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मानव को भाग्यवादी न होकर कर्मवादी होना चाहिए : स्वामी जी
बक्सर : जिस गर्भ में भक्त होते हैं, वहीं भगवान भी रहते हैं और हमेशा भक्त की रक्षा भगवान करते हैं. उक्त बातें जीयर स्वामी जी महाराज ने लक्ष्मी नारायण यज्ञ के 20 दिवसीय भागवत कथा के दौरान गुरुवार को कहीं. उन्होंने कहा कि राजा परीक्षित के धरती पर जन्म लेते ही नामकरण किया गया […]
बक्सर : जिस गर्भ में भक्त होते हैं, वहीं भगवान भी रहते हैं और हमेशा भक्त की रक्षा भगवान करते हैं. उक्त बातें जीयर स्वामी जी महाराज ने लक्ष्मी नारायण यज्ञ के 20 दिवसीय भागवत कथा के दौरान गुरुवार को कहीं.
उन्होंने कहा कि राजा परीक्षित के धरती पर जन्म लेते ही नामकरण किया गया और परीक्षित का अर्थ बतलाते हुए कहा कि जो परमात्मा की इच्छा के अनुसार, जो सब कुछ उन्हीं के ऊपर छोड़ देता है, वही परीक्षित है. उन्होंने कहा कि बालक और कन्याओं का नामकरण भगवान व लक्ष्मी के नाम से रखना चाहिए. वहीं, कृष्ण को द्वारिका जाने को लेकर कुंती रोने लगती है और कृष्ण को भगवान कहती हैं. इस प्रकार भगवान ने कुंती से कुछ मांगने को कहा, तो कुंती ने बार-बार विपत्ति मांगी.
उन्होंने कहा कि विपत्ति में आपका दर्शन होगा और मन आपके चरणों में लगा रहेगा. भीष्माचार्य के 58 दिनों तक वाण सैया पर पड़े रहने पर भगवान कृष्ण पांडवों के साथ उपदेश लेने भीष्माचार्य के पास पहुंचते हैं. वहां पांडवों को राजनीति व राजकाज चलाने का उपदेश देते हैं. उन्होंने कहा कि व्यक्ति को भाग्यवादी व भविष्यवादी न होकर कर्मवादी होना चाहिए. पापी का सहयोग नहीं करना चाहिए और न ही पाप करना चाहिए. मनुष्य को हमेशा अच्छे कार्य करने चाहिए. इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए की कभी आपसे किसी को दुख न पहुंचे.
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