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नये साल में भोजपुर-छपरा का ”संगम”

नये वर्ष में छपरा-भोजपुर की बड़ी आबादी को नये पुल का तोहफा मिलेगा. गंगा नदी पर बन रहा महत्वाकांक्षी पुल अपने निर्माण के आखिरी चरण में है़ युद्धस्तर पर चल रहे निर्माण के बाद सदियों से अलग-थलग पड़े दो भोजपुरी भाषी क्षेत्र भोजपुर और छपरा के बीच सीधा संबंध स्थापित होगा. लोगों में पुख्ता समन्वय-भाईचारे […]

नये वर्ष में छपरा-भोजपुर की बड़ी आबादी को नये पुल का तोहफा मिलेगा. गंगा नदी पर बन रहा महत्वाकांक्षी पुल अपने निर्माण के आखिरी चरण में है़ युद्धस्तर पर चल रहे निर्माण के बाद सदियों से अलग-थलग पड़े दो भोजपुरी भाषी क्षेत्र भोजपुर और छपरा के बीच सीधा संबंध स्थापित होगा. लोगों में पुख्ता समन्वय-भाईचारे के साथ ही नजदीकी बढ़ेगी. इलाके में संपन्नता की बयार बहेगी.
कोइलवर-डोरीगंज के बीच बबुरा में गंगा नदी पर बन रहे विश्वस्तरीय पुल में अत्याधुनिक तकनीक एक्सट्रा डोज का इस्तेमाल किया जा रहा है. इससे पहले दिल्ली मेट्रो, मुंबई मेट्रो, दिल्ली रिंग रोड, प्रगति मैदान व कोलकाता के विवेकानंद पुल में इस तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. करीब 30 किलोमीटर वाली इस सड़क में पुल सहित 676 करोड़ रुपये की लागत आ रही है.
आरा/कोइलवर/बड़हरा : दो भोजपुरी भाषी क्षेत्र भोजपुर और छपरा को जोड़ने वाला कोइलवर-डोरीगंज के बीच बबुरा में गंगा नदी पर बन रहे विश्वस्तरीय अत्याधुनिक तकनीक के पुल का निर्माण जल्द पूरा होने वाला है.
इससे इलाके में संपन्नता की बयार बहेगी. लोगों की मानें तो शाहाबाद का गंगा पार के भोजपुरी भाषी क्षेत्रों से मिलन की बेला अब ज्यादा दूर नहीं है, क्योंकि राष्ट्रीय उच्च पथ संख्या 30 और 19 को जोड़ने वाले इस अत्याधुनिक पुल के 2016 तक तैयार हो जाने से गंगा नदी के दोनों छोरों पर बसे भोजपुरी भाषी क्षेत्र के लोगों की सभ्यता और संस्कृति एक हो जायेगी़ हालांकि, पुल निर्माण में कई जगहों पर मुआवजा नहीं मिलने से भूमि अधिग्रहण को लेकर दिक्कतें आ रही है़
भूमि अधिग्रहण नहीं होने से हो रही देरी : पुल निर्माण में देर के पीछे भू-अर्जन विभाग द्वारा भूमि अधिग्रहण नहीं कर पाने को बताया जा रहा है. सारण जिले में 90 फीसदी जमीन का अधिग्रहण पूरा हो गया है. लोगों को मुआवजा भी दे दिया गया है़ भोजपुर जिले में अभी जमीन अधिग्रहण की गति काफी धीमी कही जा सकती है. यहां बिंंदगांवा, सबलपुर, फूहां, बबुरा, सुरतपुर आदि गांवों के सैकड़ों किसानों ने जमीन का उचित मुआवजा नहीं मिलने की शिकायत कर भूमि पर अपना दावा नहीं छोड़ा है. इन गांवों में भूमि अधिग्रहण नहीं हो पाया है़
बबुरा में जून 2013 में मुआवजा देने आये भू-अर्जन विभाग के पदाधिकारियों को किसानों के आक्रोश का सामना करना पड़ा था. जमालपुर गांव में किसान की खेती वाली भूमि अधिग्रहण को लेकर मामला न्यायालय में चल रहा है़ किसान बताते हैं कि सरकार के पास पहले से लगभग 60 फीट सड़क (पुरानी) मौजूद है. कुछ जगहों पर अतिक्रमण कर लिया गया है, ऐसे में अवैध कब्जे से भूमि को मुक्त कराने के बदले खेत का अधिग्रहण कहीं से भी जायज नहीं कहा जा सकता.
पुल की प्लानिंग 2010 में, जुलाई 2014 में होना था तैयार : बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड ने छपरा-भोजपुर को जोड़ने के लिए गंगा नदी पर पुल निर्माण की रूपरेखा जुलाई 2010 में ही तैयार की थी.
जिसकी नींव फरवरी 2011 में डाली गयी. पुल निर्माण जुलाई 2014 तक पूरा किया जाना था. लेकिन भूमि अधिग्रहण की दिक्कतों के कारण समय सीमा लगभग दो साल लंबी खिंच गयी है. अब नये साल में 2016 तक इसके तैयार होने की बात कही जा रही है. पुल का लगभग 80 प्रतिशत निर्माण कार्य पूर्ण हो गया है़
इन जिलों की दूरी होगी कम : राष्ट्रीय उच्च पथ 19 और 30 को जोड़ने वाले इस पुल के तैयार हो जाने से गंगा पार के छपरा, सोनपुर, सीवान, गोपालगंज, पूर्वी चंपारण-पश्चिमी चंपारण और उतर प्रदेश के निकटवर्ती कुछ जिले गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, चंदौली, वाराणसी तथा इस ओर भोजपुर, बक्सर, भभुआ, रोहतास, पटना से नजदीक हो जायेगें. आरा से छपरा-सीवान तथा अन्य निकटवर्ती जिलों तक जाने के लिए महात्मा गांधी सेतु को पार कर जाने में लगभग चार से पांच घंटे का समय लगता था. अब लोगों का समय बचेगा.
दो हिस्सों में होगा फोर लेन पुल का निर्माण
विश्वस्तरीय अत्याधुनिक तकनीक वाला यह पुल दो हिस्सों में होगा़ जिसके पहले हिस्से में गंगा नदी पर चार किलोमीटर तथा दूसरे हिस्से में 350 मीटर लंबा फोर लेन पुल होगा. चार किलोमीटर के पहले हिस्से में पुल के लिए 53 और साढ़े तीन सौ मीटर वाले पार्ट में 7 पाये होंगे.
चार किलोमीटर फोरलेन पुल और लगभग 17़.6 किलोमीटर एप्रोच तथा 5 किलोमीटर लंबाई के गाइड वाली यह सड़क करीब 30 किलोमीटर तक लंबी होगी. जिस पर 676 करोड़ रुपये खर्च की बात की गयी है. अवधि विस्तार व लागत में भी वृद्धि के कारण पुल का इस्टीमेट रिवाइज किया गया है. पुल में बेहतर तकनीक का प्रयोग करते हुए एक्स्ट्रा डोज प्रणाली का प्रयोग किया जा रहा है़
निर्माण में लगे अभियंता का कहना है कि महात्मा गांधी सेतु की दिक्कतों को ध्यान में रखकर इसका निर्माण किया जा रहा है. पुल निर्माण में लगी कंपनी एसपी सिंघला की मानें तो दिल्ली मेट्रो, रिंग रोड, प्रगति मैदान, मुंबई मेट्रो और कोलकाता में विवेकानंद पुल के निर्माण में एक्स्ट्रा डोज पद्धति का इस्तेमाल किया गया है़

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