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ज्योतिष शास्त्र में विद्यमान हैं सभी वैज्ञानिक तत्व : वीसी
दरभंगा : ज्योतिष शास्त्र हमारा गौरव है एवं इसमें सभी वैज्ञानिक तत्व विद्यमान हैं. आवश्यकता है उन वैज्ञानिक तत्वों को जनसामान्य के बीच प्रसारित करने की. कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग में यूजीसी संपोषित राष्ट्रीय सेमिनार के उद्घाटन के अवसर पर कुलपति डा. देवनारायण झा ने यह बात कही. सेमिनार का विषय […]
दरभंगा : ज्योतिष शास्त्र हमारा गौरव है एवं इसमें सभी वैज्ञानिक तत्व विद्यमान हैं. आवश्यकता है उन वैज्ञानिक तत्वों को जनसामान्य के बीच प्रसारित करने की. कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग में यूजीसी संपोषित राष्ट्रीय सेमिनार के उद्घाटन के अवसर पर कुलपति डा. देवनारायण झा ने यह बात कही.
सेमिनार का विषय ‘ज्योतिषशास्त्रे मानावाधिकारस्य मूल्यांकनम्’ रखा गया था. इस अवसर पर संस्कृत शास्त्रों में विद्यमान मानवाधिकार के तत्वों पर सारतत्व प्रस्तुत करते हुये कुलपति डा. झा ने कहा कि वस्तुत: ऐसी संगोष्ठियों का उद्देश्य भी यही है. यदि संगोष्ठी के माध्यम से जनसाधारण को ज्योतिष शास्त्र में विद्यमान मानवाधिकार से संबंधित तथ्यों से अवगत करा सके तो यह समाज के लिये कल्याणकारक होगा. उन्होंने इस उद्देश्य की पूर्ति में सफल होने पर विश्वास प्रकट करते हुए संगोष्ठी की सफलता की शुभकामना दी.
इससें पूर्व देवी सरस्वती व महाराजाधिराज के चित्रों पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर कुलपति डा. झा ने संगोष्ठी का विधिवत उद्घाटन किया . मुख्य अतिथि डा. श्यामानन्द झा ने संस्कृत साहित्य विशेषत: ज्योतिष विद्या में विद्यमान मानवाधिकार के तत्वों को समाज के लिये उपयोगी बताते हुए स्पष्ट किया कि ये विचार निश्चय ही समाज का कल्याण करेंगे. विशिष्ट अतिथि बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डा. सच्चिदानंद मिश्र ने अपने उद्बोधन में कहा कि मानवाधिकार का संबंध मानवाधिकार से साक्षात नहीं हैं किंतु परोक्ष रुप से यह शास्त्र मानवाधिकार की स्थापना में सहयोग करता है.
यह शास्त्र काल ज्ञान के द्वारा मानव के कर्तव्यों के समय का निर्धारण करता है. इसलिए इसे वेदों का नेत्र माना गया हैं. वस्तुत: इसी शास्त्र के माध्यम से मनुष्य वेद एवं धर्मशास्त्र निहित अधिकारों एवं कर्तव्यों का दर्शन करता है. इस शास्त्र में मानव की प्रवृत्ति एवं उसके भावों का पर्याप्त वर्णन है जो मानवाधिकार ही है. राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान लखनऊ परिसर के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डा. मदन मोहन पाठक एवं पूर्व प्राचार्य डा. शिवाकांत झा ने भी संगोष्ठी में अपने विचार रखे एवं मानवाधिकार के क्षेत्र में ज्योतिष शास्त्र के महत्व को रेखांकित किया. समापन सत्र का संयोजन प्रो. शिवाकान्त झा ने किया.
अतिथियों का माल्यार्पण विभागाध्यक्ष डा. चित्रधर झा ने किया. कार्यक्रम का शुभारंभ डा. रतन कुमार मिश्र के वैदिक मंगलाचरण एवं डा. कुणाल कुमार के लौकिक मंगलाचरण से हुआ. डा. ममता ठाकुर ने कुलगीत प्रस्तुत किया.
स्वागत गान मैथिली कुमारी ने प्रस्तुत किया. स्वागत व संचालन डा. रामचन्द्र झा ने किया.
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