पीएम ओली ने अप्रत्यक्ष रूप से गुरुवार को भारतीय राजदूत पर लगाया आरोप
शुक्रवार को भारतीय दूतावास ने बयान जारी कर भोज संबंधी बयान का किया खंडन
उत्तरी पड़ोसी से किया समझौता, कुछ लोग थे नाराज
रक्सौल : हमारी पार्टी सरकार से बाहर निकल रही थी, तो कुछ लोग पांच सितारा होटल से भोज खाकर निकल रहे थे. इससे सब कुछ साफ हो जा रहा है. नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली अपने सरकार के खिलाफ अपने आये अविश्वास प्रस्ताव पर गुरुवार को नेपाल के रक्षा मंत्रालय के राष्ट्रीय परिषद के सचिवालय में राष्ट्रीय सुरक्षा गोष्ठी को संबोधित करते हुए भारत के राजदूत के विरुद्ध अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधा था.
जिसके बाद नेपाली मीडिया ने भारतीय राजदूत रंजीत रे के विरुद्ध अभियान छेड़ दिया गया. शुक्रवार को भारतीय दूतावास द्वारा एक विज्ञप्ति जारी कर इन आरोपों का खंडन किया गया. विज्ञप्ति ने कहा गया था कि इस तरह का आरोप लगाकर भारत-नेपाल की मित्रता में कलह पैदा किया जा रहा है. केपी शर्मा ओली पर अविश्वास प्रस्ताव आने के बाद 12 जुलाई को दूतावास द्वारा किसी तरह भोज का आयोजन नहीं किया गया था.
ज्ञात हो कि दूतावास को लेकर खबर आयी थी कि सरकार का गिरना तय होने के बाद मधेसी नेताओं के साथ भोज किया था. वही पीएम ओली ने सुरक्षा गोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि हमारी विदेश नीति कमजोर रहा है. जिस कारण हमने अपने उतरी पड़ोसी देश के साथ परिवहन संबंधी समझौता किया. जिसको लेकर कुछ लोग नाराज थे.
अप्रत्यक्ष रूप से भारत की ओर इशारा करते हुए पीएम ने कहा कि अपना हित छोड़ कर पड़ोसी से मित्रता नहीं निभाया जा सकता है. इस बयान से पूरे नेपाल में भारत के विरुद्ध माना गया और लोगों का कहना है कि पीएम यह मान रहे है कि नेपाल में उनकी सरकार गिराने में भारत का हाथ है.
ओली के नेपाल का पीएम बनने के बाद से लगातार भारत के विरूद्ध टिप्पणी करते रहे हैं. जिससे उनकी छवि भारत विरोधी बन गया था. इधर, सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आने के बाद ओली यह भुनाने में जुट गये है कि भारत की सरकार ने उनकी सरकार गिराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है. पीएम के इस बयान से जहां नेपाल के पहाड़ी मूल के लोग भारत के विरूद्ध अपनी नाराजगी व्यक्त कर रहे है तो मधेसियों में हर्ष है.