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टारगेट के लिए जान से खिलवाड़
नितेंद्र द्विवेदी बेतिया : जिले में बंध्याकरण की योजना अमानक तरीके से चल रही है. इसमें मरीजों की जान को भी जोखिम में डाला जा रहा है. क्योंकि सरकारी अस्पतालों में मरीजों के स्वास्थ्य से ज्यादा चिंता डॉक्टर को अपना ऑपरेशन का टारगेट पूरा करने पर ध्यान रहता है. तभी तो बेड की सुविधा अस्पताल […]
नितेंद्र द्विवेदी
बेतिया : जिले में बंध्याकरण की योजना अमानक तरीके से चल रही है. इसमें मरीजों की जान को भी जोखिम में डाला जा रहा है. क्योंकि सरकारी अस्पतालों में मरीजों के स्वास्थ्य से ज्यादा चिंता डॉक्टर को अपना ऑपरेशन का टारगेट पूरा करने पर ध्यान रहता है.
तभी तो बेड की सुविधा अस्पताल में 12 हो लेकिन बंध्याकरण 24 से लेकर 30 महिलाओं का कर दिया जाता है.बंध्याकरण के दिन लोग अपने-अपने मरीजों को लेकर घर जाने के लिए विवश भी हो जाते हैं. उनकी उचित देखभाल भी नहीं की जाती है. जिससे कई मरीजों की स्थिति चिंताजनक हो जाती है. एमजेके अस्पताल के पीपी वार्ड से लेकर जिले के हर पीएचसी में बंध्याकरण के समय यह दृश्य देखने को मिल जाता है. इधर सीएस गोपाल कृष्ण ने बताया कि बंध्याकरण के लिए सभी पीएचसी को क्षेत्रफल के आधार टारगेट दिया जाता है. अगर मरीजों की संख्या बढ़ गयी तो अतिरिक्त व्यवस्था के नाम पर 15 मरीजों के लिए 5 हजार रुपया टेंट के लिए दिया जाता है.
25 मरीजों के लिए मात्र 12 बेड
बंध्याकरण के लिए आये मरीजों के लिए पहले आओ, पहले बेड पाओ के तर्ज पर कार्य बेड उपलब्ध कराया जाता है. कारण की बंध्याकरण करने की बात 25 मरीजों की जाती है, लेकिन पीपी वार्ड में मात्र 12 बेड हीं उपलब्ध हैं. बेड नहीं रहने के कारण मरीजों को एक गद्दा देकर नीचे सुलाया जाता है.
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