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रो-रो के दिल ने ये कहा माहे मुबारक अलविदा

दरभंगा/अलीनगर : अफसोस के रुखसत हुआ माहे मुबारक अलविदा, रो रो के दिल ने ये कहा माहे मुबारक अलविदा. जैसी पंक्तियों को शहर से लेकर गांव तक की मसजिदों में इमामों ने पेश कर रमजानुल मुबारक के चौथे और आखरी जुमा को जुमअतुलवेदा की शक्ल में अदा और रुखसत किया. दरभंगा टावर चौक स्थित जामा […]

दरभंगा/अलीनगर : अफसोस के रुखसत हुआ माहे मुबारक अलविदा, रो रो के दिल ने ये कहा माहे मुबारक अलविदा. जैसी पंक्तियों को शहर से लेकर गांव तक की मसजिदों में इमामों ने पेश कर रमजानुल मुबारक के चौथे और आखरी जुमा को जुमअतुलवेदा की शक्ल में अदा और रुखसत किया.

दरभंगा टावर चौक स्थित जामा मसजिद में नमाजियों को खिताब करते हुए खतीबो इमाम कारी मो. मोहसिन ने कहा कि अल्लाह ने मोमिनों को जान व माल के सही रास्ते में खर्च करने के बदले जन्नत का वादा किया है. अल्लाह ने महज अपने करम (कृपा) से हम ईमान वालों को रमजानुल मुबारक जैसा नमूना अता किया है.

उन्होंने कहा मेरी सब इबादतें रब्बुल आलमीन के लिये है. अल्लाह के फरमान को प्रस्तुत करते हुए कहा कि रोजा हम पर फर्ज किया गया, जैसा कि पिछलों पर भी सिर्फ इसलिये कि तकवा (परहेजगारी) आ जाये. यह जान भी अल्लाह की अमानत और हमारा सब माल भी अल्लाह की अमानत है. अल्लाह ने अपनी मर्जी छोड़ने और मेरी मर्जी मानने को कहा है. जिस तरह हमने रोजे रख कर खाना छोड़ दिया, पीना छोड़ दिया. हद तो यह कि वजू करने के क्रम में मुंह में लिया गया पानी हलक (कंठ) में नहीं जाने दिया.

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