किशोर-किशोरियों में एनीमिया से बचाव के लिए चलाया गया है यह कार्यक्रम
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एनीमिया से बचाव के लिए साप्ताहिक कार्यक्रम की शुरुआत
किशोर-किशोरियों में एनीमिया से बचाव के लिए चलाया गया है यह कार्यक्रम डुमरांव : सरकार बच्चों के स्वास्थ्य के लिए सचेत है. बच्चों में होने वाली खास बीमारियों जैसे एनीमिया से बचाव के लिए सरकार साप्ताहिक आयरन एवं फॉलिक एसीड अनुपूरण कार्यक्रम की शुरुआत करने जा रही. इसकी विधिवत शुरुआत पांच सितंबर शिक्षक दिवस पर […]
डुमरांव : सरकार बच्चों के स्वास्थ्य के लिए सचेत है. बच्चों में होने वाली खास बीमारियों जैसे एनीमिया से बचाव के लिए सरकार साप्ताहिक आयरन एवं फॉलिक एसीड अनुपूरण कार्यक्रम की शुरुआत करने जा रही. इसकी विधिवत शुरुआत पांच सितंबर शिक्षक दिवस पर मुख्यमंत्री द्वारा किया जायेगा. राज्य किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग और बाल विकास परियोजना के संयुक्त देखरेख चलने वाले कार्यक्रम में प्रत्येक बुधवार को 10 से 19 वर्ष आयु वाले किशोर-किशोरियों को आईएफए नीली गोली खिलायी जायेगी. इसके लिए प्रत्येक विद्यालय से दो नोडल शिक्षकों को जिम्मेदारी सौंपी गयी है, जो वर्ग 6 से 12 तक पढ़ने वाले विद्यार्थियों को नीली गोली खिलायेंगे. स्कूल नहीं जाने वाली किशोर-किशोरी को यह गोली आंगनबाड़ी द्वारा मुहैया करायी जायेगी.
किशोर-किशोरियों की मानसिक तथा शारीरिक विकास के लिए यह कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है. चूंकि किशोरावस्था में बहुत बदलाव आता है और उसके लिए अतिरिक्त खून और पोषक तत्व की जरूरत होती है. खून की कमी यानि एनीमिया से बचाव के लिए विद्यालय में खाना के दो घंटे बाद यह गोली बच्चों को खिलाना है. सप्ताह में हर बुधवार को चलाये जाने वाले कार्यक्रम को सुचारु रूप से संचालन करने के लिए पीएचसी में डॉ जितेंद्र कुमार एवं स्वास्थ्य प्रशिक्षक बैद्यनाथ प्रसाद की देख-रेख में नोडल शिक्षकों और आंगनबाड़ी सेविकाओं को एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया.
प्रशिक्षण कार्यक्रम में डॉ जितेंद्र कुमार ने एनीमिया की पहचान होने वाले कारण तथा बचाव के कारणों पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि आहार में आयरन की कमी के कारण हिमोग्लोबिन की मात्रा घटने से खून पतला हो जाने से लालिमा कम होने से शरीर के विभिन्न हिस्सों तक आक्सीजन आपूर्ति नहीं होने की अवस्था ही एनीमिया है. एनीमिया से सबसे अधिक किशोर-किशोरियां और गर्भवती महिला तथा असंतुलित भोजन द्वारा कम आयरन वाले आहार लेने वाले लोग प्रभावित होते हैं. प्रशिक्षण में नोडल शिक्षकों में मुख्य रूप से मुक्तेश्वर प्रसाद, संतोष कुमार सिंह, राजेश सिंह, शंकर तिवारी, बबीता कुमारी, पूनम कुमारी, जय कुमार, राजेश यादव दिनेश कुमार यादव आदि शामिल रहे.
कहते हैं चिकित्सक
चिकित्सकों का मानना है कि फास्ट फूड के प्रति आकर्षित होने वाले की खून की कमी ज्यादा होती है . जिसके कारण बच्चों में खून की कमी होने लगती है.
डॉ अनिल कुमार सिंह, फिजिशियन सदर अस्पताल, बक्सर
ज्यादा गर्भवती महिलाएं
महिलाओं में खून की कमी का प्रतिशत जिले में ज्यादा है करीब 50 प्रतिशत से ऊपर महिलाएं खून की कमी से जूझ रही हैं जिसमें सबसे ज्यादा गर्भवती शामिल हैं.
डॉ नमिता सिंह, स्त्री रोग विशेषज्ञ, सदर अस्पताल बक्सर
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