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नियम तो बहुत, पर नहीं होती कार्रवाई

असर. शहर की सुंदरता और सेहत में बट्टा लगा रहा पॉलीथिन का बढ़ा चलन शहर में फुटपॉथ की दुकानों से लेकर मॉल व शोरूमों में भी पॉलीथिन का हो रहा प्रयोग नहीं होती कार्रवाई, नगर परिषद का जुर्माना नियम का नहीं होता पालन हर रोज एक टन निकलता है पॉलीथिन सलाना 20 करोड़ रुपये का […]

असर. शहर की सुंदरता और सेहत में बट्टा लगा रहा पॉलीथिन का बढ़ा चलन

शहर में फुटपॉथ की दुकानों से लेकर मॉल व शोरूमों में भी पॉलीथिन का हो रहा प्रयोग
नहीं होती कार्रवाई, नगर परिषद का जुर्माना नियम का नहीं होता पालन
हर रोज एक टन निकलता है पॉलीथिन सलाना 20 करोड़ रुपये का है पॉलीथिन का कारोबार
बेतिया : प्लास्टिक का इस्तेमाल बढ़ने के साथ ही हमारा पर्यावरण भी खतरे में पड़ता जा रहा है. क्योंकि पर्यावरण को अगर कोई सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है तो वो है ‘पॉलीथिन’.
सरकार के लाख प्रयासों के बावजूद इस खतरनाक चीज का प्रयोग बेतिया में अपने चरम पर पहुंच चुका है. जिससे शहर के पर्यावरण को जबरदस्त नुकसान हो रहा है. हालांकि नगर परिषद की ओर शहर में पॉलीथिन के प्रयोग पर जुर्माने लगाने की बात की गयी थी.
बावजूद इसके पॉलीथिन का उपयोग धडल्ले से किया जा रहा है. एक अनुमान के मुताबिक़ बेतिया जिले में सलाना 20 करोड़ रुपये का प्लास्टिक का कारोबार हो रहा है.
खास यह है कि शहर को प्रदूषण मुक्त बनाने कई बार प्रयास हुए लेकिन यह सार्थक नहीं हो सके. हालत यह है कि पॉलीथिन और डिस्पोजल के अलावा प्लास्टिक के प्रयोग ने शहर की साफ-सफाई व्यवस्था भी बिगाड़ रखी है. शहर की बात करें तो हर रोज लगभग एक टन डिस्पोजल और पॉलीथिन का कचरा निकलता है जो काफी घातक हो रहा है .
दिनोंदिन बिखर रहे इस कचरे के कारण प्रदूषण बढ़ता जा रहा है. यदि सख्ती से इसका उपयोग बंद नहीं हुआ तो इसके काफी खतरनाक परिणाम होंगे. हालांकि 40 माइक्रॉन से कम की पॉलीथिन के उपयोग को प्रदूषण बोर्ड ने पर्यावरण के लिए खतरनाक बताया है. हालात यह है कि सुविधा के तौर पर पॉलीथिन का प्रयोग करने वाले खुद बिन बुलाए मुसीबत मोल ले रहे हैं.
पॉलीथिन के उपयोग के बाद आमतौर पर लोग इसे नालियों और नुक्कड़ों पर डाल रहे हैं. इस वजह से शहर की लगभग 90 फीसदी नालियां प्लास्टिक कचरे से पटी पड़ी है. हाल में हुई बारिश में जाम नालियों की वजह से पानी सड़कों पर आया. डिस्पोजल का सबसे अधिक उपयोग शादी व अन्य आयोजनों में होने लगा है. मार्केट की बात करें तो यहां पर भी होटल संचालक ग्राहकों के लिए दी जाने वाली सामग्री और चाय के लिए डिस्पोजल का उपयोग कर रहे हैं .
यह होता है नुकसान
पॉलीथिन कभी नष्ट नहीं हो पाता
है, जो काफी खतरनाक है.
पॉलीथिन मवेशी खा लेते हैं. इससे उनकी जान को खतरा रहता है.
प़ॉलीथिन से पर्यावरण को काफी नुकसान हो रहा है.
नालियां चोक होती हैं. नदी और नाले में भी बड़ी मात्रा में इसके डालने से पानी प्रदूषित होते हैं.
पेय या खाद्य पदार्थ पॉलीथिन में रखने से स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है.
सुबह से लेकर रात तक रोजमर्रा और जरुरत की चीजों को लोग खरीदकर पॉलीथिन में ही घर ले जाते हैं. फिर इन पॅालीथिन को डस्टबीन में फेंक दिया जाता है. जिसके बाद कूड़ा उठाने वाला शख्स उसको ले जाकर जला देता है. अगर वो नहीं जलाता है तो भी पॉलीथिन बिल्कुल वैसी की वैसी ही रहती है. डा उमेश कुमार बताते हैं कि पॉलीथिन कितनी खतरनाक होती है, इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि पॉलीथिन को अगर आप जमीन खोदकर वहां दफन कर देते हैं
