हाये रे महंगाई. पिछले साल अरहर, तो इस साल रुला रही चना दाल
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अब चना दाल भी 90 पार
हाये रे महंगाई. पिछले साल अरहर, तो इस साल रुला रही चना दाल महंगाई रूकने का नाम नहीं ले रही है. आम जनता को घर चलाना मुश्किल भरा हो गया है. खास कर किसान और प्राइवेट नौकरी करनेवाले लोग परेशान हैं. सब्जी से लेकर राशन तक महंगा हो गया है़ खास कर दाल,चीनी, तेल पर […]
महंगाई रूकने का नाम नहीं ले रही है. आम जनता को घर चलाना मुश्किल भरा हो गया है. खास कर किसान और प्राइवेट नौकरी करनेवाले लोग परेशान हैं. सब्जी से लेकर राशन तक महंगा हो गया है़ खास कर दाल,चीनी, तेल पर इसका असर ज्यादा देखने को मिल रहा है़
बाजार में सामान का भाव
सामग्री वर्ष 2015 वर्ष 2016
अरहर दाल 200 130
चना दाल 45 92
मसूर 55 72
मूंग 125 100
चना 40 80
मटर 31 40
मसालाें की कीमत
मसाला वर्ष 2015 वर्ष 2016
जवाईंग 1402 40
मंगरैला 150 240
सूखा मिर्च 90 140
धनिया 90 90
जीरा 200 180
मरीच 80 80
सरसों तेल 120 120
चीनी 36 38
नोट- कीमत रुपये में प्रति किलो है.
संवाददाता : भले ही सरकारी आंकड़ों में इस देश का विकास दर लगातार बढ़ रहा हो, पर जिस कदर महंगाई बढ़ रही है, उससे आम आदमी बेहाल है और सरकारी आंकड़े धरे-के-धरे रह जा रहे हैं. इसका असर स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य चीजों पर भी पड़ रहा है. महंगाई बढ़ने से आम लोगों का बजट ही बिगड़ गया है. पिछले साल अरहर दाल में जो इजाफा हुआ,
उसे आज भी मैनेज करना सरकार के लिए मुश्किल भरा काम है. पिछले साल दो सौ रुपये किलो तक अरहर दाल की कीमत खुदरा बाजार में पहुंच गयी थी. इस साल इसे खींचतान कर 130 रुपये किलो तक लाया गया है. अरहर को छोड़ भी दिया जाये, तो चना और मसूर दाल की कीमत भी लगातार बढ़ रही है. पिछले साल की तुलना में इस बार मसूर की कीमत सत्तर प्रतिशत तक बढ़ गयी है. जबकि चना दाल में सौ प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की जा रही है.
यहीं नहीं चना और मटर की कीमतों में भी इस साल करीब सौ प्रतिशत का इजाफा हुआ है. इसके विपरीत मूंग दाल की कीमत में प्रति किलो 40 प्रतिशत तक की कमी दर्ज हुई है.
मसाला बाजार भी गरम : मसालों का बाजार भी गरम है. पिछले साल की तुलना में इस साल जवाइंन, मंगरैला, सूखा मिर्च और लहसुन की कीमतों में औसतन 80 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है. हल्दी की कीमत में कमी आयी है. इधर, खाद्य सामग्री में शामिल चीनी की कीमत में इस बार प्रति क्विंटल दो सौ रुपये की बढ़ोतरी हुई है, तो सरसो तेल में कोई इजाफा नहीं हुआ है.
रेट वही, पर वजन कम दे रहीं कंपनियां :
विभिन्न कंपनियों ने भी वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी की है. इनके बढ़ोतरी करने के अलग नियम हैं. कीमत वहीं और वजन कम किया गया है. साबुन से लेकर तेल तक की कीमतों में वृद्धि करने के लिए इनके वजन में कमी की गयी है, ताकि उपभोक्ता मूल्य में कोई अंतर नहीं समझ पाएं, पर ऐसा नहीं है. उपभोक्ता हर वस्तु पर बढ़े हुए दाम का बोझ बखूबी समझते हैं. महंगाई ने लोगों के घरों का बजट ही बिगाड़ कर रख दिया है. लोग कहते हैं कि देश का विकास दर भले ही बढ़ता हो, पर आम आदमी की मुश्किलें बढ़ रही हैं.
क्या कहते हैं दुकानदार
थोक विक्रेता विनोद कुमार कहते हैं कि कीमतों में वृद्धि से बाजार पर काफी बुरा असर पड़ता है. बाजार मंदा हो जाता है. खरीदारी रूक जाती है. इनकी कीमतें कभी स्थिर नहीं रह पातीं. सरकार को महंगाई पर ब्रेक लगाने की दिशा में पहल करनी चाहिए.
खाद्य सामग्रियों की कीमत में बढ़ोतरी से आम जनता परेशान
राज्य व केंद्र सरकार की उदासीनता से नहीं थम रही महंगाई
ढ़काइच के ललन प्रधान पेशे से किसान हैं. कहते हैं कि हर चीज की कीमत बढ़ी है, इसकी वजह है उत्पादन का कम होना. राज्य और केंद्र सरकार की उदासीनता के कारण महंगाई पर कोई ब्रेक नहीं लग रहा है.
महदह के विजेंद्र राय ने कहा कि सरकार को मूल्य नियंत्रण के लिए कोई उपाय करना चाहिए. कम-से-कम खाद्य सामग्रियों की कीमत में कोई इजाफा न हो. इसके लिए सरकार को काम करना चाहिए.
आजमा खातून कहती हैं कि इस महंगाई में ईद पर्व को मनाना काफी मुश्किल हो रहा है. रमजान महीना काफी खर्च का महीना होता है और महंगाई ने कमर तोड़ कर रख दी है.
राजेश कुमार गुप्ता का कहना है कि एक तो आमदनी कम है, तो दूसरी तरफ वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी है, जिससे आर्थिक बोझ बढ़ जाता है. इसका प्रभाव स्वास्थ्य और बच्चों की शिक्षा पर भी पड़ रहा है.
राजकुमारी देवी ने कहा कि घर परिवार चलाना मुश्किल हो गया है. महंगाई ने सब कुछ प्रभावित कर दिया है. चुनाव में हर आदमी बेहतरी के लिए वोट देता है, पर इसका भी कुछ फायदा नहीं है.
सीता देवी ने कहा कि महंगाई ने घर का बजट ही बिगाड़ दिया है. जैसे-तैसे घर को चलाने की कोशिश चल रही है. सरकार कुछ भी नहीं कर पाती. सरकार को महंगाई पर रोक लगाना चाहिए, जिससे आम आदमी जिंदा रह सके.
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