जगदीशपुर : बच्ची की मौत से गुस्साये ग्रामीणों ने जगदीशपुर रेफरल अस्पताल गेट के सामने नगर के मुख्य मार्ग को जाम कर आवागमन ठप कर दिया तथा अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ अपनी भड़ास निकाली. बताया जाता है बुधवार को धनगाई थाना क्षेत्र के कुसहा टोला निवासी मुखिया बिंद अपनी छह माह की बच्ची निभा को […]
जगदीशपुर : बच्ची की मौत से गुस्साये ग्रामीणों ने जगदीशपुर रेफरल अस्पताल गेट के सामने नगर के मुख्य मार्ग को जाम कर आवागमन ठप कर दिया तथा अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ अपनी भड़ास निकाली. बताया जाता है बुधवार को धनगाई थाना क्षेत्र के कुसहा टोला निवासी मुखिया बिंद अपनी छह माह की बच्ची निभा को इलाज कराने के लिए जगदीशपुर रेफरल अस्पताल पहुंचे लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने बच्ची के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती नहीं किया, जिससे बच्ची की मौत हो गयी.
परिजनों ने बताया कि बच्ची को तीन माह पहले अस्पताल में बीसीजी का टीका (सूई) दिया गया था, जिसके चलते घाव होने से बच्ची की तबीयत बिगड़ गयी.
बच्ची को मंगलवार की संध्या अस्पताल में इलाज कराया गया. तब अस्पताल के चिकित्सकों ने मलहम और दवा देकर घर वापस भेज दिया था, फिर बुधवार को सुबह बच्ची की तबीयत ज्यादा बिगड़ जाने के बाद जब हमलोग जगदीशपुर रेफरल अस्पताल पहुंचे तो अस्पताल प्रबंधन द्वारा अस्पताल में इलाज के लिए बीमार बच्ची को भर्ती नहीं किया गया, जिससे बच्ची की मौत हो गयी. बच्ची की मौत से गुस्साये परिजनों और ग्रामीणों ने अस्पताल प्रबंधन की मनमानी के खिलाफ अस्पताल गेट के सामने नगर को मुख्य मार्ग को जाम कर आवागमन ठप कर दिया.
इस दौरान गुस्साये परिजन और ग्रामीणों ने अस्पताल प्रबंधन की मनमानी के खिलाफ जमकर नारे लगाये. गुस्साये परिजनों द्वारा अस्पताल में तोड़फोड़ की भी कोशिश की गयी, लेकिन जगदीशपुर पुलिस ने मौके पर पहुंच कर तोड़-फोड़ होने से बचा लिया. नगर के मुख्य मार्ग अस्पताल रोड जाम होने की खबर पाकर बीडीओ कृष्ण मुरारी और सीओ जयराम सिंह भी मौके पर पहुंचकर गुस्साये परिजनों और ग्रामीणों को समझाने की कोशिश करते रहे थे, लेकिन उग्र ग्रामीण और परिजन डीएम को बुलाकर घटना की जांच कराने की मांग पर अड़े थे. लगभग तीन घंटे तक जाम के चलते नगर के मुख्य मार्ग से आने-
जानेवाले लोगों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. बाद में बसावना पंचायत के मुखिया मुन्ना कुमार, बीडीओ और सीओ गुस्साये परिजनों का आक्रोश किसी तरह शांत कराने में कामयाब हुए और कबीर अंत्येष्टि के तहत तीन हजार रुपया देकर जाम को हटाया गया तब जाकर आवागमन शुरू हुआ.