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514 में महज 194 नलकूप ही चालू

कुव्यवस्था. बिजली के अभाव व तकनीकी दोष से वर्षों से बंद पड़े हैं नलकूप एक लाख पंद्रह हजार हेक्टेयर में होती है रबी फसलों की खेती आरा : एक तरफ सरकार किसानों के हित की बात करती है. कृषि यंत्रों का जोर-शोर से प्रचार करती है तथा आधुनिक तरीके से खेती करने का गुर सीखाने […]

कुव्यवस्था. बिजली के अभाव व तकनीकी दोष से वर्षों से बंद पड़े हैं नलकूप

एक लाख पंद्रह हजार हेक्टेयर में होती है रबी फसलों की खेती
आरा : एक तरफ सरकार किसानों के हित की बात करती है. कृषि यंत्रों का जोर-शोर से प्रचार करती है तथा आधुनिक तरीके से खेती करने का गुर सीखाने के लिए प्रशिक्षण शिविर का आयोजन करती है, वहीं नहर के बाद सिंचाई के लिए सबसे महत्वपूर्ण संसाधन नलकूप की स्थिति जिले में इस तरह बदहाल है कि किसान काफी परेशान हैं. जिले में सरकार द्वारा स्थापित किये गये नलकूपों में 65 फीसदी बंद पड़े हैं, जबकि एक लाख पंद्रह हजार हेक्टेयर में रबी फसलों की खेती होती है. बड़हरा, कोइलवर, शाहपुर, जगदीशपुर व बिहिया प्रखंड में नहरों का अभाव है और नलकूप ही एकमात्र सहारा है. जिले में नलकूपों पर सिंचाई के लिए आश्रित किसान समझ नहीं पा रहे हैं कि कैसे सिंचाई किया जाये. कई नलकूप तो विगत 60 वर्ष पहले लगाये गये थे, जो काफी जर्जर हो चुके हैं.
किसानों की हमदर्द सरकारों द्वारा इन नलकूपों की मरम्मत कराने अथवा बदलने की जरूरत अब तक नहीं महसूस की गयी. इससे किसानों के प्रति सरकारों की संवेदनशीलता की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है. जिले में सरकार द्वारा सिंचाई के लिए 514 नलकूप लगाये गये हैं. इनमें से अधिकतर खराब पड़े हैं. 320 नलकूप जहां खराब पड़े हैं. वहीं, महज 194 नलकूप चालू हालात में हैं, जो नहर के वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर कृषि कार्य के लिए किसानों द्वारा उपयोग किया जा रहा है. शाहपुर प्रखंड के गौरा के किसान शिव कुमार ठाकुर व बरीसवन के अजय गिरी ने बताया कि उनके इलाके में वर्षों से नलकूप बंद पड़े हैं. सिंचाई की कोई व्यवस्था नहीं है. डीजल पंप ही सिंचाई का एकमात्र जरिया है, जो काफी महंगा साबित हो रहा है.
उचित रखरखाव व मरम्मत का है अभाव
बंद पड़े नलकूपों की मरम्मत नहीं की जाती है व उनके रखरखाव की उचित व्यवस्था नहीं है. कई नलकूप काफी पुराने हैं, तो कई नलकूप बिजली के अभाव में बंद पड़े हैं. वहीं, कई नलकूप तकनीकी खराबी के कारण खराब हो गये हैं. इससे कृषि कार्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है. फसलों का उत्पादन काफी कम हो गया है. सरकार एवं विभाग इस मामले में काफी उदासीन है. किसानों की शिकायत के बाद भी नलकूपों को चालू करने तथा रखरखाव की उचित व्यवस्था नहीं की जा रही है.
आंकड़ों में 194 चालू, सच्चाई विपरीत
विभाग के आंकड़ों में 194 नलकूप चालू हैं, पर वास्तविकता यह है कि लगभग 25 नलकूप ही चालू हैं. इससे विभाग की माली हालत का अंदाजा लगाया जा सकता है. बार-बार इस संबंध में आदेश जारी किया जाता है, लेकिन कोई फायदा नहीं होता. किसानों ने भी कई बार गुहार लगायी, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला.
कई नलकूप काफी पुराने हैं. इन्हें बदलना बहुत जरूरी है. बिजली की स्थिति अभी ठीक है. फिर भी 70 नलकूप बिजली के कारणों से बंद पड़े हैं. वहीं, बाकी नलकूप तकनीकी खराबी के कारण बंद पड़े हैं. पुराने नलकूपों को बदलने तथा अन्य नलकूपों की मरम्मत के लिए प्रस्ताव सरकार को भेज दिया गया है. राशि उपलब्ध होते ही इनको ठीक किया जायेगा. नलकूप विभाग संवेदनशीलता के साथ किसानों के लिए सिंचाई व्यवस्था को ठीक करने का प्रयास कर रहा है.
शंभु प्रसाद राय, कार्यपालक अभियंता, नलकूप विभाग
इन प्रखंडों में हैं ज्यादा नलकूप
बड़हरा, कोइलवर, शाहपुर, जगदीशपुर व बिहिया

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