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140 बच्चे अब तक कराये गये मुक्त

संवाददाता : हाजीपुर बाल श्रम पर रोक लगाने के लिए श्रम विभाग के सार्थक प्रयास का बेहतर नतीजा सामने आया है. जिले में बाल श्रमिकों के साथ हो रहे अत्याचार के खिलाफ श्रम विभाग की लगातार कार्रवाई पर अधिकतर नियोजकों में हड़कंप मच गया. सैकड़ों नियोजक से जुर्माने की वसूली की गयी, जिसकी वजह से […]

संवाददाता : हाजीपुर बाल श्रम पर रोक लगाने के लिए श्रम विभाग के सार्थक प्रयास का बेहतर नतीजा सामने आया है. जिले में बाल श्रमिकों के साथ हो रहे अत्याचार के खिलाफ श्रम विभाग की लगातार कार्रवाई पर अधिकतर नियोजकों में हड़कंप मच गया. सैकड़ों नियोजक से जुर्माने की वसूली की गयी,

जिसकी वजह से बाल श्रमिकों की संख्या में व्यापक रूप से कमी आयी है. वहीं नियोजकों ने व्यस्क व्यक्ति को काम पर रखना भी शुरू कर दिया है. जिले के विभिन्न प्रखंड क्षेत्रों से विगत दो वर्षों में बड़ी संख्या में नियोजकों को दंडित किया गया है. 20 लाख से अधिक आर्थिक दंड की राशि जमा करायी गयी. एक सौ 40 बच्चों को मुक्त कराया गया है.

क्या है जुर्माने का प्रावधान : बाल मजदूरी कराते हुए पकड़े गये नियोजकों को कई तरह से दंडित किया जाता है. बाल श्रमिक प्रतिषेध अधिनियम 1986 के तहत कार्रवाई करते हुए सीजेएम के यहां अभियोजन दायर किया जाता है.

आर्थिक दंड 10 से 20 हजार रुपये तक और एक से तीन माह की कारावास की सजा होती है. एससी मेहता बनाम तमिलनाडु सरकार पर सुप्रीम कोर्ट के फैसला के मुताबिक नियोजकों से 20 हजार रुपये की जुर्माना वसूली कर बाल श्रमिक पुनर्वास सह कल्याण कोष में राशि जमा की जाती है.

नियोजकों द्वारा राशि जमा नहीं करने पर बिहार एवं आेड़िशा पब्लिक रिमांड रिकवरी एक्ट के तहत नीलाम पत्र दायर किया जाता है.बाल श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी से कम भुगतान करने पर अंतर राशि के लिए दावा पत्र एवं अधिनियम की धारा-12 एक के अंतर्गत सीजेएम के यहां अभियोजन दायर किया जाता है. क्या है कार्रवाई की प्रक्रिया : श्रम विभाग द्वारा धावा दल गठित किया जाता है, जिसमें श्रम विभाग के अधिकारी, स्थानीय थाने की पुलिस, गैर-सरकारी संगठन के सदस्य और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल किये जाते हैं.

धावा दल द्वारा मुक्त कराये गये अज्ञात बाल श्रमिक को मुजफ्फरपुर एवं छपरा स्थित शेल्टर होम में रखा जाता है.वहीं जिन बाल मजदूरों का पता-ठिकाना मालूम होता है, उसे उसके घर पर सुरक्षित भेज दिया जाता है. कहां-कहां हुई छापेमारी : वैशाली जिले के हाजीपुर नगर व सदर,सराय,भगवानपुर,गोरौल,पटेढ़ी, बेलसर, वैशाली, लालगंज, राजापाकर, महुआ, पातेपुर, जंदाहा, चेहराकलां, देसरी, सहदेई, महनार, बिदुपुर, राघोपुर में श्रम विभाग का धावा दल छापेमारी कर चुका है.

छापेमारी में कितने बच्चे हुए मुक्त : वर्ष 2013 में कुल 71 बच्चों को बाल श्रम से मुक्त कराया गया था. गत वर्ष की जुलाई में 10, अगस्त में 09, सितंबर में 14, अक्तूबर में 15, नवंबर में 16 तथा दिसंबर में 23 बच्चों को मुक्त कराया गया है.कहां-कहां के नियोजकों पर हुई कार्रवाई : हाजीपुर सदर के मदारपुर, वैशाली एवं चेहराकलां के एक-एक होटल संचालक पर प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. वहीं हाजीपुर नगर, भगवानपुर, महुआ, महनार, सहदेई, राजापाकर, बेलसर, गोरौल सहित अन्य थाना क्षेत्र में स्थित होटल,ईंट चिमनी, ढाबा, फैक्टरी और आलीशान मकान के कई मालिकों के खिलाफ कार्रवाई की गयी.

क्या कहता है आंकड़ा
वर्ष 2013 में-71
जुलाई 14 में- 10
अगस्त 14 में- 09
सितंबर में 14
अक्तूबर में 15
नवंबर में 16
दिसंबर में 23 बच्चों को मुक्त कराया जा चुका है.
क्या कहते हैं पदाधिकारी
पिछले दो वर्षों में बाल श्रम पर काफी हद तक काबू पाया गया है. सप्ताह में दो-तीन दिन योजना बना कर धावा दल हर इलाके में छापेमारी करता है और बाल श्रमिकों को मुक्त कराया जाता है.
अरुण कुमार श्रीवास्तव, श्रम अधीक्षक,वैशाली

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