बक्सर : जिले में रविवार को दिन में अधिकतम तापमान 23 डिग्री रिकॉर्ड किया गया. वहीं, रात में अब तक का सबसे नीचे तापमान 8 डिग्री तक चले जाने की संभावना मौसम विभाग ने जतायी. इससे पूर्व न्यूनतम तापमान 11 डिग्री तक गया था. आज सोमवार की सुबह में मौसम में सुधार आयेगा और अधिकतम तापमान 22 डिग्री तक पहुंच जायेगा. रविवार को दिन भर मौसम साफ रहा, लेकिन हवा में ठंडक के कारण लोग बेहाल रहे.
धूप की गरमी अपराह्न में थोड़ी तेज हुई, मगर सूरज के ढलान पर जाते ही धूप की गरमी घट गयी और लोगों को धूप में भी ठंड का एहसास होने लगा.मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार 22 दिसंबर को ठंड में काफी गिरावट आयेगी और न्यूनतम तापमान पांच डिग्री तक पहुंच जायेगा, जिससे लोगों का जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो जायेगा.
रविवार के मौसम के आंकड़े के अनुसार बादलों के बीच सूर्य का आना-जाना लगा रहा, जिसके कारण लोगों ने दिन भर परेशानियां महसूस कीं. आद्रता 33 प्रतिशत रिकॉर्ड की गयी. राज्य सरकार की नियमावली की बाध्यता के कारण 25 दिसंबर के बाद ही फिलहाल जिले में अलाव जलाने की बात प्रशासन सोच रहा है.हालांकि ठंड ज्यादा पड़ने पर इसमें बदलाव भी संभावित है. सर्वाधिक परेशानी दलित बस्तियों में रहनेवाले लोगों को हो रही है.
गरीबों को हो रही परेशानी : दलित बस्तियों में रहनेवाले लोग ठंड और कुहासे से ठिठुर से गये हैं. रिक्शा, ठेला तथा गांव में घूम कर कबाड़ी खरीदनेवाले शांति नगर के लोगों की हालत बदहाल है. इसके अतिरिक्त मठिया, किला मैदान के पीछे, सर्किट हाउस के रास्ते में और रामरेखा घाट तथा नहर के इलाके में रहनेवाले दलित-महादलित परिवार के लोगों की जान पर आफत आ चुकी है.
अंगीठी-अलाव के सामने बैठ कर उन लोगों का दिन-रात गुजर रहा है. सरकार ठंड के लिए कब योजना बनायेगी और कब उन्हें सहारा मिलेगा, इसकी आस में वे बैठे हैं. दलित बस्तियों में रहनेवाले लोगों का कहना है कि रात में स्वत: ही ठंड से दांत कटकटाने लगता है. न सरकार से ठंड से बचाव का उपाय है और न ही गरम कपड़े खरीदने के लिए उनके पास पैसे हैं.
कपड़ों की कमी, आग ताप कर गुजार रहे रात : शांति नगर में रहनेवाले दलित ठेलाचालक रूस्तम रइन का कहना है कि ठंड के कारण उनका जीना मुश्किल हो गया है. गरम कपड़ों की बजाय आग के सामने बैठ कर रात गुजार रहे हैं और दिन भर लकड़ी और पत्तियां चुन कर लाते हैं और उसे शाम से ही जलाते हैं.
अलाव ही बना सहारा : वहीं, शांति नगर के ही सोनू अंसारी जो कबाड़ी का सामान खरीदता है. कहता है कि ठंड में सुबह-सुबह कबाड़ी खरीदने जाना पड़ता है और कुहासे से परेशानी है. कबाड़ी बेच कर ही अपना और परिवार का पेट पालते हैं.