रोजा मुसलमानों को करता है अनुशासित : तरजी
दरभंगा /अलीनगर : रमजानुल मुबारक हमदर्दी, खैर व बरकत का महीना है. इस महीना के हर एक लम्हे रहमतों से भरे हैं. इसकी अजमत को कोई इंसान बयान नहीं कर सकता. ये बातें उर्दू व फारसी के शायर हाफिज प्रो. डॉ अब्दुल मन्नान तरजी ने कही. उन्होंने कहा कि यह महीना रब का महीना है. रब के तमाम बंदों के साथ भलाई करने व रब की बंदगी करने का यह पवित्र महीना है. इस महीने में लोगों को अनुशासित बनने का मौका मिलता है.
लोगों से हमदर्दी, भाइचारगी और सहयोग करने की सीख मिलती है. केवल भूखा रह जाना और बढ़िया से बढ़िया भोजन ग्रहण कर लेना रोजा और रमजान का मकसद नहीं, बल्कि पड़ोसियों और गरीबों की खबरगीरी रखना सबसे बेहतर अमल है. भूखे रहने से गरीबों और नि:सहायों की भूख और प्यास की शिद्दत का एहसास करने का गुण पैदा होता है.
इसी महीने में इस्लाम का पवित्र ग्रंथ कुरान पाक नाजिल हुआ था, जिसमें तीस पारा है. कुरान पाक वह मुकद्दस किताब है, जिससे इंसान को माता-पिता, भाई-बहन, शौहर-बीवी, गरीब व असहाय ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के इंसानों के हक अदा करने की तालीम मिलती है. इसमें शरीर से लेकर मन की पवित्रता, जन्म से लेकर मरने तक के क्रियाकर्म, शिक्षा के महत्व और हलाल (जायज) रोजी कमाने की नसीहत दी गयी है.