ब्रह्मपुर : ब्रह्मपुर के कैप्टेन विजेंद्र ने वाटर पोलो एवं तैराकी में पूरे देश में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है. ब्रह्मपुर प्रखंड के एक छोटे से गांव सपही में जन्म लेनेवाला बालक जिला और राज्य सहित पूरे देश में अपनी प्रतिभा का पचरम लहराया. सेना में तैराकी से कैरियर बना कर उच्च पद प्राप्त करने के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर पर वाटर पोलो में गोल्ड मेडल जीता और विदेश में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए ब्रोंन्ज मेडल प्राप्त किया. विजेंद्र राय ने सेना के बंगाल इंजीनियर कोर में 1980 में एक सोल्जर के रूप में ज्वाइन किया.
गोकुल जलाशय का मिल फायदा
गोकुल जलाशय के करीब होने का फायदा यह मिला की बचपन से ही तैराकी करने का शौक सेना में जाकर कैरियर का रूप ले लिया. सेना में विजेंद्र ने स्पोर्ट्स में ज्वाइन कर तैराकी को चुना. जहां इसकी प्रतिभा को राष्ट्रीय स्तर के कोचो का संरक्षण प्राप्त हुआ. 1985 में अहमदाबाद में आयोजित नेशनल गेम में तैराकी के फ्री स्टाइल में सेना का प्रतिनिधित्व करते हुए विजेंद्र ने गोल्ड मेडल प्राप्त किया. 1985 से 2005 तक तीनों सेना का प्रतिनिधित्व करते हुए देश के विभिन्न प्रांतों से सैकड़ों मेडल प्राप्त किया. 2008 में कैप्टेन के पद से सेवानिवृत्त हुए.
उपलब्धि : भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए 2002 में जापान के शहर हिरोशिमा में बोंन्ज मेडल प्राप्त किये. 2006 में आस्ट्रेलिया के पर्थ में भारतीय टीम का सदस्य रहे. नेशनल गेम में 10 किलोमीटर पांच किमी फ्री स्टाइल में गोल्ड मेडल, सहित अपने कैरियर में 110 गोल्ड, 145 सिल्वर एवं 70 कॉस्य मेडल हासिल किये. 2010 में दिल्ली में आयोजित कमनवेल्थ गेम में ऑब्जर्वर के रूप में नियुक्त हुए. सेना में सैनिक के रूप में ज्वाइन कर तैराकी के बदौलत कैप्टेन तक का सफर तय किया. रिटायरमेंट के बाद दो वर्षो तक मध्य प्रदेश सरकार के कोच रहे. वर्तमान में झारखंड सरकार के चीफ कोच के रूप में कार्यरत हैं. एक जनवरी से 14 फरवरी तक होनेवाले 35 वें नेशनल गेम में झारखंड का प्रतिनिधित्व करते हुए इनकी टीम को सिल्वर मेडल प्राप्त हुआ. गांव के गोकुल जलाशय में प्रतिवर्ष तैराकी प्रतियोगिता का आयोजन करवाते हैं. ग्रामीण क्षेत्र के प्रतिभा संपन्न लड़कों को तैराकी का प्रशिक्षण देते हैं.