दरभंगाः प्रखंड मुख्यालय का आरटीपीएस काउंटर दिन गुरुवार, दिन के 10.45 बजे हैं. धूप तीखी होती जा रही है. काउंटर की खिड़की भीतर से बंद है. यहां पर कोई कर्मी नहीं है. बाहर दर्जनों महिलाएं, पुरुष, छात्र व नवविवाहिताओं की भीड़ लगी है. शोर-शराबा हो रहा है. सभी की जुबां से एक ही बात निकल रही है, कब काउंटर खुलेगा.
कमरे की ऊपरी खिड़की खुली है. भीतर एक भी ऑपरेटर व कर्मचारी मौजूद नहीं है, जबकि कमरे का ताला खुला है, लेकिन दरवाजा बंद है. भीड़ में मौजूद मधुबनी जिला के प्रवेश मिश्र 23 किमी की दूरी चलकर अपनी पत्नी के साथ कन्या विवाह का आवेदन जमा करने आये हैं. उनका कहना है कि दो घंटा से लाइन में लगे हैं. अभी तक काउंटर नहीं खुला है. दिन के 11 बज चुके हैं. लगता है आज भी वापस जाना पड़ेगा. वासुदेवपुर पंचायत के मौलागंज की नवविवाहित फूल देवी कहती हैं, सर तीन दिन से आवेदन जमा करने आ रहे हैं, यहां की व्यवस्था काफी लुंज-पुंज है.
पहले ऐसा नहीं था. पंचायत कार्यालय से काम कराने में सुविधा हो रही थी. खुटवारा पंचायत की कवरिया की रहनेवाली अंजू देवी ने कहा, हमसब तबाह भ रहल छी. केओ देख वाला नहि छै. सभ खाली गरीब के तबाहे कù रहल छै. हमसब कै दिन से आबि रहल छी, मुदा काज नै भ रहन अछि लगैत अछि, आब त दलाल के किदु खर्चा द क काज कराब पड़त. इसी तरह बिजली पंचायत के गौसाडीह निवासी वृद्ध विकाउ ठाकुर पेंशन के लिए आवेदन जमा करने पहुंचे हैं. बेचारे थक हार कर घर वापस जाने की बात कह रहे हैं. ऐसे ही कई छात्र-छात्राएं जाति, आवासीय व अन्य प्रमाण पत्र बनवाने पहुंचे हैं. अधिकांश की कहीं नामांकन व छात्रवृत्ति की राशि लेने में भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. इधर सीओ इंद्रासन साह कुछ भी बताने से इनकार करते हैं.
उल्लेखनीय है कि सरकार ने आम-अवाम के सुविधा के लिए आरटीपीएस काउंटर की व्यवस्था की है. पूरे प्रशासनिक महकमा व विशेष तौर पर संबंधित पदाधिकारी इसकी देख-रेख में लगे हैं, फिर भी धरातल पर ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिल रहा है. 20 किलोमीटर की दूरी तय कर लोग अपना काम कराने पहुंचते हैं, लेकिन उन्हें यहां की व्यवस्था देख व दिनभर भीषण गरमी में काउंटर पर लाइन में लगे रहने के बावजूद काम नहीं होते देख बिचौलियो की गिरफ्त में जाना पड़ता है. काम कराने के एवज में 50-100 रुपये चुकाना पड़ता है, लेकिन समय पर उसका काम हो पायेगा या नहीं, यह तो बिचौलिया के हाथों तय किया जाता है. ऐसी कार्य संस्कृति के कारण लाभुक तंगो-तबाह हो रहे हैं.