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शहर की सफाई व्यवस्था चरमरायी

बक्सर नगर परिषद की सफाई व्यवस्था पिछले दो महीने से बिल्कुल चरमरा गयी है. डोर-टू-डोर कचरे का उठाव तो किसी तरह किया जा रहा है, मगर नालियों की सफाई का काम पूरी तरह ठप पड़ा है. सभी वार्डों में लगभग एक जैसी स्थिति है. बक्सर : बक्सर नगर परिषद की सफाई व्यवस्था पिछले दो महीने […]

बक्सर नगर परिषद की सफाई व्यवस्था पिछले दो महीने से बिल्कुल चरमरा गयी है. डोर-टू-डोर कचरे का उठाव तो किसी तरह किया जा रहा है, मगर नालियों की सफाई का काम पूरी तरह ठप पड़ा है. सभी वार्डों में लगभग एक जैसी स्थिति है.

बक्सर : बक्सर नगर परिषद की सफाई व्यवस्था पिछले दो महीने से बिल्कुल चरमरा गयी है. डोर-टू-डोर कचरे काउठाव तो किसी तरह किया जा रहा है, मगर नालियों की सफाई का काम पूरी तरह ठप पड़ा है. सभी वार्डों में लगभग एक जैसी स्थिति है. पूर्व में सफाई व्यवस्था और नालों की सफाई का जिम्मा उठाने वाले एनजीओ शिवम जन स्वास्थ्य एवं सर्वांगीण विकास संस्थान, पटना के जिम्मे था, मगर नगर परिषद और एनजीओ के बीच भुगतान को लेकर चल रही खींचातानी में शहरवासी परेशान हो गये और सभी वार्डों में नालों की सफाई दो महीने से ठप पड़ी है.
डोर-टू-डोर कचरे का उठाव अनियमित ढंग से किया गया. सफाई करने वाले एनजीओ का अनुबंध 31 मार्च तक का था, मगर 31 मार्च के बाद 30 अप्रैल तक उसका सेवा विस्तार किया गया था. सेवा विस्तार के बावजूद संतोषजनक कार्य नहीं होने के कारण 1 मई से नगर परिषद ने एनजीओ का अनुबंध खत्म कर सफाई का जिम्मा अपने ऊपर ले लिया. सफाई को मुकम्मल तरीके से कराने की कवायद नगर परिषद कर रहा है, मगर आलम यह है कि नगर परिषद के पास न संसाधन है और न ही मैन पावर. दोनों के लिए जुगाड़ किया जा रहा है, ताकि शहर को स्वच्छ और नालों की सफाई नियमित रूप से हो सके.
मात्र आठ महीने में टूट गया एनजीओ का अनुबंध : 1 सितंबर, 2015 से पटना की एनजीओ शिवम जन स्वास्थ्य एवं सर्वांगीण विकास संस्थान को सफाई का जिम्मा दिया गया. सफाई में जो शर्ते अनुबंध में की गयी उसमें शत-प्रतिशत अनुपालन नहीं होने के कारण एनजीओ के भुगतान में शुरू से ही परेशानियां आती रहीं. इसके कारण एनजीओ कर्मी भी शहर की सफाई को तत्परता से नहीं ले सके. मात्र आठ महीने में ही एनजीओ का अनुबंध टूट गया. 31 मार्च को खत्म होना था और वैकल्पिक व्यवस्था न होने के कारण एनजीओ को एक माह का अवधि विस्तार दे दिया गया. एनजीओ ने भी डोर टू डोर कचरे का उठाव किया और सफाई की,
मगर नालों की सफाई में कोताही बरती. नतीजा हुआ कि शहर के किसी भी वार्ड में नाले की सफाई नहीं हुई और कई जगहों पर नाले का पानी सड़कों पर भी बहता नजर आया. नप ने खुद संभाली सफाई की कमान : अनुबंध खत्म होने के बाद 2 मई से न तो नगर परिषद ने सफाई का जिम्मा अपने नाम कर लिया है. फिलहाल नप के पास 40 स्थायी सफाई कर्मी हैं, जबकि शहर में मुकम्मल सफाई के लिए कम से कम दो सौ सफाई कर्मियों की जरूरत है. फिलहाल अस्थायी सफाई कर्मियों की संख्या 160 तक करने को लेकर नगर परिषद प्रयासरत है.
शहर से सटे इटाढ़ी, चौसा आदि प्रखंडों से भी सफाई कर्मी शहर में लाने की कवायद चल रही है. नगर परिषद इसके अतिरिक्त हाल ही में सफाई को लेकर 40 पीस, हैंड ट्रेलर मंगवा चुका है तथा अन्य संसाधनों के लिए लगातार बैठक कर विचार-विमर्श कर रहा है. नगर परिषद के कुल 34 वार्डों में सफाई का काम अस्त-व्यस्त चल रहा है. बरसात आने को है और सभी नाले भरे हैं तथा बजबजा रहे हैं. बरसात से पहले अगर सफाई नालों की नहीं हुई तो शहरवासी को नारकीय जीवन जीना पड़ेगा.

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