बक्सर : मलाईदार विभागों का वास्ता सिर्फ मलाई मात्र से रहता है. पिछले 15 दिनों के अंदर जिले में दो बड़ी छापेमारी इसके ताजा उदाहरण हैं. दिल्ली से आयी एनिमल वेलफेयर की टीम ने जिस तेवर के साथ जिले के विभिन्न क्षेत्रों में ताबड़तोड़ छापेमारी कर पशु क्रूरता की पोल खोली वह आज जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है. इसी तरह ब्रांड प्रोटेक्शन सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड की टीम द्वारा शहर के तीन प्रसिद्ध दवा दुकानों से नकली दवाओं की बड़ी खेप पकड़ कर औषधि विभाग के क्रियाकलापों पर प्रश्न चिह्न लगा दिया है. दोनों छापेमारियों में शामिल टीम के सदस्यों का कहना था कि इस गड़बड़झाले की जानकारी संबंधित विभागों को क्यों नहीं थी.
विभाग में कार्यरत साहब व बाबू को इससे कोई वास्ता नहीं रहता है. वह सिर्फ अपनी पॉकेट गर्म करने में लगे रहते हैं. उक्त दोनों मामलों की जानकारी के बाद संबंधित विभागों में हड़कंप की स्थिति बनी हुई है. स्थिति यह बन गयी है कि इससे संबंधित किसी तरह की जानकारी देना वे मुनासिब नहीं समझ रहे हैं. कोई भी पदाधिकारी इसमें बढ़-चढ़ कर अपना बयान देने से बच रहा है. लिवर व किडनी से संबंधित बीमारियों के लिए बनी दवाओं कीमती दवाओं की बरामदगी करनेवाली ब्रांड प्रोटेक्शन सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के प्रबंध निदेशक मुस्तफा हुसैन ने बताया कि नकली दवा बेचे जाने के मामले में औषधि विभाग संदेह के घेरे में आ गया है.
छापेमारी के दौरान रेडिंग टीम को पता चला कि औषधि विभाग विजिट के नाम पर दवा दुकानदारों से वसूली करती है. दवा दुकानदारों ने उक्त बातों की जानकारी पुलिस को भी दी है. कुछ इसी तरह की बातें बक्सर के एसपी मो.अब्दुल्लाह ने अपने हालिया बयान में कहा है. एसपी ने कहा है कि इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए. 15 दिन पूर्व दिल्ली से आयी एनिमल वेलफेयर की टीम द्वारा शहर के गोलंबर व चौसा पशु मेले में बड़ी छापेमारी हुई थी. चौसा में छापेमारी के वक्त कई ऐसे जानवर जब्त किये गये, जिन्हें बंगाल व दूसरे राज्यों में ट्रकों से बेचा जा रहा था. पशुओं को अमानवीय तरीके से ट्रकों में रखा गया था.