ब्रह्मपुर : प्रखंड के सुप्रसिद्ध गोकुल जलाशय में प्रवासी पंछियों का जत्था पहुंचना शुरू हो गया है. मालूम हो कि हर साल साइबेरिया एवं यूरोपीय देशों से हजारों की संख्या में साइबेरियन सारस आकाश मार्ग से कई हजार किलोमीटर की यात्रा कर गोकुल जलाशय पहुंचते हैं. हर साल दिसंबर महीने के शुरुआत में ही इन पंछियों का आना शुरू हो जाता है लेकिन इस साल एक महीने की देरी से प्रवासी पंछी पहुंच रहे हैं. इन पंछियों के झुंडों को ब्रह्मपुर से नैनीजोर जानेवाले मार्ग में मुसाफिर उधूरा, चंद्रपुरा, एकदार, महुआर के किनारे गोकुल जलाशय में झुंड-के-झुंड देख सकते हैं.
इन इलाकों में रहनेवाले बुजुर्ग लोगों का कहना है कि हर साल यह पंछी दिसंबर के महीने से मार्च के महीने तक गोकुल जलाते में अपना प्रयास करते हैं लेकिन पहले की अपेक्षा पंछियों की तादाद काफी कम हो गयी है. यह इलाका काले हिरण, नीलगाय, चितकबरा हिरण, साहिल एवं जंगली सूअर के लिए खासतौर से प्रसिद्ध है लेकिन कड़ाके की ठंड के कारण ये जानवर भी किसी झुरमुट में दुबके रहते हैं.