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कालाजार का प्रकोप शुरू, एक की मौत
बेतिया : स्वास्थ्य मंत्रालय के कड़े निर्देश के बाद भी जिले में पुराने व्यवस्था के तहत ही कालाजार के मरीजों का इलाज किया जा रहा है. अस्पतालों में एंबीसॉम के बजाय आज भी एमफोटिसीन-बी सूई का ही उपयोग किया जा रहा है. नतीजा बीमारी रूकने के बजाय बढ़ती ही जा रही है. जिले में कालाजार […]
बेतिया : स्वास्थ्य मंत्रालय के कड़े निर्देश के बाद भी जिले में पुराने व्यवस्था के तहत ही कालाजार के मरीजों का इलाज किया जा रहा है. अस्पतालों में एंबीसॉम के बजाय आज भी एमफोटिसीन-बी सूई का ही उपयोग किया जा रहा है. नतीजा बीमारी रूकने के बजाय बढ़ती ही जा रही है.
जिले में कालाजार से कुल सात लोग पीड़ित हैं. इसमें से बुधवार को सदर अस्पताल में एक युवक की मौत हो गयी. मृत युवक की पहचान बैरिया थाना के फत्तू छापर निवासी काशी चौधरी के पुत्र विक्की कुमार(19) के रूप में हुई है. परिजनों से बताया कि विक्की दिल्ली में एक वर्षो से मजदूरी कर रहा था.
इन दिनों घर आया था. जहां बीमारी के चपेट में आ गया. कालाजार पदाधिकारी डा एसपी मंडल ने बताया कि जिले में अभी तक सात लोगों में कालाजार की पुष्टि हुई है. बचाव के लिये डीडीटी का छिड़काव किया जा रहा है. मरीजों को एमफोटिसीन-बी का इंजेक्शन लगाया जाता है.
कारगर है नया इलाज
कालाजार का नया इलाज काफी कारगर है. एमफोटिसीन-बी सूई जहां 15 दिन से भरती मरीज का हर दूसरे दिन दी जाती है. वहीं एंबीसॉम का एक स्लाइड चढ़ाने के बाद दूसरी दवा नहीं दी जाती है. यह दवा मरीजों के वजन के हिसाब से दी जाती है. सप्ताह भर में ही ज्यादातर मरीज ठीक भी हो जाते हैं.
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