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बालश्रम के खिलाफ समवेत प्रयास जरूरी

कार्यशाला में साकांक्ष रहने पर बल फोटो संख्या- 12 व 13परिचय- मंचस्थ अतिथि व उपस्थित लोग दरभंगा. भारत का संविधान बालश्रम का पूरी तरह विरोध करता है. संविधान के भाग-3 में वर्णित मूल अधिकारों के तहत सभी नागरिकों को शोषण के विरुद्ध अधिकार प्राप्त है. इसके तहत संविधान के अनुच्छेद 23 व 24 के अंतर्गत […]

कार्यशाला में साकांक्ष रहने पर बल फोटो संख्या- 12 व 13परिचय- मंचस्थ अतिथि व उपस्थित लोग दरभंगा. भारत का संविधान बालश्रम का पूरी तरह विरोध करता है. संविधान के भाग-3 में वर्णित मूल अधिकारों के तहत सभी नागरिकों को शोषण के विरुद्ध अधिकार प्राप्त है. इसके तहत संविधान के अनुच्छेद 23 व 24 के अंतर्गत बलात श्रम, बालश्रम एवं मानव तस्करी को पूरी तरह निषेध माना गया है. हालांकि आजादी के 6 दशक के बाद भी संविधान के इन प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित नहीं किया जा सका. हालात यह है कि आज भी हमारे चारों ओर प्रतिदिन हमें बाल श्रमिकों के उदाहरण देखने को मिलते हैं. संविधान देश के सभी 14 से कम उम्र के बच्चों को अनिवार्य शिक्षा का अधिकार देता है. किंतु राजनीतिक व सामाजिक इच्छाशक्ति के अभाव में इसका अनुपालन नहीं हो रहा. बालश्रम पर रोक एवं ऐसे बच्चों के पुनर्वास के लिए प्रयासरत अंतरराष्ट्रीय संगठन रेलवे चिल्ड्रेन इंडिया के तत्वावधान में शुक्रवार को गंगा रेजिडेंसी में आयोजित कार्यशाला में यह बातें सामने आयी. कार्यक्रम की शुरुआत एडीसीपी प्रशांत मिश्रा के स्वागत एवं परिचय भाषण से हुई. बतौर मुख्य अतिथि एडीएम दिनेश कुमार ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया. रेलवे चिल्ड्रेन के अफसर अहमद खान ने कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला एवं संस्था के कार्य मॉडल पर विस्तृत चर्चा की. वहीं चाइल्ड वेलफेयर कमेटी, नई दिल्ली की चेयर पर्सन सुषमाबिज एवं रेलवे चिल्ड्रेन की ऋचा नगैच ने फ्रॉम सोर्स टू सोल्युशन के निष्कर्षों पर प्रकाश डाला. इस अवसर पर शंभु रजक, कमरे आलम, दीपक सिंह आदि उपस्थित थे.

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