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सुरेन्द्र के लोक गायकी ने बांधा समां

कमतौल. पांचवें अहल्या-गौतम महोत्सव में सांस्कृतिक समारोह के दूसरे दिन लोक गायक सुरेन्द्र यादव ने लोक गायकी से दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया. अपने कलात्मक सुर और ताल के संगम से अतिथियों को झूमने पर मजबूर कर दिया. कार्यक्र म में सुरेन्द्र यादव ने ‘जत सुग्गा वेड पढाबई,चाकर शिव भगवान यो; ओही नगर में गाम […]

कमतौल. पांचवें अहल्या-गौतम महोत्सव में सांस्कृतिक समारोह के दूसरे दिन लोक गायक सुरेन्द्र यादव ने लोक गायकी से दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया. अपने कलात्मक सुर और ताल के संगम से अतिथियों को झूमने पर मजबूर कर दिया. कार्यक्र म में सुरेन्द्र यादव ने ‘जत सुग्गा वेड पढाबई,चाकर शिव भगवान यो; ओही नगर में गाम हमर अछि, पावन मिथिला धाम यो’ जैसे कर्णप्रिय गीतों की प्रस्तुति देकर समां बांध दिया. विद्यापति की रचना ‘माधव तोहें जुनि जाहो विदेश जैसे गीत’ से अहल्या को पाषाण रूप में रहते हुए कष्ट की अनुभूति कराया.’ भोला बाब यो पूजा लेल दई छि हकार’ ‘भोला राखु नै हमरा हजुरी में, हम किछुयो नइ मांगब मजूरी में’ जैसे गीतों से वातावरण को भिक्तमय बना दिया. वहीं विवाह प्रसंग से जुडे़ कई गीतों के माध्यम से श्रोताओं का भरपूर मनोरंजन किया. तालियों से वातावरण गूंजने लगा. पहले दिन कुंज बिहारी द्वारा राम विवाह प्रसंग के गीतों में क्लासिकल और शास्त्रीय पुट सुनने को मिला. दर्शकों की मनोभावों को देखते हुए सामा-चकेवा, झझियिा एवं अन्य गीत भी गाये गए.

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