आरा : सदन का सवाल पटल पर पहुंचने से पहले ही आम हो गया. सदन में सवाल पर न चर्चा हुई और न ही सदन के सदस्य को जवाब मिला लेकिन प्रश्न आमलोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया. यह कारनामा भोजपुर जिले में देखने को मिला है. बिहार विधानसभा में 28 मार्च को पूछे जानेवाले सवाल पर आम लोगों के बीच खूब चर्चा हो रही है.
सदन में सवाल पटल पर आने से पहले ही उससे संबंधित पत्र आमलोगों के बीच पहुंचने से प्रशासनिक व्यवस्था पर भी सवाल खड़े हो गये हैं. मिली जानकारी के अनुसार जगदीशपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक रामविशुन सिंह लोहिया का सवाल सदन में 28 मार्च को रखा जाना है. विधानसभा सदस्य द्वारा पूछे जाने वाले तारांकित प्रश्न संख्या थ-63 की उत्तर सामग्री जिला प्रशासन से मांगी गयी थी. आलम यह है कि विधायक के सवाल से संबंधित पत्र आज आम लोगों के बीच आ गया है.
सीडीपीओ के द्वारा आंगनबाड़ी केंद्रों से तीन हजार रुपये मांगने से जुड़ा है सवाल : जगदीशपुर विधायक का जो सवाल है वह सीडीपीओ के द्वारा आंगनबाड़ी केंद्रों से तीन हजार रुपये प्रति माह मांगने से जुड़ा हुआ है. इसी संबंध में समाज कल्याण विभाग के प्रोक्योरमेंट ऑफिसर राशिद कलीम अंसारी ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर जवाब मांगा था. तीन बिंदुओं पर इस संबंध में जिला प्रशासन से जवाब मांगा गया है.
पत्र के ऊपर लिखा है अति महत्वपूर्ण, इसका भी नहीं रखा गया ख्याल : जिला प्रशासन को समाज कल्याण विभाग द्वारा जारी किये गये पत्र में सबसे ऊपर अति महत्वपूर्ण (विधायी) लिखा हुआ है. इसके बावजूद इसका ख्याल नहीं रखा गया.
सदन में सवाल उठने और सदस्य को जवाब मिलने से पहले ही इससे संबंधित पत्र लोगों के बीच पहुंच गया. इससे प्रशासनिक व्यवस्था पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.
चर्चा से पहले ही सवाल आम होना गलत
विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष अमरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि सदन के पटल पर सवाल रखे जाने से पहले ही बाहर आ जाना सही नहीं है. सदन में सवाल पर चर्चा होती है और सदस्य को इसका जवाब दिया जाता है. इसके बाद ही यह बाहर आना चाहिए. यह सदन की मर्यादा के खिलाफ है. इसमें कहीं न कहीं प्रशासनिक चूक है.