बक्सर : बक्सर जिले के सदर प्रखंड के नदांव की पोखरा पर की रहनेवाली 50 वर्षीया एक पैर से विकलांग प्रभा देवी ने अपने गांव की महिलाओं के सहयोग से महज डेढ़ साल में अपने गांव को शराबमुक्त कर दिया. बक्सर से 18 किलोमीटर दूर बसे पोखरा पर बस्ती में 30 घर हैं, जिसमें अवैध ढंग से महुआ से शराब बनाने का धंधा वर्षों से चल रहा था.
महुआ शराब के फलते-फूलते धंधे के कारण क्षेत्र के युवा न सिर्फ शराब के भूखे थे, बल्कि परिवार के भरण-पोषण में भी कोताही बरतते थे. इसके कारण घर की महिलाओं और बच्चों को पैसे के अभाव में भूखे भी रहना पड़ता था. बाद में प्रभा देवी ने बस्ती की महिलाओं को एकत्र कर शराब से मुक्ति का तरीका ढूंढा.
2014 में समूह का किया गठन
19 फरवरी 2014, को विकलांग प्रभा देवी ने कमल जीविका स्वयं सहायता समूह का गठन किया और घर खर्च के पैसे को बचा कर 10 रुपये जमा करना शुरू किया, ताकि समूह की गतिविधियों को बढ़ा सकें. बाद में प्रभा ने बस्ती की महिलाओं को अपनी योजना से अवगत कराना शुरू किया और क्षेत्र की महिलाओं के बीच अपनी बात और इच्छा शेयर करना शुरू किया.
धीरे-धीरे पूरे गांव की महिलाओं को ये बातें अच्छी लगी और प्रभा देवी के हाथ-से-हाथ मिला कर चलने का संकल्प क्षेत्र की महिलाओं ने ले लिया. सभी महिलाओं ने अपने घर के पुरुषों से ही संघर्ष की शुरुआत करने की सोची और शराब बनाने की प्रक्रिया बंद करने का दबाव बनाया. नतीजा हुआ कि धीरे-धीरे पोखरा पर शराब बनाने का धंधा घटने लगा और यह मेहनत धीरे-धीरे रंग लायी और शराब बिकना बंद हुआ.
घर-घर में जलाया शिक्षा का अलख : विकलांग प्रभा देवी ने गांव की अशिक्षा को दूर करने में ध्यान दिया और फिर इसके लिए भी गांव की महिलाओं को अपने-अपने बच्चों को स्कूल भेजने और पढ़ाने का वचन लिया, जिसके बाद उस क्षेत्र के बच्चे जो दिन भर गांव में खेलकूद करते थे,आज वे स्कूल जाने लगे हैं. बच्चों में भी पढ़ाई को लेकर अन्य बच्चों की तहर उत्साह देखने को मिल रहा है़