/रपृथक मिथिला राज्य को कांग्रेस उपाध्यक्ष ने दिया समर्थनदरभंगा : स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से मिथिला उपेक्षा का दंश भोग रहा हे. केंद्र और राज्य सरकार मिथिला का चिंता नहीं कर रही है, जिसके कारण मिथिला गरीबी के गड्ढे में गिरता जा रहा है. अपनी सांस्कृतिकक संपन्नता के लिए दुनिया में प्रसिद्ध मिथिला आर्थिक दृष्टिकोण से दिनानुदिन पिछड़ता जा रहा है. बाढ़ के निदान के लिए राज्य और केंद्र सरकार कोरा भरोसा देते हैं. ख्ेाती चौपट होने से कृषि मजदूर का भी पलायान बढ़ता जा रहा है. चीनी मिल, पेपर मिल, जूट मिल के बंद हो जाने से औद्योगिक मजदूर भी पलायन कर चुके हैं. हस्तकरघ, हस्तशिल्प, लघू उद्योग, सिल्क उद्योग बंदी के कगार पर है. मैथिली में प्राथमिक शिक्षा न होने से भाषा का भी समुचित विकास नहीं हो पा रहा है और मैथिली शिक्षक की बहाली विद्यालय से विश्वविद्यालय तक बंद है. पर्यटन का पुरातात्विक स्थल भी विकास की राह देख रहा है. अखिल भारतीय मिथिला राज्य संघर्ष समिति ने मंगलवार को समस्याओं के निदान के लिए धरना का आयोजन जंतर-मंतर पर किया. इस अवसर पर सैंकड़ो ंमिथिलावासी उपस्थित हुए. संघर्ष समिति के अध्यक्ष डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि पृथक मिथ्लिाा राज्य के गठन के बिना इन समस्याओं का निदान अंसभव है. समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता शिशिर कुमार झा ने मिथिला में एम्स, आइआइटी, आइआइएम, दरभंगा, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, भागलपुर और सहरसा को स्मार्ट सिटी घोषित करने, मिथिला से राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय विमान सेवा बहाली करने की मांग की. प्रदर्शन और धरना की अध्यक्षता अशोक झा ने की. इस अवसर पर ज्ञापन राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को दिवाकर झा के नेतृत्व में समर्पित किया गया.
/ू/रमिथिला राज्य संघर्ष समिति का जंतर-मंतर पर धरना
/रपृथक मिथिला राज्य को कांग्रेस उपाध्यक्ष ने दिया समर्थनदरभंगा : स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से मिथिला उपेक्षा का दंश भोग रहा हे. केंद्र और राज्य सरकार मिथिला का चिंता नहीं कर रही है, जिसके कारण मिथिला गरीबी के गड्ढे में गिरता जा रहा है. अपनी सांस्कृतिकक संपन्नता के लिए दुनिया में प्रसिद्ध मिथिला आर्थिक दृष्टिकोण […]
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