं. कहते हैं, हाल के सालों में गुटखे की वजह से पान की बिक्री मार खा रही है. गुटखे पर बैन लगा है, लेकिन अभी ये पूरी तरह से बंद नहीं हुआ है. वो बताते हैं जिले में तारालाही का पान सबसे प्रसिद्ध है. वहां का छोटा पत्ता खाने में मीठा लगता है. इसकी डिमांड भी खूब है. वोट के सवाल पर राजू कहते हैं, जो प्रयत्नशील है. उसी को वोट देंगे हम, ताकि वो अपना प्रयास जारी रख सके.
विकास व अपराध मुद्दा
दरभंगा के नगर अभियंता रहे सुशील कुमार अब समाज सेवा में लगे हैं. कहते हैं, अभी कुछ भी साफ नहीं है. किसको वोट मिलेगा, ये तो वोटर ही जानें, लेकिन विकास व अपराध हमारे जिले में मुद्दा है. सुशील में गिरावट की बात करते हैं. कहते हैं, इसमें सुधार बहुत जरूरी है. सुशील के भाई दिलीप कुमार भी अपराध को बड़ा मुद्दा मानते हैं. कहते हैं, अपराध कम होंगे तो विकास होगा.
कारखानों का टोटा
दरभंगा में दो औद्योगिक क्षेत्र हैं. एक बेला में और दूसरा दोनार इलाके में. यहां उद्योग के नाम पर छोटी-छोटी यूनिटें हैं. हाल में पीवीसी पाइप का कारखाना लगा है. इलाके के लोग कहते हैं कि कृषि आधारित उद्योग ही यहां पर लग सकता है, क्योंकि अशोक पेपर मिल का हश्र सब लोग देख रहे हैं.
बढ़ा जलजमाव
दरभंगा शहर में जल जमाव बड़ी समस्या है. बारिश के दिनों में ही नहीं. सामान्य दिनों में भी नालियों का पानी सड़कों पर बहता है. इसकी वजह शहर के तीन आउटलेट्स का बंद होना है. जानकार कहते हैं कि दरभंगा शहर की बनावट ऐसी है, जिससे परेशानियों का सामना करना ही पड़ेगा. दरभंगा टावर से आधा किलोमीटर दूर पश्चिम में बागमती नदी है, लेकिन शहर का पानी छह किलोमीटर दूर कमला नदी में जाता है. पहले शहर का विस्तार नहीं हुआ था, तो पानी निकल जाता था.
तीन मुख्य सड़कों का शहर
दरभंगा शहर में रहनेवाले लोग तीन प्रमुख सड़कों से होकर ही गुजरते हैं. इन सड़कों पर भी दिनोंदिन अतिक्रमण बढ़ता जा रहा है. पहले जो सड़क साठ फीट चौबी थी, वो अब घट कर 35 फीट के आसपास रह गयी है. ऐसे में यहां पर चलना मुश्किल होता है. आये दिन जाम लगता है. दरभंगा शहर में आनेवाले लोग अब इसके आदी होते जा रहे हैं. विनोद राम कहते हैं, हम इससे निजात
चाहते हैं? वहीं, नंदन कुमार कहते हैं कि मनु महराज को कुछ दिन और जिले का
एसएसपी रहना चाहिये था. शहर की व्यवस्था ठीक हो जाती.
बाइपास से मिलेगी राहत
चुनावी बयार में बाइपास भी मुद्दा बना हुआ है. यूनिवर्सिटी में पढ़नेवाले अभिषेक कहते हैं, अभी समस्तीपुर व मधुबनी से आनेवाले बड़े वाहनों को दरभंगा शहर के बीच से गुजरना पड़ता है. अगर बाइपास बन जायेगा, तो शहर को बड़े वाहनों के बोझ से मुक्ति मिलेगी. वो बताते हैं कि बाइपास के लिए दो साल पहले जमीन अधिग्रहण का काम हुआ था, लेकिन अभी तक बाइपास नहीं बन सका है. नेता आश्वासन तो देते हैं, लेकिन काम नहीं करते?
कुल सीटें 10 कुल मतदाता 2558668 मतदान 05 नवंबर को
जदयू/भाजपा राजद/लोजपा महागंठबंधन एनडीए
कुशेश्वरस्थान 28576 (भाजपा) 23064 (राजद) शशिभूषण हजारी (जदयू) धनंजय कुमार (लोजपा)
गौराबौराम 33258 (जदयू) 22656 (राजद) मदन सहनी (जदयू) विनोद सहनी (लोजपा)
बेनीपुर 43222 (भाजपा) 29265 (राजद) सनील कुमार चौधरी (जदयू) गोपालजी ठाकुर (भाजपा)
अलीनगर 32934 (जदयू) 37923 (राजद) अब्दुलबारी सिद्धीकी (राजद) मिश्रीलाल यादव (भाजपा)
दरभंगा ग्रा. 26100 (जदयू) 29776 (राजद) ललित यादव (राजद) नौशाद अहमद (हम)
दरभंगा 64136 (भाजपा) 36582 (राजद) ओम प्रकाश केडिया(राजद) संजय सरावगी (भाजपा)
हयाघाट 32023 (भाजपा) 25998 (लोजपा) अमरनाथ गामी (जदयू) रमेश चौधरी (लोजपा)
बहादुरपुर 27320 (जदयू) 26677 (राजद) भोला यादव (राजद) हरि सहनी (भाजपा)
केवटी 45791 (भाजपा) 45762 (राजद) फराम फातमी (राजद) अशोक कुमार यादव (भाजपा)
जाले 42590 (भाजपा) 25648 (राजद) ऋषि मिश्र (जदयू) जीवेश कुमार (भाजपा)