दरभंगा. जिला के व्यवसासियों की मांग एक दशक बीतने के बावजूद आज तक पूरी नहीं हो सकी है. दरभंगा में रैक प्वाइंट व्यापारियों के लिए चालू नहीं किया गया है. तीन वर्ष पूर्व इसको लेकर विभागीय हरी झंडी को किसने, कब और क्यों ‘लाल’ कर दिया, बताने वाला कोई नहीं है. इस वजह से न केवल कारोबारियों को परेशानी हो रही है, बल्कि इसका खामियाजा आमजन को भुगतना पड़ रहा है. साथ ही सड़क जाम की समस्या कहीं न कहीं इस कारण बड़ी होती जा रही है. बावजूद रेल प्रशासन इस ओर तवज्जो नहीं दे रहा. रेलवे की लापरवाही व घोषणा के बाद भी व्यवस्था धरातल पर उतरता नहीं देख स्थानीय व्यवसायी संगठन भी शिथिल पड़ गया है. हालांकि वरीय अधिकारियों के समक्ष यह मुद्दा अब भी उठाया जा रहा है, पर नतीजा सिफर है.
वर्षो से उठ रही मांग
दरभंगा जंकशन पर रैक प्वाइंट की मांग एक दशक से अधिक समय से की जा रही है. लहेरियासराय में रैक प्वाइंट रहने से व्यापारियों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है. लगातार व्यवसायी संगठन चैम्बर ऑफ कॉमर्स, मिथिलांचल इंडस्ट्रियल चैंबर ऑफ कॉमर्स आदि इसके लिए आवाज उठाती रही.
चार साल पूर्व मिले सवा करोड़
वर्ष 2009 में बेला रैक प्वाइंट के लिए रेलवे ने 1.25 करोड़ रुपये स्वीकृत किये. 25 सितंबर, 2009 को तत्कालीन सीनियर डीसीएम जफर आजम ने बताया था कि सवा करोड़ का प्रस्ताव रेल मंत्रलय के पास भेजा गया था जो स्वीकृत हो गया. उस समय मार्च 2010 तक रैक प्वाइंट के चालू होने की संभावना व्यक्त की गयी थी. इस राशि से टर्मिनल, कबर्ड शेड, संपर्क पथ, मर्चेट रूम आदि का निर्माण होना था. संपर्क पथ बन गया लेकिन इससे आगे कुछ भी नहीं हो सका.
तीस लाख भी हुआ बेकार
17 मार्च, 2010 को तत्कालीन डीआरएम कुंदन कुमार चौधरी ने निरीक्षण के दौरान तीस लाख की लागत से गोदाम का प्लेटफार्म बनाये जाने की घोषणा की थी. कहा था कि इसके निर्माण होने के बाद व्यापारी निश्चिंत होकर अपना सामान मंगवा सकेंगे. प्लेटफॉर्म का निर्माण हो गया, लेकिन इसपर चिप्स ही उतरता रहा. अब तो यह भी बंद हो गया है. सिर्फ एफसीआइ का माल रैक प्वाइंट पर आ रहा है.
तीन वर्ष पूर्व मिली हरी झंडी
इससे पूर्व 8 मार्च, 2010 को सीनियर डीसीएम जफर आजम ने जानकारी दी कि रेल मुख्यालय हाजीपुर से दरभंगा रेक प्वाइंट पर माल मंगवाने को लेकर हरी झंडी मिल गयी है. उन्होंने स्थानीय व्यापारियों से माल मंगवाने का आग्रह भी किया. सिमेंट, चीनी, चावल सहित अन्य सामग्री गुड शेड में मंगवाने को कहा. साथ ही बोरा या पैकेट में बंद सामान तत्काल मंगवाने का अनुरोध किया. परंतु यह हरी झंडी लाल हो गयी. इसके बाद से इसपर कोई चर्चा हीं नहीं हुई. नतीजतन मामला जस का तस पड़ा रह गया.
रात में होती माल की ढुलाई
स्थानीय व्यवसायियों को मजबूरन आज भी अपना सामान लहेरियासराय रेक प्वाइंट पर मंगवाना पड़ रहा है. दिनभर भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक की वजह से काफी कठिनाई हो रही है. रात के समय मजदूर नहीं मिलते. मिलते भी हैं तो दो गुणा-तीन गुणा पैसा लेते हैं. जाहिर है यह खर्च व्यवसायी सामान की कीमत पर चढ़ा देते हैं. खामियाजा आमजन को ही भुगतना पड़ रहा है.
जाम की समस्या बढ़ी
दूसरी ओर इस समस्या से बचने के लिए व्यवसायी दिन में छोटे वाहन यथा पिकअप आदि से सामान ढुलवाते हैं. फलत: सड़क पर जाम लग जाता है. दिनभर लोग इस समस्या से जूझते हैं. दरभंगा-लहेरियासराय पथ के जाम रहने में इन गाड़ियों की भी बड़ी भूमिका है. बावजूद रेल प्रशासन इस ओर तवज्जो नहीं दे रहा.