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बाढ़ से पहले ही बह गये पांच करोड़ रुपये

जहां हुआ कटावरोधी कार्य वहीं है कटाव का सबसे अधिक खतरा बक्सर : गंगा का जल स्तर बढ़ना शुरू हो गया है. सदर प्रखंड की खुटहां पंचायत के मझरियां व उमरपुर के बीच बहियार में कई जगहों पर कटाव शुरू हो गया है. इस कारण किसानों में फसल की क्षति होने का भय सताने लगा […]

जहां हुआ कटावरोधी कार्य वहीं है कटाव का सबसे अधिक खतरा
बक्सर : गंगा का जल स्तर बढ़ना शुरू हो गया है. सदर प्रखंड की खुटहां पंचायत के मझरियां व उमरपुर के बीच बहियार में कई जगहों पर कटाव शुरू हो गया है. इस कारण किसानों में फसल की क्षति होने का भय सताने लगा है.
बता दें कि अर्जुनपुर से शुरू होकर मझरियां टांड़ से होते हुए पूरब टोला से लेकर उमरपुर गांव तक कटावरोधी कार्य किया गया है. उल्लेखनीय है कि सदर प्रखंड व सिमरी प्रखंड की 10 पंचायतों में बाढ़ का खतरा रहता है. मझरियां व उमरपुर गांव के सामने बक्सर-कोइलवर गंगा तटबंध से सटे गंगा किनारे हो रहे कटावरोधी कार्यों की कलई खुल गयी है. कटावरोधी कार्यों की नींव ही कमजोर है. बाढ़ के दौरान गंगा की तेज धार रोकने के लिए लगाये गये बोरे अभी से ही गंगा में बहने लगे हैं. ग्रामीणों को बाढ़ से कटाव की चिंता सताने लगी है.
सड़ कर गंगा की धार में बह रहे बोरे : गंगा के कटावरोधी कार्यों के लिए एक खास तरह के बैग का इस्तेमाल किया जाना था, जिसमें जिओ व गैबीयन बैग में ही सफेद बालू भरने की स्वीकृति मिली थी. इस बोरे की खासियत होती है कि वर्षों तक पानी में रहने के बावजूद यह सड़ता नहीं है, लेकिन मानक को दरकिनार कर कन्सट्रक्शन कंपनी ने सामान्य बोरे का इस्तेमाल किया है.
कटावरोधी कार्यों में जिस बोरे का इस्तेमाल हुआ है. उस बोरे में सीमेंट आता है, जो बेहद कमजोर होता है. ऐसा नहीं है कि जिओ बैग और गैबीयन बैग का इस्तेमाल हुआ ही नहीं है, लेकिन एनसी कैरेट से बांधकर जो जिओ बैग रखे गये हैं. उसके निचले सतह पर सीमेंटवाली खाली सामान्य बोरा में मिट्टी भरकर रख दिया गया है, जिससे वह अभी ही बहने लगा है.
सरकारी फाइलों में दब गयी जांच रिपोर्ट : ग्रामीणों ने ठेकेदार व कार्यकारी एजेंसी पर सख्त कार्रवाई की मांग की है. गंगा के कटावरोधी कार्यों में कार्य एजेंसी ने जमकर मनमानी की है. बोरों के बीच के गैप तकनीकी कमियों व मानक के अनुरूप न काम कर अनियमितता की हकीकत बयान कर रहा है. बीच-बीच में बोरे धंसने लगे हैं. प्रभात खबर में लगातार खबरें प्रकाशित होने के बाद डीएम ने जांच कमेटी गठित की है, लेकिन नतीजा सिफर है. अब भी कार्य एजेंसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
पांच करोड़ 66 लाख की लागत से हुए हैं कार्य : योजना के मुताबिक वर्ष 2016 में मझरियां गांव के समीप बाढ़ से 630 मीटर कटाव हुआ था, जिसके कारण गंगा नदी के धार से बक्सर-कोइलवर गंगा तटबंध महज 130 मीटर दूर रह गया है. इससे तटबंध के टूटने का खतरा बढ़ गया है. इसी के मद्देनजर कटावरोधी कार्य किया जा रहा है.
बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल के सहायक अभियंता उपेंद्र नाथ राय ने बताया कि पूर्व में प्राक्कलन के मुताबिक 630 मीटर में कार्य होना था, लेकिन कार्य शुरू होने के बाद 67 मीटर कार्य बढ़ाना पड़ा. इस तरह 697 मीटर कार्य के लिए विभागीय स्वीकृति मिली, जिसमें 41 लाख की राशि वृद्धि कर पांच करोड़ 25 लाख रुपये से पांच करोड़ 66 लाख रुपये कर दी गयी थी, जिसमें कटावरोधी कार्यों में अनियमितता बरती गयी है.
प्रभात खबर ने प्रमुखता से उठाया मामला : बाढ़ के कटावरोधी कार्यों में भारी पैमाने पर धांधली की खबर प्रभात खबर में लगातार छपी. इसके बाद लोक चेतना मंच के प्रदेश संयोजक मिथलेश कुमार सिंह ने एफआइआर दर्ज कराने का निर्णय लिया.
इसके लिए औद्योगिक थाने में आवेदन भी दिया, लेकिन एफआइआर दर्ज नहीं की गयी. प्रभात खबर में छपी खबरों पर संज्ञान लेते हुए डीएम ने दो सदस्यीय जांच कमेटी गठित की थी. जांच टीम ने गड़बड़ी पायी. रिपोर्ट पर डीएम ने कहा था कि एफआइआर होगी, लेकिन कार्रवाई कागज तक सिमट गयी.

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