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न भीख चाही, न कर्जा चाही भोजपुरी के दर्जा

कार्यक्रम. हजारीमल उच्च विद्यालय में हुआ भोजपुरी समागम भोजपुरी को संवैधानिक दर्जा दिलाने के लिए होगा जनआंदोलन: संतोष रक्सौल : विश्व के 16 देशों में करोड़ों लोगों के द्वारा बोली जाने वाली भोजपुरी भाषा हमारे देश में उपेक्षित है. 1940 से जिस भाषा को संवैधानिक दर्जा दिलाने की लड़ाई चल रही है, उसमें आज तक […]

कार्यक्रम. हजारीमल उच्च विद्यालय में हुआ भोजपुरी समागम

भोजपुरी को संवैधानिक दर्जा दिलाने के लिए होगा जनआंदोलन: संतोष
रक्सौल : विश्व के 16 देशों में करोड़ों लोगों के द्वारा बोली जाने वाली भोजपुरी भाषा हमारे देश में उपेक्षित है. 1940 से जिस भाषा को संवैधानिक दर्जा दिलाने की लड़ाई चल रही है, उसमें आज तक सफलता नहीं मिली. इसका प्रमुख कारण था कि हम भोजपुरी भाषी लोग संगठित नहीं हो पा रहे थे. लेकिन अब समय आ गया है कि संगठित होकर भोजपुरी को संवैधानिक दर्जा दिलाने के लिए जन आंदोलन किया जाये और अपनी मातृ भाषा को उसका अधिकार दिलाया जाये. उक्त बातें भोजपुरी जन जागरण अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष कुमार भारतीय ने शहर के हजारीमल उच्च विद्यालय में ग्राम स्वराज मंच और नागरिक चेतना मंच के द्वारा आयोजित भोजपुरी समागम कार्यक्रम को संबोधित करते हुये कहीं.
उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 में मॉरिसस में भोजपुरी को संवैधानिक दर्जा मिल गया. नेपाल में भोजपुरी को सम्मान मिलता है और हम 1940 से लड़ाई लड़ रहे है. भोजपुरी भाषा का अपना साहित्य, व्याकरण, इतिहास होने के बाद भी इस भाषा को संवैधानिक सम्मान नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि भोजपुरी को संवैधानिक दर्जा दिलाने के लिए जनक्रांति की शुरुआत चंपारण से हो चूकि है. हम तमाम भोजपुरियां लोगों के साथ मिलकर देश स्तर पर कार्यक्रम करते हुए 15 नवंबर को दिल्ली पहुंचेंगे. सभी जगह पर अलख जगाकर सरकार से भोजपुरी को संवैधानिक दर्जा दिलाने का काम किया जायेगा.
वही भोजपुरी के कवि डॉ गोरख प्रसाद मस्ताना ने भोजपुरी कविता के माध्यम भोजपुरी के समृद्ध इतिहास के बारे में जानकारी दी. इसके पूर्व अध्यक्ष श्री भारतीय के साथ-साथ भरत प्रसाद गुप्ता, डॉ अनिल कुमार सिन्हा, जय कुमार अजय, ग्राम स्वराज मंच के अध्यक्ष रमेश कुमार सिंह सहित अन्य लोगों के द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम की शुरूआत की गयी. इसके बाद सभी वक्ताओं ने भोजपुरी को संवैधानिक दर्जा दिलाने के लिए चालू हुये अभियान में हर संभव अपनी आहुति देने का संकल्प लिया. मौके पर डॉ चंद्रमा सिंह, उदय सिंह, राजकिशोर राय उर्फ भगत जी, सुरेश बाबा, सुरेश कुमार, गूड‍्डू सिंह, रजनीश प्रियदर्शी, मनीष दूबे, ग्राम स्वराज मंच के हिरालाल प्रसाद कुशवाहा, बिनोद प्रसाद कुशवाहा, नितेश पटेल, विरेन्द्र ठाकुर, श्रीमती देवी, गोरख राम, कामेश्वर प्रसाद यादव, अजय कुमार, गुलशन कुमार, शिवशंकर राम, विरेन्द्र सिंह सहित अन्य मौजूद थे.
1969 में संसद में उठी मांग
भोजपुरी को संवैधानिक दर्जा दिलाने की लड़ाई 1940 से चल रही है. लेकिन सबसे पहली बार वर्ष 1969 में सांसद योगेन्द्र झा के द्वारा संसद में इसकी मांग उठायी गयी थी. इसके बाद से लगातार इसका प्रयास किया गया, लेकिन सरकार कमेटी बनाकर अपना जिम्मा हटा लेती है. वही सीमाकांत महापात्रा की कमेटी के द्वारा भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए उपयुक्त माना गया था. इसके बाद भी किसी सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. समागम के माध्यम से तीन प्रस्ताव पारित किये गये. जिसमें भोजपूरी को संवैधानिक दर्जा दिलाने, केन्द्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी के पाठ‍्यक्रम में भोजपुरी भाषा को शामिल करने व राज्य में भोजपुरी को दूसरी भाषा का दर्जा देने की मांग की गयी.
डीएम, एसडीओ को भेजी जायेगी संयुक्त जांच रिपोर्ट

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