परेशानी . सड़क पर ही बहता है नाले का गंदा पानी
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गंदगी से होकर गुजरते हैं लोग
परेशानी . सड़क पर ही बहता है नाले का गंदा पानी नारकीय जिंदगी जीने को अभिशप्त हैं मुहल्लेवासी आरा : गोढना रोड, वार्ड नंबर 44 अंतर्गत मुसहर टोलीवाली गली के मुहल्लावासी वर्षों से नारकीय जिंदगी जीने को अभिशप्त हैं. मुहल्ले की नालियां टूट-फूट जाने एवं सही ढंग से निकास नहीं होने से सड़क पर ही […]
नारकीय जिंदगी जीने को अभिशप्त हैं मुहल्लेवासी
आरा : गोढना रोड, वार्ड नंबर 44 अंतर्गत मुसहर टोलीवाली गली के मुहल्लावासी वर्षों से नारकीय जिंदगी जीने को अभिशप्त हैं. मुहल्ले की नालियां टूट-फूट जाने एवं सही ढंग से निकास नहीं होने से सड़क पर ही गंदा पानी बहता है. इस कारण वहां रहनेवाले मुहल्लावासियों की जिंदगी नरक समान हो गयी है. वहीं प्रतिदिन हजारों राहगीरों को भी आने-जाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. मुहल्लावासी अत्यंत दुखित व आक्रोशपूर्ण लहजे में कहते हैं कि अपने वार्ड कमिश्नर सह महापौर सुनील कुमार से कई बार शिकायत की गयी, किंतु हर बार कहते हैं कि उसका टेंडर हो चुका है और जल्द ही बनेगा. लेकिन अब एक-डेढ़ साल से ज्यादा बीत गये, परंतु नहीं बना.
क्यों बनी है नरक जैसी हालत : मुख्य सड़क गोढ़ना रोड का पक्कीकरण होने से इन गलियों की नालियां व पीसीसी सड़कें नीची हो गयी हैं. इस कारण नालियों का पानी गोढ़ना रोड मुख्य सड़क के बड़े नाले में नहीं जा पाता है. इस वजह से इन गलियों का पानी मुहल्ले में ही खाली स्थानों में पसर गया है. वहीं नालियों का कीचड़युक्त गंदा पानी सड़कों पर भी फैल गया है. परिणाम यह है कि लोगों को कीचड़युक्त गंदे पानी से होकर ही आना-जाना पड़ता है. सबसे बुरी स्थिति तब हो जाती है, जब बगल में अवस्थित मुसहरटोली में रहनेवाले सूअर उसी गंदे पानी में लोटने लगते हैं और 24 घंटे सड़ांध व बदबू से वातावरण दूषित बना रहता है. वहां महामारी फैलने की स्थिति बलवती है. कुल मिला कर वहां नरक से भी बदतर स्थिति बन गयी है.
मुहल्ले में विचरण करते रहते हैं सुअर
क्या कहते हैं मुहल्लावासी
हमलोग इस गंदगी से आजिज आ चुके हैं. कभी-कभी मन में विचार आता है कि अपना मकान बेच कर कहीं और चले जाएं. कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि यह नरक जैसी स्थिति कब खत्म होगी.
सुषमा सिन्हा
हमलोगों को दिन भर में अनेक बार आना-जाना होता है. हर बार नालियों के गंदे पानी पैरों में लगते हैं. मुहल्ले के बड़े लोग वार्ड आयुक्त से मिले थे. अगर इसका निराकरण हो जाता, तो हमलोगों को काफी सहूलियत होती.
छात्र प्रिंस कुमार
बाहर की बदबू घरों में आती रहती है. खाना-पीना दुश्वार बना रहता है. आने-जाने में काफी कठिनाइयां होती हैं. दिन में तो ईंट-पत्थर पर पैर रख कर चले जाते हैं, लेकिन रात के अंधेरे में कभी-कभी गंदे पानी में ही पैर चले जाते हैं.
राजू कुमार रंजन
हम बुजुर्ग लोग प्रतिदिन सुबह में टहलने जाने की इच्छा होती है, लेकिन गली में कीचड़ होने की वजह से नहीं जा पाती हूं. पैर फिसलने का डर रहता है. इसलिए हमलोग मन मसोस कर अपनी छत पर ही थाेड़ी देर टहल लेती हूं.
तुरलपती कुंवर
प्रधानमंत्री स्वच्छ भारत बनाने की बात करते हैं, लेकिन इस तरह की लापरवाही से तो स्वच्छ भारत की कल्पना ही नहीं की जा सकती है. जब जेठ माह में जलजमाव से यह हाल है, तो बरसात में क्या होगा. यह कहना मुश्किल है. हमलोगों को घर बाहर निकलना भी कठिन हो जायेगा. नीतू देवी
अपने घर के बाहर की स्थिति को दिखाते हुए यहां के नगर निगम की लापरवाही पर नाराजगी व्यक्त करते हैं. मुहल्ले के लोग कई बार अपने वार्ड आयुक्त सह महापौर सुनील कुमार से मिल कर सड़क व नाली बनवाने की मांग की. हर बार सिर्फ आश्वासन मिलता है.
सिद्धनाथ लाल
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