आधुनिक बाजारवादी व्यवस्था के तहत विभिन्न विज्ञापनों के माध्यम से उपभोक्ताओं को आकर्षित कर विभिन्न कंपनियों द्वारा उपभोक्ताओं का शोषण किया जा रहा है. इससे बचने के लिए व न्याय मिलने के लिए वर्ष 1986 में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का स्थापना किया गया, जो कि ठगी होने के बाद उपभोक्ता रामवाण की तरह आज इसे इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन वह खुद आज परेशान है.
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माइक के हो हल्ले से बंद कमरे में होती है सुनवाई
आधुनिक बाजारवादी व्यवस्था के तहत विभिन्न विज्ञापनों के माध्यम से उपभोक्ताओं को आकर्षित कर विभिन्न कंपनियों द्वारा उपभोक्ताओं का शोषण किया जा रहा है. इससे बचने के लिए व न्याय मिलने के लिए वर्ष 1986 में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का स्थापना किया गया, जो कि ठगी होने के बाद उपभोक्ता रामवाण की तरह आज इसे […]
बक्सर : कोर्ट बीते वर्ष में जिला फोरम ने सौ से अधिक मामलों का निबटारा किया है और फोरम प्रत्येक माह 12 फैसले सुना कर लोगों को न्याय देने का काम आज बक्सर जिले में कर रहा है, लेकिन वर्तमान समय में वह खुद पीड़ित हो चुका है और आम जनता से न्याय की उम्मीद में है.
खुद न्याय की आस में फोरम
वैसे तो जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा हजारों लोगों को न्याय मिला है. लेकिन, आज स्वयं उपभोक्ता फोरम ही न्याय की आस में है. बताते चलें कि समाहरणालय के मुख्य द्वार पर स्थापित उपभोक्ता फोरम को अक्सर धरना एवं प्रदर्शनकारियों के आक्रोश का सामना करना पड़ता है.वैसे तो यह प्रदर्शन जिलाधिकारी को सुनाने के लिए किया जाता है, लेकिन उनके पहले उपभोक्ता फोरम सामने पड़ जाता है.
ऐसे में हाइ साउंड लाउडस्पीकर के कान फाड़ू आवाज के कारण न्यायिक प्रक्रिया पूरी तरह बाधित हो जाती है. कई बार तो अपनी मांगों को बुलंदी देने की कोशिश में लोगों द्वारा लाउडस्पीकर को फोरम की चहारदीवारी या खिड़कियों में बांध दिया जाता है. मंगलवार को जहां एक तरफ विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाया जा रहा था. वहीं, दूसरी तरफ स्वर्ण शोषित समाज का धरना फोरम की न्यायिक प्रक्रिया को इस कदर बाधित किया कि न्यायाधीश को इजलास भवन को छोड़ बंद कमरे में सुनवाई करनी पड़ी. ऐसा नजारा फोरम में अक्सर दिखायी पड़ता है.
लाखों का भुगतान हुआ उपभोक्ताओं को
वर्ष, 2015 में 100 से ज्यादा परिवादों का निष्पादन जिला उपभोक्ता फोरम द्वारा किया गया. इसमें दर्जनों ऐसे पीड़ित थे जिनका गलत विद्युत विपत्र दिया गया था. कई उपभोक्ता तो ऐसे थे जिनका महज एक माह का विपत्र एक लाख से ज्यादा का निर्गत कर दिया गया था. फोरम के फैसले के बाद विभाग द्वारा उनके विपत्र को सुधारा गया. कई मामलों में फोरम के आदेश का अनुपालन नहीं किये जाने पर फोरम द्वारा वारंट भी जारी किया गया है.वहीं, ट्रैक्टर चोरी के मामलों में परिवादी रमेश साह एवं विजय सिंह को लगभग साढ़े चार-चार लाख के मुआवजे की राशि फोरम द्वारा दिलायी गयी थी. चिकित्सक तुषार सिंह को विपक्षी सीमेंस कंपनी ने 90 हजार का चेक प्रदान किया था.
परिवादी उर्मिला देवी को भारतीय जीवन बीमा निगम ने 70 हजार का तथा तेतरी देवी को एक लाख 30 हजार का चेक दिया. न जाने ऐसे कितने मामले में बक्सर जिला उपभोक्ता फोरम ने पीड़ितों को न्याया दिया है, लेकिन आज वह सही जगह नहीं रहने से खुद ही पीड़ित हो गया है.
क्या कहते हैं अधिवक्ता
अधिवक्ता अशोक शर्मा ने फोरम के आसपास किये जानेवाले धरना-प्रदर्शन को काफी खतरनाक बताया है. उनका कहना है कि लोगों को अपनी बातों को रखने के दौरान तेज लाउडस्पीकर की आवाज के कारण सुनने में फर्क पड़ सकता है तथा इसका सीधा असर न्याय पर भी जा सकता है. फोरम के ईद-गिर्द तेज आवाज पर कड़ाई के साथ रोक लगा देना चाहिए.
अधिवक्ता विमलेश कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि लगातार होनेवाले धरना-प्रदर्शन के कारण फोरम में काम करना बहुत मुश्किल हो गया है. इस पर जिलाधिकारी को तत्काल रोक लगाना चाहिए.
अधिवक्ता ज्योति शंकर ने कहा कि बक्सर जिले में धरना-प्रदर्शन के लिए एक अलग हड़ताली चौराहा या मोड़ होना चाहिए, जहां लोग अपनी मांगों को रखें, लेकिन इस दौरान आम लोगों को किसी भी तरह की कोई परेशानी का सामना नहीं करना पड़े. अधिवक्ता जितेंद्र कुमार सिन्हा नीरज ने कहा कि न्याय का मंदिर के पास कोलाहल होना पूरी तरह गलत है. जहां ऊंची आवाज के कारण न्याय की जगह अन्याय मिल सकता है.
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