दरभंगा : प्रख्यात समाजशास्त्री एवं साहित्यसेवी डा. हेतुकर झा का निधन शनिवार की रात आशियानानगर पटना स्थित आवास पर हो गया. वे 73 वर्ष के थे. पिछले कुछ माह से बीमार चल रहे थे. पटना विश्वविद्यालय के पूर्व समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष एवं कल्याणी फाउंडेशन दरभंगा के प्रबंध न्यासी स्व. झा अपने पीछे पत्नी व तीन पुत्रों के साथ पौत्र-पौत्रियों से भरा पूरा परिवार छोड़ गये हैं. परिजनों के अनुसार उनका अंतिम संस्कार पैतृक गांव मधुबनी के सरिसवपाही में रविवार को होगा.
हिस्टोरिकल सोसियोलाजी व सेनीटेशन ऑफ इंडिया सहित अनेक पुस्तकों के लेखक एवं संपादक स्व. झा का मैथिली उपन्यास ‘पराती’ व ‘केकरा लय अरजब हे’ भी प्रकाशित है. सौम्य, शालीन, मृदुभाषी व प्रभावशाली व्यक्तित्व के धनी स्व. झा
प्रख्यात समाजशास्त्री डा. हेतुकर
की ख्याति राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रही है. वे मिथिला और बिहार की सुप्रतिष्ठा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो इसके लिए निरंतर सक्रिय रहे. उनके सौजन्य से महाराजाधिराज डा. कामेश्वर सिंह की जयंती पर प्रतिवर्ष महत्वपूर्ण पुस्तकों का प्रकाशन कल्याणी फाउंडेशन से हो रहा था. इसके तहत बिहार हेरीटेज शृंखला में अब तक 21 पुस्तकों का प्रकाशन हो चुका है. इसके अलावा महाराज कामेश्वर सिंह मेमोरियल लेक्चर की तीन किताबें भी छप चुकी हैं. सभी की सभी दुर्लभ व मिथिला-बिहार के गौरवशाली इतिहास को रेखांकित करती हैं. उनके आकस्मिक निधन से क्षेत्र में शोक की लहर है. प्रो. झा के निधन पर साहित्य अकादमी में मैथिली की प्रतिनिधि प्रो. वीणा ठाकुर तथा साहित्यिक सांस्कृतिक विचार मंच ऋचालक के महासचिव प्रो. अमलेन्दु शेखर पाठक ने गहरी संवेदना प्रकट की है. साहित्य जगत के लिए इसे अपूरणीय क्षति करार दिया है.