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दो दिन में बना दिया गया मकान

सिंचाई विभाग की भूमि पर कब्जा करने की होड़ रामनगर : शहर में बेरोकटोक सरकारी भूखंडों पर अवैध कब्जा का खेल चल रहा है. चूंकि अवैध कब्जा करने वाले पूरी तरह से आश्वस्त हैं कि एक बार कब्जा मिल गया तो फिर उससे बेदखल होना नामुमकिन है. इसका साक्षात उदाहरण भी रामनगर में है. जिला […]

सिंचाई विभाग की भूमि पर कब्जा करने की होड़
रामनगर : शहर में बेरोकटोक सरकारी भूखंडों पर अवैध कब्जा का खेल चल रहा है. चूंकि अवैध कब्जा करने वाले पूरी तरह से आश्वस्त हैं कि एक बार कब्जा मिल गया तो फिर उससे बेदखल होना नामुमकिन है.
इसका साक्षात उदाहरण भी रामनगर में है. जिला परिषद की भूमि पर करीब चार दशक पूर्व लोगों ने झोपड़ी बनायी थी. अभी वे सभी झोपड़ियां बहुमंजिली इमारत में तब्दील हो गयी हैं. लेकिन प्रशासन उस भूमि से अवैध कब्जा नहीं हटा सका. हालांकि इस 40 वर्ष के दौरान कई बार शहर में अतिक्रमण हटाओ अभियान भी चला. लेकिन हर बार ये अतिक्रमणकारी बचते रहे. अब तो इन लोगों ने भूमि का कोई कागजात भी बनवा लिया है.
क्योंकि यहां तो राज के पट्टा की बिक्री का एक कारखाना चलता है. वहां से किसी भी भूमि का कागजात सुलभ मिल जाता है. अब सवाल जहां सरकारी भूखंड का है तो सरकार के पास तो अपनी भूमि का कागजात भी है. इसमें भी अगर बात सिंचाई विभाग, जिला परिषद, बिजली बोर्ड आदि की हो तो कोई रिस्क हीं नहीं है. आराम से भूमि का मालिकाना हक भी मिल सकता है.
मसान कॉलोनी का मालिक कौन !
रामनगर-नरकटियागंज मुख्य पथ में करीब पांच एकड़ भू भाग में मसान कॉलोनी स्थापित है. इस कॉलोनी को मसान डैंम के निर्माण के वक्त बनाया गया था. निर्माण कार्य अधर में लटक गया.
इसके अधिकारी और कर्मचारियों का अन्य विभागों में सामंजन हो गया. लेकिन कॉलोनी वैसे हीं वीरान रही. कुछ वर्षो तक तो इस कॉलोनी की देख – रेख का जिम्मा त्रिवेणी नहर विभाग ने उठा रखा था. लेकिन अभी इस कॉलोनी के सभी कमरों में लोगों का अवैध कब्जा है. विभाग के सहायक अभियंता का कहना है कि मुङो इसके बारे में कुछ भी पता नहीं है. मैं नहर में पानी चलाने में व्यस्त हूं.
लीज के नाम पर फरेब
आइए, एक नजर सिंचाई विभाग त्रिवेणी नहर की खाली भूमि पर डालते हैं. दर्जनों एकड़ भूमि शहर में है. लेकिन विभागीय अधिकारियों को पता नहीं है, कि उनकी भूमि कहां है. सभी भूमि पर किसी न किसी का कब्जा है.
हालांकि पूर्व में अधिकांश लोगों को विभाग ने भूमि लीज पर दिया था. लीज की भूमि पर पक्का निर्माण नहीं होना है. लेकिन यहां बेला चैनल से लेकर रामरेखा नदी रोड में कई बहुमंजिली इमारतें सरकारी नियम को धत्ता बता कर खड़ी कर दी गयी हैं.
जिस रास्ते से अधिकारियों की आवाजाही होती है. उस रास्ते में भी झोपड़ी खड़ी हो गयी हैं. त्रिवेणी नहर पुल से उत्तर और रामरेखानदी से दक्षिण का इलाका. इसका उदाहरण है. रोज यहां अवैध निर्माण हो रहा है. लेकिन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि उन्हें सूचना नहीं है.
सरकारी क्वार्टरों का अतिक्रमण
खाली भूमि का अतिक्रमण तो थोड़ी देर के लिए माफ भी किया जा सकता है. जब तक उस पर इमारत नहीं बने तो खाली कराना भी संभव है. लेकिन यहां तो सिंचाई विभाग के क्वार्टरों का भी अतिक्रमण हो गया है.
करीब एक दशक से दोन एवं त्रिवेणी नहर के दर्जनों क्वार्टरों में लोग अवैध ढंग से रह रहे हैं. लेकिन विभागीय अधिकारियों को इससे कोई मतलब नहीं है. हालांकि इन क्वार्टरों की मरम्मत और चहारदीवारी के लिए सरकारी राशि भी खर्च हो रही है.
लेकिन उस क्वार्टर में कौन रहता है. इसकी पड़ताल कभी नहीं होती. कविवर सुंदर चौक के समीप दोन नहर विभाग का आवासीय क्वार्टर है. उसमें अवैध कब्जा कर लोग मुर्गी पालन का धंधा करते हैं. कुछ इसी तरह की स्थिति त्रिवेणी नहर विभाग के क्वार्टरों की भी है.

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