दरभंगा : ठंड ने दस्तक दे दी है. गुलाबी ठंड में बच्चों में बुखार, सर्दी, खांसी, पेट खराब, स्कीन रोग, निमोनिया आदि की संभावना बढ़ गयी है. खासकर कमजोर व कम प्रतिरोधक क्षमता वाले बच्चों पर इस मौसम में विशेष ध्यान देने की जरुरत है. बच्चों को पौष्टिक आहार देना चाहिये.
साथ ही सामान्य बच्चों के अभिभावकों को भी विशेष सतर्कता बरतने की जरुरत है. डीएमसीएच के शिशु रोग विभाग के चिकित्सक डॉ ओम प्रकाश ने बताया कि इस मौसम में बच्चों में ठंड लगने की संभावना बढ़ जाती है. अगर बच्चों की सांस तेजी से चले व पंजरा मारने की स्थिति दिखे तो तुरंत चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिये.
थोड़ी सी लापरवाही बरतने पर खतरनाक साबित हो सकता है. बताया कि आम आदमी से अधिक ठंड बच्चों को लगती है. गलत अवधारणा के कारण लोग बच्चों को गर्म कपड़ा नहीं पहनाते हैं. इससे बच्चों को ठंड लगने की संभावना बढ़ जाती है. बच्चों को सुबह- शाम गर्म कपड़ा पहनाना चाहिये.
चापाकल के पानी से रोज स्नान कराना चाहिये. स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना चाहिये. गंदे खान-पान से पेट संबंधी समस्या हो सकती है. सर्दी- खांसी व अन्य रोग होने पर सर्वप्रथम घरेलू उपचार करना चाहिये. दो वर्ष तक के बच्चों को स्तनपान अवश्य कराना चाहिये. मां का दूध बच्चे के लिये अमृत के सामान होता है.
इससे बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है. दस्त होने पर बच्चों के खाना- पीना में कमी नहीं करनी चाहिये. बच्चों को संतुलित आहार के साथ ओआरएस का घोल पिलाना चाहिये. बोतल का दूध कभी नहीं पिलाना चाहिये. डॉ प्रकाश ने कहा कि बच्चों के आहार पर ध्यान देने से कई बीमारियों से उन्हें बचाया जा सकता है. खाना की आवश्यक मात्रा हो, उर्जा से भरपूर हो. खाने में गाढ़ा दलिया, दाल, अंडा, मांस, मछली, हरी पत्तीदार सब्जी व मौसमी फल का सेवन कराना चाहिये.