दरभंगाः जलस्तर में लगातार आ रही गिरावट से शहर के अधिकांश मुहल्लों में पेयजल संकट लगातार गहराता जा रहा है. गत वर्ष 20 मई के बाद शहर में जलस्तर नीचे जाने से शहर में चापाकल सूखने लगे थे, लेकिन इस वर्ष मई के पहले सप्ताह में ही वह स्थिति आ गयी है. ऐसी स्थिति में शहर के एक दर्जन से अधिक वार्डो में सुबह 8 बजे से रात 10 बजे तक हैंडपंप न तो पानी दे रहा है, न ही मोटर से पानी खींच रहा है.
शहर के बालूघाट, बंगलागढ़, काफोगंज, रामचौक, बड़ा बाजार, कटकी बाजार, गणोश मंदिर रोड, रामबाग, मिर्जापुर, लालबाग, चूनाभट्ठी, लक्ष्मीसागर, गांधीनगर कटरहिया, किलाघाट, उर्दू, भीगो, रहमखां, चकरहमत, रहमगंज, बाकरगंज, बंगालीटोला, नवटोलिया, बलभद्रपुर सहित कई मुहल्लों में विगत एक सप्ताह से चापाकल सुबह 8 बजे के बाद पानी देना लगभग बंद सा हो गया है.
विभागीय अभियंता के अनुसार सामान्यतया दरभंगा शहर का जलस्तर 18 फीट नीचे है. ऐसी स्थिति में विगत दस वर्षो से जितने भी सरकारी एवं निजी चापाकल गाड़े गये हैं उसमें इसी मानक को आधार बनाया गया है. लेकिन विगत तीन वर्षो से वर्षापात सामान्य से भी कम होने के कारण जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है. जानकारों का मानना है कि 18 के बदले 20 फीट तक जलस्तर रहने पर चापाकल किसी तरह हांफकर थोड़ा-बहुत पानी दे देता है, लेकिन उससे नीचे जलस्तर जाने पर चापाकल बिल्कुल बेकाम हो जाता है. ऐसी स्थिति में न तो चापाकल से पानी आ पाता है न ही मोटर से पानी का स्टोरेज संभव हो पाता. इस बीच लगातार गरमी की तपिश जिस गति से बढ़ रही है, ऐसी स्थिति में यदि वर्षा नहीं हुई तो जलस्तर और तेजी से नीचे जाएगा और चापाकल लगभग सूखने की स्थिति में चला जाएगा.
रेनवाटर हार्वेस्टिंग को ले जागरूकता जरूरी
शहरी क्षेत्र में लगातार जलस्तर में गिरावट को देख राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया है कि भवन निर्माण के क्रम में यदि लोग अपने मकान के बगल में रैनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की व्यवस्था करेंगे तो उन्हें संपत्ति कर में 5 फीसदी की छूट दी जाएगी. बिहार नगरपालिका संपत्ति कर नियमावली 2013 में नगर विकास एवं आवास विभाग ने प्रावधान किया है कि ‘ऐसे कोई घृति या संपत्ति जिसमें वर्षा जल संरक्षण की तकनीकी और संरचना अपनायी गयी हो तो उसपर कुल संपत्ति कर में 5 फीसदी की छूट दी जाएगी’.
सरकार ने नियमावली में संशोधन कर इसे लागू तो कर दिया, लेकिन इसकी गंभीरता को नजर अंदाज कर दिया. यदि सरकार नक्शा स्वीकृत के क्रम में रैनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को सभी लोगों के लिए अनिवार्य कर देता तो शहरी जलापूर्ति व्यवस्था में बहुत हद तक सुधार हो जाता. वैसे जानकारों का मानना है कि सामाजिक जागरूकता से भी लोगों को जागरूक कर इसके लिए प्रेरित किया जा सकता है. यदि सामाजिक संगठन शहरहित में इसे जागरूकता अभियान के तहत आगे बढ़ाकर शहरवासियों को यह विश्वास दिलाने में सफल होता है तो जलसंकट से बहुत हद तक निजात मिल सकता है. इस संबंध में पूछे जाने पर पीएचइडी के कार्यपालक अभियंता संजय दुबे ने बताया कि अभी जलस्तर में लगभग दो फीट की कमी आयी है जिसके कारण कई मुहल्लों के चापाकलों के सूखने की जानकारी मिली है. उन्होंने कहा कि सामान्यतया बर्षापात सामान्य से भी कम होने के कारण यह समस्या लगातार गहराते जा रहा है. वैसे शहरी क्षेत्र के सभी चापाकलों की मरम्मत का दायित्व दरभ्ांगा नगर निगम के जिम्मे है. उन्होंने बताया कि शहरवासियों को जलसंकट से परेशानी नहीं हो, इसके लिए कार्यरत नलकूपों से दिनभर में तीन बार जलापूर्ति की जा रही है.