बक्सर : अब गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन के लिए भाग दौड़ नहीं करनी पड़ेगी. साथ ही नंबर के लाइन में भी नहीं लगना पड़ेगा. परिवहन विभाग पूरी तरह तत्पर है. इसके लिए विभाग ने वाहन-फोर नामक सॉफ्टवेयर को अपनाने का निश्चय किया है, जिससे वाहनों को नंबर आवंटित करने में देरी और मनमानी नहीं होगी. जिले में यह व्यवस्था फरवरी से लागू की जायेगी.
अभी इसकी तैयारी की जा रही है. इसके बाद वाहनों का रजिस्ट्रेशन व नंबरों का आवंटन क्रमवार होगा. इससे विभाग के अधिकारी, कर्मचारी और एजेंसी मालिकों की मनमानी नहीं चलेगी. इसके लागू होने के बाद वाहन मालिकों को पटना से नंबर सीरीज आने का इंतजार करना होगा.
इसके बाद नंबर सीरीज लोड किया जायेगा. इसके बाद रजिस्ट्रेशन होने के साथ ही क्रमवार नंबर भी आवंटित होता जायेगा. सिस्टम को इस तरह से पारदर्शी बनाया जा रहा है कि एक नंबर आवंटित होने के बाद विभाग के किसी अन्य काउंटर या फिर एजेंसी से उसे दूसरे का देना संभव नहीं हो सकेगा. इससे कर्मचारियों की मिलीभगत से नंबर के क्रम को तोड़ने का सिलसिला भी खत्म हो जायेगा. साथ ही जिले में अब गाड़ियों से संबंधित सभी काम ऑनलाइन होगा.
च्वाइस नंबर का खेल खत्म : नयी व्यवस्था के लागू होने के बाद अब यह उम्मीद की जा रही है कि सामान्य नंबरों को च्वाइस नंबर बनाने का खेल भी खत्म हो जायेगा. विभाग ने कुछ ही च्वाइस नंबर को श्रेणी में रखा गया है, जिसमें च्वाइस नंबर को चार ग्रुपों में बांट दिया है, जिसका अलग-अलग शुल्क निर्धारित किया है.
कहीं से ले सकते हैं जानकारी : वाहन-फोर सॉफ्टवेयर के माध्यम से काम होने के बाद वाहन संबंधित काम आसानी से हो सकेगा. इसे लागू करने की तैयारी अंतिम चरण में है. लागू होने के बाद देश के किसी भी हिस्से से वाहन संबंधी जानकारी मिल जायेगी. जल्द ही टैक्स व परमिट संबंधी कार्य भी इसकी मदद से किये जा सकेंगे.
प्रतिमाह सात सौ वाहनों का होता है रजिस्ट्रेशन : जिला परिवहन विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार प्रति महीना कुल सात सौ वाहनों का रजिस्ट्रेशन किया जाता है. जिसमें बस-ट्रक करीब तीन से चार का रजिस्ट्रेशन किया जाता है. वहीं सबसे ज्यादा दो पहिया वाहनों का रजिस्ट्रेशन करीब पांच से छह सौ किया जाता है. करीब पांच से साठ तीन पहिया वाहनों का रजिस्ट्रेशन किया जाता है. आनेवाले दिनों में इसकी संख्या बढ़ सकती है.