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गरीबों के लिए महंगा हुआ ‘सरकारी’ पानी
मोतिहारी : स्वच्छ व शुद्ध पेयजल की योजना पर खर्च 9.67 करोड़ की राशि के बाद भी शहरवासी प्यासे हैं. गरमी के मौसम में भी नप क्षेत्र की एक बड़ी आबादी को शुद्ध जल मयस्सर नहीं है. पाइपलाइन ध्वस्त होने से उन इलाकों में पेयजल की किल्लत है. शहर के मोतीझील के पार मीना बाजार […]
मोतिहारी : स्वच्छ व शुद्ध पेयजल की योजना पर खर्च 9.67 करोड़ की राशि के बाद भी शहरवासी प्यासे हैं. गरमी के मौसम में भी नप क्षेत्र की एक बड़ी आबादी को शुद्ध जल मयस्सर नहीं है. पाइपलाइन ध्वस्त होने से उन इलाकों में पेयजल की किल्लत है. शहर के मोतीझील के पार मीना बाजार वाले इलाकों में पिछले कई माह से सरकारी पानी की सप्लाइ बंद है.
जगह-जगह बने वाटर पोस्ट भी ठप पड़े हैं. ऐसे में इन इलाकों में झुग्गी-झोंपड़ियों में रहने वालों के लिए पेयजल की की समस्या खड़ी हो गयी है. आर्थिक सबल लोग तो घरों में चापाकल लगा निश्ंिचत हैं. जबकि गरीब, असहाय को मिलने वाली सरकारी पानी भी महंगी हो गयी है. लोगों को दूर-दूर लगे चापाकल से पीने के लिए पानी लाना पड़ रहा है.
पाइपलाइन है ध्वस्त
मोतीझील के मीना बाजार वाले इलाकों में सप्लाइ के लिए बिछायी गयी पाइप ध्वस्त हो चुकी है. इससे आसपास के कई मुहल्लों में सप्लाइ की पानी आनी बंद है. स्थानीय लोगों की माने तो पाइनलाइन ध्वस्त हुए कई माह बीत चुके हैं. अधिकांश वाटर पोस्ट भी ध्वस्त हैं. इससे मुहल्लों में आनेवली सप्लाइ ठप है.
इन मुहल्लों में थी सप्लाइ
शहर के हेनरी बाजार, गुदरी बाजार, ज्ञानबाबू चौक से लेकर छतौनी के भवानीपुर जिरात व खोदानगर आदि मुहल्लों में सप्लाइ की पानी पहुंचती थी. इन मुहल्लों में गुदरी बाजार स्थित जलमीनार से सप्लाइ होती है. इनमें अधिकांश मुहल्ले की पाइपलाइन ध्वस्त हो चुकी है.
नहीं हुई वैकल्पिक तैयारी
पाइपलाइन ध्वस्त होने के बाद इन मुहल्लों में सप्लाइ ठप है. विभागीय स्तर पर इसको लेकर वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं की गयी है. कई माह से बंद सप्लाइ को लेकर विभाग उदासीन बना हुआ है. जानकार बताते हैं कि विभागीय स्तर पर इसको लेकर अभी प्लानिंग ही चलरही है.
पाइप ध्वस्त, सप्लाइ चालू
पाइप भले ही ध्वस्त हो गया है, लेकिन सप्लाइ अभी चालू है. यह दावा करते हुए पीएचइडी विभाग के एसडीओ अवि रंजन ने बताया कि कुछेक मुहल्लों में पाइप ध्वस्त होने से सप्लाइ ठप है. लेकिन रू टीन में पानी की सप्लाइ जारी है.
उन्होंने तर्क देते हुए कहा कि पूर्व से वाटर सप्लाइ का प्वाइंट लेने वाले लोगों की सुविधाओं के मद्देनजर पानी की रोजाना सप्लाइ की जाती है. लेकिन अब सवाल यह उठता है कि जब जानपुल, ज्ञानबाबू चौक, मीना बजार, भवानीपुर जीरात आदि जगहों पर लगे वाटर पोस्ट सूखे ही पड़े हैं तो फिर विभाग सप्लाइ की पानी की खपत होती कहां है.
नप के पास नहीं है आंकड़ा
शहर के कितने घरों में सप्लाइ की पानी जाती है, नप के पास इसका कोई आंकड़ा नहीं है. और ना ही पिछले चार साल में किसी ने सप्लाइ के प्वाइंट के लिए आवेदन किया है. आंकड़ों के संबंध में जब नप प्रशासन व पीएचईडी विभाग से संपर्क किया गया तो दोनों विभाग के कर्मी एक-दूसरे के सर ठीकरा फोड़ने लगे.
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