तो उतनी जमीन बंजर हो जाएगी. ऐसे ही अगर पॉलीथिन को जलाया जाएगा तो उससे निकलने वाली खतरनाक गैसें जैसे कार्बन डाई ऑक्साइड, कॉर्बन मोनो ऑक्साइड आपको सांस लेने में दिक्कत पैदा करती हैं. अगर ये खतरनाक गैसें सांस के माध्यम से आपकी बॉडी में जाएंगी तो आपको दमा समेत कई जानलेवा बीमारियां हो सकती हैं.
सेहत बिगाड़ सकता है ज्यादा प्लास्टिक का यूज
प्लास्टिक बैग का अत्यधिक प्रयोग आपकी सेहत बिगाड़ सकता है. इसका अंधाधुंध प्रयोग आने वाली पीढ़ियों के लिए खतरनाक है. इस तरह की बातें हमें अक्सर बुद्धिजीवी वर्ग और समाज सेवी संगठनों की ओर से सुनाई देती है, लेकिन उसका असर क्या होता है. जरा यह सोचने की भी जरुरत है.
नहीं होता बिक्री के नियमों का पालन
प्लास्टिक बैग का सीधा साधा उदाहरण हमें किसी ठेले पर सब्जी खरीदते समय मिल जाता है जब वह ग्राहक के पास कोई कैरी बैग नहीं होने पर पॉलीथिन में सब्जी डाल कर दे देता है और आप आराम से उसे घर लेकर चले जाते हैं. जबकि फुटपाथ दुकानों पर 40 माइक्रोन से कम पॉलीथीन प्रयोग में लाया जाता है, जो सेहत के लिए बेहद ही खतरनाक है.
पॉलीथिन कभी नष्ट नहीं होती है’
प्लास्टिक और पॉलीथिन का प्रयोग पर्यावरण और मानव सेहत दोनों के लिए खतरनाक है. कभी न नष्ट होने वाले पॉलीथिन ग्राउंड वाटर लेबल को प्रभावित कर रहे हैं. इधर के दिनों में देखा जा रहा है कि कुछ लोग अपनी दुकानों पर चाय प्लास्टिक की पन्नियों में मंगा रहे हैं. गर्म चाय पन्नी में डालने से पन्नी का केमिकल चाय में चला जाता है. जो बाद में लोगों के शरीर में प्रवेश कर जाता है.
प्लास्टिक का प्रयोग हमारे जीवन में सर्वाधिक होने लगा है. इसका प्रयोग नुकसान दायक है यह जानते हुए भी हम धड़ल्ले से इनका इस्तेमाल कर रहे हैं. यह अपने पैर पर खुद कुल्हाड़ी मारने जैसा है. इसके प्रयोग पर रोक लगे तो बात बने. नगर परिषद प्रशासन को इसपर कड़े नियम बनाने की आवश्यकता है. जुर्माने की बात तो कही जाती है, लेकिन कभी वसूला नहीं जाता है.
जो भी व्यक्ति प्लास्टिक का प्रयोग सर्वाधिक करता है वह अपने जीवन से खेलने का काम करता है. इतना ही नहीं वह पर्यावरण को प्रदूषित भी करता है. प्लास्टिक को जलाने से भी नुकसान होगा. इसका जहरीला धुआं स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है. इतना ही नहीं पॉलीथिन की पन्नियों में लोग कूड़ा भरकर फेंकते हैं.
प्लास्टिक और पॉलिथीन का प्रयोग रोकने के लिए हमें लोगों को जागरूक करना होगा. तभी लोगों को इसके दुष्प्रभाव से बचाया जा सकता है. लोगों को पॉलीथिन की पन्नियों की जगह सामान लाने और रखने में कपड़े के थैले का प्रयोग करना होगा. दुकानों, मॉल को भी इस कल्चर को अपनाने में सहयोग करना चाहिए. वह अपने उत्पादों के साथ पॉलीथिन कत्तई न दें.
जूट के बैग का अतिरिक्त पैसे लेकर सामान दें.
रविकांत झा, शिक्षक
साकिब खान
पॉलिथीन और प्लास्टिक गांव से लेकर शहर तक लोगों की सेहत बिगाड़ रहे हैं. शहर का ड्रेनेज सिस्टम अक्सर पॉलिथीन से भरा मिलता है. इसके चलते नालियां और नाले जाम हो जाते हैं. इसका प्रयोग तेजी से बढ़ा है. प्लास्टिक के गिलासों में चाय या फिर गर्म दूध का सेवन करने से उसका केमिकल लोगों के पेट में चला जाता है. इससे डायरिया के साथ ही अन्य गंभीर बीमारियां होती हैं. ऐसे में प्लास्टिक के गिलासों का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए. रही बात पॉलिथीन के प्रयोग की तो वह भी खतरनाक है.
साकिब खान, सीईई कर्मी

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