राजपुरए : राज्य सरकार के निर्देश के आलोक में प्रखंड के सभी विद्यालयों में मध्याह्न भोजन के बाद प्रत्येक दिन बच्चों को एक मौसमी फल देना अनिवार्य है़ लेकिन, शायद ही इस नियम का पालन कोई विद्यालय कर रहा. इस संबंध में जानकारी प्राप्त करने के लिए गुरुवार को मध्य विद्यालय मंगरॉव में जब प्रभात खबर की टीम पहुंची, तो बच्चे चावल दाल और सब्जी तो खा रहे थे. लेकिन, उन्हें किसी भी प्रकार का मौसमी फल नहीं दिया गया़
इस संबंध में जब बच्चों से पूछा गया तो वर्ग पांच का छात्र अभय कुमार, बबली कुमारी, वर्ग चार की रीता कुमारी सहित अन्य दर्जनों बच्चों ने बताया कि अभी तक किसी दिन भी मौसमी फल का वितरण नहीं किया गया है. जबकि हैरत की बात यह हो गयी कि मौके पर बच्चों को खाना खिला रहे शिक्षक चंद्रशेखर राम से पूछने पर बताया गया कि हमें तो पता ही नहीं है कि विद्यालय में मौसमी फल देना है. जबकि खाना खिलानेवाली रसोइयों ने भी बताया कि हमें भी इस बात की जानकारी नहीं है़
लेकिन जब विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापिका मनोरमा कुमारी से मिलने की बात कही गयी, तो पता चला वह किसी काम से बाहर चली गयीं हैं. सबसे बड़ी आश्चर्य की बात है कि यह विद्यालय स्वयं संकुल संसाधन केंद्र भी है, लेकिन यहां खुद इस नियम का पालन नहीं किया जा रहा है़ अर्थात चिराग तले अंधेरावाली कहावत चरितार्थ साबित हो रही है़ बड़ी बात यह है कि इसी माह के पांच तारीख को शिक्षकों की हुई गुरु गोष्ठी में प्रखंड के मध्याह्न भोजन साधन सेवी संजय राय द्वारा सभी प्रधानाध्यापकों को स्पष्ट निर्देश दिया गया था कि हर हाल में इस नियम का पालन होना चाहिए, लेकिन इसके बावजूद अभी तक अधिकतर विद्यालयों में बच्चों के बीच मौसमी फल का वितरण नहीं किया जा रहा है़