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बालू के लिए हाहाकार, ऑनलाइन व्यवस्था बेकार

परेशानी. डीएम के आदेश को नहीं मान रहे विभागीय अधिकारी व संवेदक आरा/कोइलवर : बालू के लिए पूरे जिले में हाहाकार मचा है. सभी लोग परेशान हैं. सरकार ने लोगों को राहत देने के लिए बालू बिक्री करने को लेकर ऑनलाइन आवेदन करने की व्यवस्था की थी, ताकि बालू बिक्री में पारदर्शिता बनी रहे और […]

परेशानी. डीएम के आदेश को नहीं मान रहे विभागीय अधिकारी व संवेदक

आरा/कोइलवर : बालू के लिए पूरे जिले में हाहाकार मचा है. सभी लोग परेशान हैं. सरकार ने लोगों को राहत देने के लिए बालू बिक्री करने को लेकर ऑनलाइन आवेदन करने की व्यवस्था की थी, ताकि बालू बिक्री में पारदर्शिता बनी रहे और सभी को जरूरत के अनुसार बालू मिले, पर विभागीय अधिकारियों की मनमानी व धांधली के कारण ऑनलाइन व्यवस्था भी बेकार साबित हो रही है. अधिकारी मनमाने ढंग से लोगों को बालू दे रहे हैं. इससे बालू की कालाबाजारी जोरों पर है.
डीएम के निर्देश का भी नहीं हो रहा असर: शिकायतों के मद्देनजर लगभग 10 दिन पहले भोजपुर डीएम संजीव कुमार ने टीबी सेन्टोरियम समेत कई घाटों का निरीक्षण किया था. इस दौरान अनियमितताओं को देख डीएम ने कार्यरत संवेदक को फटकार लगाते हुए दो दिनों के अंदर गड़बड़ियों में सुधार लाने का निर्देश दिया था. लेकिन, 10 दिन बीत जाने के बाद भी टीबी सेन्टोरियम बालू घाट पर कार्यरत संवेदक तारा रजत प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किसी भी प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं करायी गयी है. वहीं, डीएम के आदेश की धज्जियां भी उड़ायी जा रही हैं.
सात हजार में मिल रहा है एक टेलर बालू: विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से कालाबाजारियों की चांदी कट रही है.
ब्लैक में सात से आठ हजार में एक टेलर बालू बेचा जा रहा है. सुविधा संपन्न लोग भी मजबूरी में निर्माण कार्य कराने के लिए ब्लैक में बालू खरीद रहे हैं. लोगों का कहना है कि 20 दिनों से अधिक समय से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराने के बाद भी बालू नहीं दिया जा रहा है, जबकि बाजार में बड़े पैमाने पर बालू देखा जा रहा है और काफी महंगे दर पर बेचा जा रहा है. इस पर कोई कार्रवाई भी नहीं हो रही है.
मजदूरों के बदले मशीन से हो रहा उत्खनन
भोजपुर डीएम व खनन निदेशक ने निरीक्षण के दौरान संवेदक को फटकारते हुए दिन में मजदूरों से काम लेने को कहा था. लेकिन, इसका असर संबंधित संवेदक पर नहीं दिखा. दिन में मजदूरों के बदले जेसीबी व फोकलेन से ट्रकों पर बालू लोड किया जा रहा है, जबकि मजदूर बेकार बैठे हैं. मजदूरों की माने तो टीबी सेन्टोरियम व धनडीहा बालू घाट पर संवेदक के ही मशीन लगे हैं. बालू लादने के एवज में प्रति ट्रक पांच सौ रुपये भी लिये जाते हैं.
इन सुविधाओं की करनी है व्यवस्था
डीएम के आदेश के 10 दिनों के बाद भी टीबी सेन्टोरियम बालू घाट पर किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं की गयी है. अब तक बालू खदान तक पहुंचने वाले वाहनों के लिए चेक पोस्ट नहीं बनाया गया है. खदान व बालू घाट तक पहुंचने वाले वाहनों की कोई इंट्री प्वाइंट नहीं बनायी गयी है और न ही बालू घाट पर सीसीटीवी कैमरे की व्यवस्था की गयी है. इसके साथ ही घाट पर बिजली, ई-चालान काउंटर, पेयजल, शौचालय, सुरक्षा प्रहरी, धर्मकांटा की व्यवस्था करनी है. बावजूद अब तक किसी भी तरह की व्यवस्था नहीं की गयी है.
डिया के नियमों की हो रही अनदेखी
जिस प्रकार बालू उत्खनन में पहले नियमों की धज्जियां उड़ायी जा रही थीं. अब भी वही स्थिति कायम है. पूर्व में बालू के अवैध उत्खनन को लेकर एनजीटी ने पर्यावरण को लेकर बालू घाटों को बंद करने का आदेश दिया था. बाद में सिया और अब डिया ने दायरे में रहकर बालू उत्खनन की मंजूरी दी, लेकिन अब इस नियम का भी पालन संबंधित संवेदक द्वारा नहीं किया जा रहा है. चेतावनी के बाद भी वाहनों पर पानी वाला बालू लोड किया जा रहा है. इससे बालू सड़क पर गिर रहा है और इससे सड़क भी खराब हो रही है.

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