/रफोटो संख्या- 28परिचय- रथ पर सवार हो जाते दूल्हा .दरभंगा. कहते हैं कि जन्म, मृत्यु और विवाह पर किसी का जोर नहीं चलता. शादी-विवाह के महीने में भूकंप के लगातार झटकों के बीच यह कहावत चरितार्थ होती नजर आ रही है. मिथिला में मान्य पंचांगों के अनुसार सोमवार को विवाह का मुहूर्त था. पिछले 48 घंटों से लगातार भूकंप के झटकों को सहने एवं खुली आंखों से रातें गुंजारने के बाद सोमवार को जगह-जगह बजती शहनाई की गूंज सुकून देनेवाली थी. एक तरफ भूकंप का खौफ तो दूसरी ओर विवाह की निर्धारित तिथि. लोगों ने भय को छोड़ खुशियों का दामन थामा. सोमवार को जगह-जगह दूल्हें के लिए फूल मालाओं से कारों व रथों को सजाने का सिलसिला जारी रहा. वहीं बारातों में नागिन-नागिन की धून पर थिरकती महिलाएं मानों भूकंप के दहशत को मंुह चिढ़ा रही हों. शहनाई की गूंज कानों में पड़ते ही मानों लोग भूकंप के भय से बाहर निकल आये हो. हालांकि शहनाई बंद होते ही लोगों के बीच चर्चा का एकमात्र विषय भूकंप ही रहा.
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दहशत में भी गूंजी शहनाई
/रफोटो संख्या- 28परिचय- रथ पर सवार हो जाते दूल्हा .दरभंगा. कहते हैं कि जन्म, मृत्यु और विवाह पर किसी का जोर नहीं चलता. शादी-विवाह के महीने में भूकंप के लगातार झटकों के बीच यह कहावत चरितार्थ होती नजर आ रही है. मिथिला में मान्य पंचांगों के अनुसार सोमवार को विवाह का मुहूर्त था. पिछले 48 […]
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